राष्ट्रीय संगोष्ठी में इतिहासविदों ने प्रस्तुत किए अनेक तथ्य
अजमेर 7 मई। राजस्थान धरोहर एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कहा कि आज की राजनीति ने देश को जड़ों से काटने का काम किया है। आज का इतिहास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति के चंगुल में फंसा हुआ है। इसी का परिणाम है कि आज इतिहास को तोड मरोड कर प्रस्तुत किया जा रहा है। लेखकों की लेखनी में देशभक्ति की भावना होनी चाहिए ताकि आने वाली पीढी में कायर ताका भाव उत्पन्न न हो। महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में शनिवार को पृथ्वीराज चौहान ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक शोध केन्द्र के तत्ववाधान में आयोजित सपादलक्ष एवं अजयमेरू के चौहान वंश विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए लखावत ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि आज गौरवशाली इतिहास न तो पढाया जा रहा है और न हीलिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चौहान शासकों ने देश में धर्म एवं इतिहास की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। यह इतिहास वास्तविक रूप से युवा पीढी के समक्ष नहीं रखने से युवा पीढी की मानसिक स्थिति निरन्तर कमजोर होती जा रही है। उन्होंने इतिहासविदों से आह्वान करते हुए कहा कि इतिहास लेखक सामान्य पाठकों के लिए भी गौरवशाली इतिहास का लेखन कर सकते है। लेखक आज वास्तविक इतिहास के तथ्यों को नहीं लिख रहा है। उन्होंने कहा कि पृथ्वीराजरासो की निंदा पर इतिहास लिखने वालों की एक लंबी सूची हो सकती है लेकिन चौहान के महान कार्यों को विस्मृत किया जा रहा है। चौहानवंश का पुरातात्विक स्थलों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इतिहासविद प्रो0 आर. नाथ ने अपने संबोधन में कहा कि प्राचीन सभ्यता को नष्ट होने से बचाने में चौहानवंश का सहयोग उल्लेखनीय है। उन्होंने ढाई दिन का झोपडा, गढ बीठली का किला सहित अनेक उदाहरणों से चौहानकाल की प्रशंसा की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भारतीय अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के अध्यक्ष वाई. सुदर्शन राव ने कहा कि हमारी संस्कृति व हमारा इतिहास जिसने लिखा उसने उसे पूर्णरूपेण पढा नहीं है। हमारे पास अपना साहित्य होता तो हम अपने इतिहास को वास्तविक रूप में समझपाते, उन्होंने कहा कि इतिहास लेखन के लिए योग्य व अनुभवी व्यक्ति का होना जरूरी है। अगर ऐसी स्थिति नहीं रही तो आने वाली पीढी इतिहास को मात्र कपोल कल्पना समझक रही रह जायेगी।
प्रदेश का इतिहास विश्व में गौरवपूर्ण है-सोडाणी
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने कहा कि राजस्थान का इतिहास सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ की विरांगनाओं का इतिहास अपने आपमें एक अमूल्य धरोहर है। राजस्थान का इतिहास विदेशी लेखकों को भी आश्चर्यचकित करता है, चौहानवंश ने समाज व संस्कृति मंे समानता लाने में विशेष योगदान प्रदान किया हैै। राज्य की पुरातात्विक धरोहर ने प्रदेशको एक नई दिशा प्रदान की है। इतिहास के गलत लेखन व तथ्यों के प्रस्तुतिकरण का ही परिणाम रहा है कि पिछले 200 वर्षों में हिन्दुस्तान के 200 टुकडे हुए हैं इसके पीछे राष्ट्रीयता के भाव की कमी है। राष्ट्रीयता की कमी के कारण ही निरन्तर विभाजन की स्थिति देखने को मिल रही है।
सोच में बदलाव जरूरी-राठौड
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित शिक्षाविद हनुमान सिंह राठौड ने कहा कि संस्कृति को जीवन्त बनाए रखने के लिए सोच में बदलाव लाना जरूरी है। इतिहासकार तथ्यों को सही प्रस्तुत करें ताकि आने वाली पीढी अध्यात्म के साथ संस्कृति से जुड सके। उन्होंने कहा कि इतिहास बताने का काम परिवार से शुरू होना चाहिए और इतिहासरोचकता पैदा करने वाला होना चाहिए। रूचि के साथ स्वाध्याय से आत्मगौरव का भाव पैदा होता है।
विराट व्यक्तित्व सम्राट पृथ्वीराज चौहान पुस्तक का विमोचन
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मंचासीन उपस्थित अतिथियों द्वारा विराट व्यक्तित्व सम्राट पृथ्वीराज चौहान पुस्तक का विमोचन किया गया इस पुस्तक का संपादन प्रो0 शिवदयाल सिंह द्वारा किया गया। पुस्तक में 14 मई, 2015 को आयोजित विराट व्यक्तित्व पृथ्वीराज चौहान विषयक संगोष्ठी में प्रस्तुत आलेखों का समावेश किया गया है।
संगोष्ठी में 02 तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो0 वी.के.वशिष्ठ की तथा द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो0 एन.के.उपाध्याय, शोध निदेशक, ने की। तकनीकी सत्रों के उपरान्त जिज्ञासु शोधार्थियों ने प्रश्न कर ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
संगोष्ठी के आरंभ में शोध केन्द्र के निदेशक प्रो0 शिवदयाल सिंह ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया इस दौरान उन्होंने चौहानवंश के योगदान की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ0 एन.के.उपाध्याय ने शोध केन्द्र के उद्धेश्यों पर प्रकाश डाला। अन्त में प्रो0 जी. एस. व्यास ने आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन रेनवीका चौपडा ने किया। इससे पूर्व अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गयी। संगोष्ठी में उपमहापौर सम्पत सांखला, कमल प्रकाश किशनानी, एन.के.उपाध्याय, डॉ0 प्रवीणमाथुर, जी.एस.व्यास, प्रो.वी.के.वशिष्ठ, डॉ0 ओमप्रकाश शर्मा, डॉ0 जी.के.कलसी, डॉ0 लोकेश शेखावत, प्रो. के.सी.शर्मा, प्रो0 शिवप्रसाद, प्रो0 बी.पी.सारस्वत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयसिंह राठौड, कारागार प्रशिक्षण केन्द्र के अधीक्षक श्री देथा आदि शोधार्थी व इतिहासविद उपस्थित थे।
कंवल प्रकाश किशनानी