देश के विकास में सिंध का भी योगदान – प्रो. देवनानी

म.द.स. विश्वविद्यालय में सिंधु शोध पीठ की बैठक में हुए कई अहम फैसले
विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा सिंध के वीरों का इतिहास

PROAJMPHOTO(1)अजमेर 07, मई। शिक्षा राज्य मंत्राी एवं महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय सिंधु शोधपीठ सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि ने कहा कि देश के विकास में सिंध का भी महत्वपूर्ण योगदान है। सिंध के वीरों ने भारत की आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया है। इस योगदान और बलिदान से देश की युवा पीढ़ी को अवगत कराना आवश्यक है ताकि युवाओं में देश के प्रति त्याग और बलिदान की भावना विकसित हो सके। सिंधु शोधपीठ इस कार्य को पूरी लगन के साथ अमल में लाएगी।
शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. देवनानी ने यह बात आज विश्वविद्यालय में आयोजित सिंधु शोधपीठ की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सिंध और सिंधीयत का इतिहास बहुत पुराना है। सिंधु सभ्यता और संस्कृति आज भी अपने जीवन मूल्यों और देश प्रेम के भावों को समाहित करके चलती है। देश की आजादी की लड़ाई और उसके पश्चात देश के विकास में सिंधियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब समय आ गया है जब युवा पीढ़ी को इन महत्वपूर्ण बातों से अवगत कराया जाए।
प्रो. देवनानी ने कहा कि विश्वविद्यालय की सिंधु शोधपीठ केवल यही तक सिमित ना रहे वरन् पूरे देश में सिंध से संबंधित शोध एवं नवाचारों की वाहक बने। सिंधु शोधपीठ सिंधियत का प्राचीनतम इतिहास, आजादी के आंदोलन में सिंधी युवाओं का योगदान देश के विकास में योगदान एवं नई पीढ़ी में देश प्रेम के भाव जागृत करने के लिए इन विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करवाएगी।
उन्होंने बताया कि शीघ्र ही सिंधु शोधपीठ में डिप्लोमा एवं सर्टीफिकेट कोर्स शुरू होंगे। सिंधु शोधपीठ की अपनी पत्रिका छपेगी एवं यहा से सिंधु से संबंधित रिसर्च को भी बढ़ावा दिया जाएगा। आगामी 3 माह में सिंधु शोधपीठ के माध्यम से 15 जून को महाराजा दाहरसेन के जीवन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 22 जुलाई को नारायण श्याम की स्मृति में कवि सम्मेलन एवं 14 अगस्त को सिंध स्मृति दिवस मनाया जाएगा। शोधपीठ के माध्यम से सिंधी समाज की प्रतिभाओं का सम्मान भी करवाया जाएगा।
बैठक में सिंधी साहित्य के दुर्लभ ग्रन्थों का प्रकाशन एवं अनुवाद, आमुखीकरण कार्य योजना सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। बैठक में सलहाकार समिति के मनोनीत सदस्य कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी, प्रो. लक्ष्मी ठाकुर, प्रो.शिव प्रसाद, श्री ईश्वर ठारानी, श्री सुरेश सिंधी, डाॅ. हासो दादलानी, प्रो. एस.एल.कालरा, डाॅ. प्रताप पिंजानी, डाॅ. सुरेश बबलानी, अर्जुन कृपलानी, डाॅ. कमला गोकलानी, जितेन्द्र थदानी, डाॅ. परमेश्वरी पमनानी एवं दीपक मूलचन्दानी आदि उपस्थित थे।

error: Content is protected !!