कर्मों के निश्शेष का विज्ञान है योग- प्रो. सोडाणी

IMG_3413IMG_3363द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी के अनुसार व्यक्ति विभिन्न कर्मों के अनुसार मानव जन्म को प्राप्त करता है और मानव शरीर के माध्यम से अपने शुभ कर्मों द्वारा अपने प्रारब्ध कर्मों को निश्शेष कर सकता है जिसका सबसे सरल साधन योग है। योग से व्यक्ति अपने चेतन अचेतन संस्कारों को जान एवं समझ सकता है और उसके अनुरूप अपने कर्मों में परिवर्तन लाकर अपने आपको अलौकिक बना सकता है।
योग दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों तथा छात्रों द्वारा आयुष विभाग द्वारा निर्धारित सामूहिक सामान्य योगाभ्यास प्रोटोकॉल का 45 मिनट अनुसरण किया। सभी ने पूरी तन्मयता एवं एकाग्रता के साथ यौगिक अभ्यासों का आनन्द प्राप्त किया जिनमें कुलसचिव सुरेश सिंधी, परीक्षा नियंत्रक जगराम मीणा, सुनील टेलर, डॉ. प्रवीण माथुर, डॉ. रीटा मेहरा, डॉ. सूरजमल राव, डॉ. रंजीत कुमार झा, दुर्गा ऑयल मिल के बलराम हरलानी तथा एआरजी सिटी के निवासी भी इस अभ्यास में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर योग विभाग के शिक्षक डॉ. लारा शर्मा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा योग में रोजगार की अपार की संभावनाओं को देखते हुए पाठ्यक्रमों की जानकारी प्रदान की तथा जिन छात्रों का विभिन्न कॉरपोरेट सेक्टर तथा आयुष विभाग में प्लेसमेण्ट हुआ है उनकी जानकारी दी साथ ही उन्होंने बताया कि योग में डिग्री, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया जारी है। इस अवसर पर योग प्रदर्शन में मेघनाथ, सत्यनारायण का सहयोग रहा।
डॉ. लारा शर्मा
9414499727

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