अजमेर। श्री सत्य साई सेवा संगठन, राजस्थान के तत्वावधान में षुकवार को सूचना केन्द्र सभागार में आयोजित सर्वधर्म एकता पर आयोजित सेमिनार ‘‘सबसे प्रेम सबकी सेवा’’ किया गया। जिसमें सर्वधर्म मैत्री संघ के विचारकों ने अपने अपने धर्मानुसार अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम की षुरुआत सर्वधर्म भजन एवं दीप प्रज्जवलन के साथ की गई।
राजस्थान संगठन के अध्यक्ष श्री मनोज बत्रा ने श्री सत्य साई बाबा की षिक्षा पर आधारित मूल मंत्र सबसे प्रेम सबकी सेवा पर संक्षिप्त रुपरेखा प्रस्तुत की। सर्वधर्म मैत्री संघ के अध्यक्ष श्री प्रकाष जैन ने कहा कि यह मंच पूरे देष में विषेषकर अजमेर में पिछले तीस वर्षो से पूरे साम्प्रदायिक सदभाव के साथ कार्यरत है।
चित्रकूट पुष्करधाम के महंत संत श्री पाठक जी महाराज ने कहा कि उन्होंने यह पाठ बचपन से सीखा है और कहा कि सेवा धर्म सबसे कठिन है एवं बिना त्याग एवं तपस्या के संभव नहीं है।
युवा वक्ता डॉ. आदिल ने कुरान की आयतों में वर्णित मौहब्बत के विभिन्न आयामों पर प्रकाष डालते हुए कहा कि बिना इंसान से मौहब्बत किये, खुदा से मौहब्बत करना नामुमकिन है।
गुरुद्वारा गंज के श्री दिलीप सिंह छाबड़ा ने बताया कि परमात्मा किसी मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे या गिरिजाघर में नहीं बल्कि इंसान के ह्दय में बसता है।
फादर कॉसमॉस षेखावत ने कहा कि बाइबिल अपने आप में एक प्रेम कहानी है और यदि हम इंसान से प्रेम किये बिना ही भगवान से प्रेम करते है तो यह मिथ्या सोच है। प्रेम और सेवा की षुरुआत हमेषा परिवार से होती है।
जैन धर्म के सुकान्त ने भगवान महावीर के जियो और जीने दो संदेष पर जोर दिया एवं पारसी धर्म के श्री नौषाद मारफतिया ने बताया कि उनका धर्म छ हजार वर्षो से सेवा में है।
श्री सत्य साई सेवा संगठन के उपाध्यक्ष श्री नागार्जुन रमणी ने श्री सत्य साई बाबा के साथ अनुभव को साझा किया और बाबा की दिव्यता पर प्रकाष डाला।
श्री सत्य साई सेवा संगठन के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री निमिष पाड्या ने बाबा के इस कथन को कि ‘‘तुम भी भगवान हो, मैं भी भगवान हो’’ विषेष तजरीह देते हुए समाज से यह अपेक्षा कि की यह विचार करने का समय नहीं बल्कि कार्य करने का समय है।
कार्यक्रम का संचालन विभूति ओझा ने किया। अंत में सभी वक्ताओं को स्मृति भेट किया गया। मंगल आरती एवं राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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