अजमेर, 7 मई। विश्व प्रसिद्ध महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के बड़े पुत्र हजरत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती का मजार अजमेर से 65 किलोमीटर दूर सरवाड़ जिला अजमेर में है। उर्दू महिने के शाबान की चांद की पहली तारीख से उनका उर्स शुरु हो जाता है। यह जानकारी देते हुए ख्वाजा साहब के गद्दीनशीन एस. एफ. हसन चिश्ती ने बताया कि आज चांद दिखने के अनुसार 8 या 9 मई से शुरु होगा। इस उर्स में विशेषकर खुद्दाम-ए-ख्वाजा की जानिब से उर्स की धार्मिक रसुमात अंजाम दी जाती है जैसे मजार शरीफ पर गुसुल, संदल, इत्र व गिलाफ पेश किया जाता है। दूर-दूर से व अजमेर जिले से अधिकांश जायरीन इनके उर्स में शरीफ होते है। चांद की तीन तारीख को खुद्दामें ख्वाजा की जानिब से ख्वाजा साहब की दरगाह के बेगमी दालान से चादर का जुलूस निकाला जायेगा जो कव्वाली, बैण्ड बाजे व नक्कारे के साथ आहता-ए-नूर, संदल खाना मस्जिद, सोनचिराग, बुलन्द दरवाजा, शाहजहानी मस्जिद, निजाम गेट, नला बाजार, मदार गेट होता हुआ रेलवे स्टेशन पहुंचेगा जहां से बस द्वारा सरवाड़ के लिए चादर रवाना की जायेगी जो कि चांद की पंाच तारीख को जौहर की नमाज के बाद सरवाड़ तहसील से सरवाड़ के मुख्य मार्गों से होता गाजे बाजे के साथ जुलूस के रुप में चांद की पांच तारीख को असर की नमाज के बाद खुद्दाम-ए-ख्वाजा हजरत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती के मजार सरवाड़ शरीफ में चढ़ायेंगे।
चिश्ती ने बताया कि ख्वाजा फखर के उर्स के दौरान खुद्दाम-ए-ख्वाजा की तरफ से लंगर का आयेाजन भी किया जाता है। चांद की पांच तारीख की रात्रि को मजार को केवड़ा व गुलाबजल से खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने गुसल (धोया) दिया जायेगा। चांद की छह तारीख को कुल की फातेहा के साथ उर्स सम्पन्न हो जायेगा।
चांद की नौ तारीख को बड़ा कुल होगा। इसके साथ ही उर्स पूरी तरह से उर्स सम्पन्न हो जाता है। चांद रात से कई लोग अजमेर से सरवाड की ओर पैदल जाते है। चांद की तीन तारीख को हजारों की संख्या में लोग पैदल जाते है। इस अवसर पर पूरे रास्ते लंगर, चाय, कॉफी व ठण्डे की निशुल्क व्यवस्था खुद्दाम-ए-ख्वाजा की ओर से की जाती है।
एस. एफ. हसन चिश्ती
गद्दीनशीन ख्वाजा साहब
