सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा इस समय पूरे विश्व में आतंकी घंटनाये तेजी से बढ़ रही हैं

अजमेर 18 जुलाई। विष्व विवख्यात सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती के वंषज एवं वंषानुगत सज्जदानषीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि इस समय पूरे विश्व में आतंकी घंटनाये बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। एक के बाद एक आतंकी हमलें जिसमे सैकड़ों हजारों जाने जा रही हैं। ऐसा लग रहा है मानों मनुष्य की जिंदगी का कोई मोल ही न रह गया हो। आतंकवादियों के निशाने पर मौजूद फ्रांस एक बार फिर आतंकी हमले का शिकार हुआ है जो विष्व के बड़े मुल्कों की आधुनिक सुरक्षा पर आतंकवाद की नई चुनौती के रूप मे सामने आया है।
दरगाह दीवान ने सोमवार को जारी ब्यान मे कहा कि फ्रांस में हुए हमलों ने आतंकवाद के भयावह और विनाशकारी चेहरे को फिर बेनकाब किया है इस त्रासदी के बाद आतंक को जड़ से उखाड़ने के वैश्विक संकल्प को पूरी ताकत से पूरा करने की जरूरत है, उन्होने आगे कहा कि परस्पर सहभागिता के अभाव और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आतंक के खिलाफ कोई ठोस निर्णय नहीं किये जाने से न सिर्फ आतंक बल्कि कट्टरपंथी विचारधाराओं का प्रतिफलन होता जा रहा है जिससे वैष्विक स्तर पर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों और परिस्थितियों का भी परिणाम नाकारात्मक होते जा रहे है जिससे मुक्ति पाने के लिए उसके प्रति व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
उन्हाने कहा कि हैरान करने वाली बात ये है कि आखिर ऐसे आतंकी हमले कब तक होते रहेंगे ? क्या आतंकियों को रोकने का दम अब किसी भी देश में नही रहा या सबके सब वैश्विक राजनीति के चलते यूही अपने नागरिको को खोते रहेंगे। इस वर्ष सबसे ज्यादा आतंकी हमले हुए और हजारों हजार लोग पूरे विश्व में मारे गए और इन हमलों से प्रभावित होने वालो की संख्या करोड़ो में है।
उन्होने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कुछ देश खुलकर आतंकियों का साथ दे रहे हैं, लेकिन ऐसे देशों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करना चाहता। पूरे विश्व को पता है कि इस समय पाकिस्तान आतंकियों का गढ़ बना हुआ है। इंटरपोल की सूची में सबसे ऊपर टॉप मोस्ट वांटेड आतंकी हफीज सईद कभी लाहौर में भाषण देता देखा जा रहा है, तो कभी करांची में, लेकिन पूरा विश्व शांति से मौत के ऐसे सौदागरों को देख रहा है।
उन्होने कहा कि खासकर महाशक्ति कहे जाने वाले विकसित देश सबके अपने अपने हित हैं ऐसे मुट्ठी भर देश अपने हितों के बोझ तले पूरे विश्व को दबा कर कुचलना चाहते हैं। पूरी दुनिया भर में आतंकवादी हमलों के लिहाज से वर्ष 2016 सबसे अधिक खून-खराबे वाला साल साबित हुआ है। उन्होने कहा कि अंतराष्ट्रीय आंकड़ो के अनुसार पिछले छह महीने में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इस साल सबसे अधिक आतंकवादी हमले भी हुए हैं। इन सभी हमलों में कहीं न कहीं धार्मिक कट्टरता की संलिप्तता रही है। आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करने वाली रूस व अमेरिका जैसी महाशक्तियों के आपसी झगड़ों का नतीजा है आतंकवाद का मौजूदा स्वरूप। जब तक महाशक्तियां दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल बंद नहीं करती और अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद को एक समान मानकर एक जुटकर होकर नहीं लड़ती, तब तक आतंकवाद पर काबू पाना असंभव हैं।
दरगाह दीवान ने कहा कि फ्रांस मे हुऐ हमले मे आतंकियों द्वारा अपनाई गई नई तकनीक से यह स्पष्ट हो गया है कि आतंकवादी दहषत फैलाने के लिये सिर्फ बारूद और हथियारों पर ही निर्भर नहीे रह गऐ है इस तरह का हमला आन्र्तराष्ट्रीय सुरक्षा ऐजेंसियों की आधुनिक सोच के विपरित जाकर किया गया गया है जिससे यह साबित हो गया है र्कि आइ.एर्स.आइ.एस. जैसे आतंकी संगठन पूरी दुनिया में नासूर की तरह फैल चुके है। उन्होने आषंका व्यक्त की कि इसके इलाज में देरी से कहीं यह मर्ज ला इलाज ना हो जाऐ।
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान द्वारा जारी

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