युवाओं को सिखाएं राष्ट्रभक्ति के संस्कार- प्रो. देवनानी

सिंधुपति सम्राट दाहिर के 1304वें बलिदान दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी
अजमेर 15 जून। शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि सिंधु संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से हैं। देशप्रेम और राष्ट्रभक्ति के संस्कार हमें अपने पुरखों से विरासत में मिले हैं। हमें अपने युवाओं को इन संस्कारों से अवगत कराना होगा। राष्ट्र के विकास में सिंध का भी पूरा योगदान है।
शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने आज स्वामी काॅम्पलेक्स में महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय की सिंधु शोध पीठ द्वारा सिंधुपति सम्राट दाहिर के 1304वें बलिदान दिवस पर आयोजित प्रान्तीय संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बाहरी आक्रमणकारियों से हिन्दुस्तान की रक्षा में सिंध का बड़ा योगदान रहा है। सिंध 500 से भी अधिक सालों तक अरब आक्रमणकारियों से देश की रक्षा के लिए लड़ता रहा। सिंध के इन वीरों में सिंधुपति सम्राट दाहिर का भी अद्वितीय योगदान है। हमंे सिंध के इन वीरों से देशप्रेम और राष्ट्रभक्ति का जज्बा सीखना होगा।
प्रो. देवनानी ने कहा कि अरब आक्रमणकारियों के यह आक्रमण सिर्फ भूभाग या धन सम्पत्ति जीतने के लिए ही नहीं थे बल्कि इनके पीछे भारत की संास्कृतिक एवं सामाजिक विरासत को भी नष्ट कर देने का उद्देश्य था। लेकिन सिंध इन आक्रमणकारियों के खिलाफ दीवार बनकर खड़ा रहा। हमें इन वीरों की गाथाओं और देश के लिए मर मिटने के इनके जज्बे से अपने युवाओं को परिचित कराना होगा।
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सिंधु शोध पीठ और सिंधी समाज के विद्वानों सहित पूरे समाज को वहन करनी होगी ताकि हमारे युवा अपने पुरखों के उच्च आदर्शों से परिचित हो सकें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश के विकास में सिंधी समाज का भी पूरा योगदान है। सिंध के लोगों ने देश के लिए तन, मन, धन से योगदान दिया है। सनातम मूल्यों की रक्षा के लिए युवाओं में संस्कार निर्माण आवश्यक है। हम सभी इस दिशा में मिलकर प्रयास करें।
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा कि भावी पीढ़ियों में संस्कार का निर्माण अतिआवश्यक है। हमें इस जिम्मेदारी को निभाना होगा। सिंधुपति सम्राट दाहिर के जीवन से सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। संगोष्ठी को सिंधु शोध पीठ की निदेशक प्रो. लक्ष्मी ठाकुर, उप निदेशक डाॅ. कमला गोकलानी ने भी संबोधित किया। संचालन डाॅ. सुरेश बबलानी ने किया।
संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में डाॅ. नवल किशोर उपाध्याय, डाॅ. अजय शर्मा, श्रीमती भूमिका, डाॅ. सर्वदमन मिश्रा, श्री अरूण कुमार शर्मा, डाॅ. सौभाग्य गोयल, डाॅ. सूरजमल राव, डाॅ. प्रताप पिंजानी एवं डाॅ. हरिश बेरी आदि ने सम्राट दाहिर के विभिन्न पहलूओं पर चर्चा की।

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