महाराजा दाहरसेन स्मृति विराट कवि सम्मेलन ‘‘काव्य कुम्भ’’
जब प्यार मोहब्बत तो लिख देना हिन्दुस्तान – जीनत
वीर शिरोमणि दाहरसेन की गाथा नयी नहीं है – दिनेश त्रिपाठी ‘‘दीवाना’’
अजमेर 11 जून। सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1304वें बलिदान दिवस पर आयोजित महाराजा दाहरसेन स्मृति विराट कवि सम्मेलन ‘‘काव्य कुम्भ’’ में काव्य की गंगा-यमुना-सरस्वती विधाओं का ऐसा संगम हुआ कि श्रेाता साहित्य साधना की गहराईयों को महसूस कर उठे। ओज, वीर रस, सामाजिक और साम्प्रदायिक एकता की रचनाओं ने जहां जोश का संचार किया वहीं प्रेम रस और श्रृंगार की रचनाओं ने श्रोताओं को भावनात्मक रूप से पिघला दिया।
कार्यक्रम की मुख्य शान रही गज़लकार कमला सिंह जीनत के अशआर ‘‘अपने हिस्से सारी दुनियंा, मेरे हिस्से मेरी शान, बम-बारूद तुम्हारे सारे, हमको प्यारी तीर कमान, जुल्म की बाते तुम रख लेना, ‘‘जीनत’’ की है चाह अलग, लिखना हो जब प्यार मोहब्बत तो लिख देना हिन्दुस्तान’’ ने जहां जमकर दाद पाई, वहीं उनकी रचना ‘‘हर रंग नस्ल मजहबों मिल्लत की जान है इन्सानियत की गोद में हिन्दुस्तान है’’ पर श्रोता वाह-वाह कर उठे। ‘‘जीनत’’ ने अपनी श्रृंगार रस की रचना सुनाकर भी लोगों का दिल जीत लिया।
भीलवाड़ा से आये दिनेश त्रिपाठी ने ‘‘दीवाना’’ सिंधुपति महाराजा दाहरसेन की शान में जब अपनी पंक्तियां ‘‘वीर शिरोमणि दाहरसेन की गाथा नई नहीं है, नमन करूं मैं सिंधुपति को गर्वित मही है’’ ने इतिहास को पुनः जीवित कर दिया। भीलवाड़ा की ही पुनीता भारद्वाज की रचना ‘‘वह नूर-ए-संगमरमर तराशा हुआ हीरा, जौहरी ने लगा दी कीमत सरे बाजार’’ सुनाकर जहां दाद पाई। वहीं दिल्ली से आये संजय कश्यप की रचना ‘‘उस नारी को ना कोई समझा, जिसने सबको अस्तित्व दिया, भुला के उसके हर कर्ज को यूं बीच राह पर छोड़ दिया’’ ने नारी की सामाजिक स्थिति का आईना दिखा दिया। दिल्ली की भावना शर्मा ने ‘‘आज बहुत उदास हूं, कितने ही वर्ष बीत गए, बढ़ती जा रही हूं, लिखती जा रही हूं, आंसू पीकर जीती जा रही हूं’’ सुनाकर नारी मन की गहराईयां चित्रित की।
अजमेर के पत्रकार कवि अमित टंडन ने ‘‘मेरी हर बात दुआं हो जाये, दुश्मनों का भी भला हो जाये’’ सुनाकर महफिल को गुंजाएमान कर दिया। उनकी सामाजिक व राजनीतिक कटाक्ष की रचना ‘‘हृदय हमारा पाप कर्मों से भले ही निर्भय हुआ, फिर भी अपनों से विरह के मन को कुछ तो भय हुआ, पर भी दर्शक दाद दिए बिना नहीं रहे।
जयपुर के शेखर श्रीवास्तव ‘‘सजन’’ ने समारोह का रूख बदल दिया जब इन्होने ‘‘वफाओं से भी लिखता हूं जफाओं पे भी लिखता हूँ, सूनी राहों को तकती उन निगाहों पे भी लिखता हूँ, वतन पे जां फिदा कर दी देश के जिन सपूतों ने, नौजवां उन शहीदों की चिताओं पे भी लिखता हूँ’’ रचना पढ़ी। इलाहबाद के राजीव ‘‘नसीब’’ ने एक नया अंदाज पेश करते हुए अपनी पंक्तियाँ पढ़ी – ‘‘हो सके अपना मुकद्दर देख लो, आँख से बहता समन्दर देख ले। खो रहे है लोग जब अपना अदब हो चुका कम आज आदर देख लो’’।
जयपुर से भाई आकाशवाणी और दूरदर्शन की रचनाकार शिवानी जैन शर्मा ने अपने चिरपरिचित अंदाज में ‘‘ठण्डी रही नहीं पुरवैया पछुआ भी आग लगाए, करनी देख मानव अपनी दी है धरा सुखाए, उजाड़ दिया श्रृंगार धरा का सूनी कर दी गोद, ………. पंक्तियाँ पढ़ी तो श्रोता अंतर्मन में झांकने को मजबूर हो गए। उनकी पंक्तियाँ ‘‘जल रही है मानवता आज पाप की आग में नहीं धर्म से जुड़े है, ना ही व्यक्तिगत राह से’’ ने भी सराहना पाई।
शंतनु बरार अपनी नज्म ‘‘नीले पॉपी के बगल से होकर वो जो अलसायी पगडंडी मुड़ती है न, ठीक उसी पर आगे बढ़ना, मील भर के फासले पर आबशारों की एक टोली मिलेगी’’ के साथ हाजिर हुए और कार्यक्रम को ऊँचाई दी। जयपुर से आई स्तम्भकार कविता ‘‘मुखर’’ ने अपनी पंक्तियां’’ क्या तुम जिंदा हो, कल पढ़ा था मैने, मरने के बाद आदमी बोलता नहीं, मरने के बाद आदमी सोचता नहीं’’ के माध्यम से आमजन की समाज के प्रति सुक्तता पर जहां प्रहार किया वहीं उनका कटाक्ष ‘‘हर सफेद हर काले में बराबर के भागी होते, काश के हम थोड़े सामाजिक होते’’ को भी बहुत दाद मिली। झारखण्ड से राजस्थानी कवि केसरीलाल बुधवाली समारोह में उस वक्त छा गए जब उन्होने राजस्थानी भाषा साहित्य का परचम अपने शब्दों के माध्यम से फहराया। इनके अतिरिक्त अजमेर के हसन मजहर अली की जोश भरी रचना ने श्रोताओं को झुमने पर मजबूर कर दिया।
कवि सम्मेलन से पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथी अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, नगर निगम उपमहापौर सम्पत सांखला, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चानी एवं कार्यकर्ता, हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार के पदाधिकारी एवं कविगणों ने सर्वप्रथम हिंगलाज माता की पूजा अर्चना की और महाराजा दाहरसेन की प्रतिमा के आगे पुष्प अर्पित किये। समारोह समिति द्वारा कवियों को श्रीफल, शॉल एवं स्मृति चिन्ह दिया।
शिवशंहर हेड़ ने बताया किऐसे महान् शूरवीर राजा को हम नमन करते है। उन्होने बाल्यकाल से ही वृहद सिन्ध का राज्य संभाला और उसका विस्तार किया। राष्ट्रभक्ति के लिये उन्होने अपने सम्पूर्ण परिवार का राष्ट्र रक्षा के लिये अपनी कुर्बानी का ऐसा उदाहरण इतिहास में अन्यत्र कही देखने को नहीं मिलेगा।
स्वागत भाषण कवंल प्रकाश किशनानी ने दिया। आभार नवीन सोगाणी द्वारा प्रकट किया गया। मंच का संचालन महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया।
कार्यक्रम में अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम अजमेर, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा, अजमेर पोएट्स कलेक्टिव संस्थान, सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन विकास एवं समारोह समिति का सहयोग रहा।
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