उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी प्रकरण के संबंध में दिशा निर्देश जारी

avvnl thumbअजमेर, 3 नवम्बर। विद्युत वितरण कम्पनियों में विद्युत चोरी के प्रकरणों के लिए अध्यक्ष डिस्काॅम्स श्री श्रीमत पाण्डे ने एक आदेश जारी कर अधिकारियों को निर्देश दिए है कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुरूप विद्युत चोरी के मामलों में प्रभावी कार्यवाही की जाए।
आदेश के तहत सतर्कता जांच में पारदर्शिता रखना एवं सतर्कता जांच प्रतिवेदन के दुरूपयोग को रोकना भी आवश्यक हैं। उन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विद्युत चोरी में लिप्त उपभोक्ता/गैर उपभोक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही तथा उपभोक्ताओं की शिकायतों को वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी के माध्यम से उचित सुनवाई हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए है।
अध्यक्ष डिस्काॅम्स ने उक्त आदेश के तहत अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रकरण में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अंतर्गत दर्ज किए जाने वाले प्रकरणों में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा उपभोक्ता के परिसर की जांच करने पर यदि उपभोक्ता के परिसर में प्रथम दृष्ट्या विद्युत चोरी के साक्ष्य मिलते है, तो ऐसे प्रकरणों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अन्तर्गत सतर्कता जांच प्रतिवेदन तैयार किया जाए। यदि मीटर में दर्ज विद्युत करंट एवं मीटर की लोड लाईन में टोंग टेस्टर द्वारा मापा गया विद्युत करंट में अंतर पाया जाता है तो यह अपने आप में ही प्रथम दृष्ट्या विद्युत चोरी का पर्याप्त साक्ष्य माना जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 व 138 के अंतर्गत दर्ज किए जाने वाले प्रकरणों में विशेष परिस्थितियों में जहां उपभोक्ता द्वारा चोरी के साथ दुर्भावनापूर्ण निगम के ट्रांसफार्मर के मीटर बक्से की वैल्डिंग तोड़ना, सीटी-पीटी सैट व टीटीबी को गंभीर रूप से क्षति पहंुचाना, निगम की लाईन से अवैध ट्रांसफार्मर जोड़कर विद्युत चोरी करना एवं निगम के उपकरणों को गंभीर क्षति पहुंचाना पाया जाता है तो ऐसे प्रकरणों को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा के अतिरिक्त, धारा 138 के अन्तर्गत भी दर्ज किया जाकर, जांच प्रतिवेदन तैयार किया जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 के अंतर्गत दर्ज किये जाने वाले ऐसे प्रकरण जिनमें विद्युत चोरी के प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य नहीं मिलते हैं, परन्तु उपभोक्ता द्वारा दुर्भावनापूर्ण ट्रांसफार्मर के मीटर बक्से की वैल्डिंग तोड़ना, सीटी-पीटी सैट व टीटीबी को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाना, अवैध ट्रांसफार्मर एवं निगम के उपकरणों को गंभीर क्षति पहुंचाना पाया जाता है तो ऐसे प्रकरण में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा केवल विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 के तहत कार्यवाही की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 150 के अंतर्गत दर्ज किए जाने वाले प्रकरण जिनमें विद्युत चोरी के मामलों में ऐसे अधिकारी/कर्मचारी, जिनकी भूमिका संदिग्ध पायी जाती है, उनके खिलाफ भी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 150 के अंतर्गत कार्यवाही की जाए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अंतर्गत बनाए हुए जांच प्रतिवेदन पर दोषी उपभोक्ता का मौके पर विद्युत कनेक्शन आवश्यक रूप से विच्छेदित किया जाकर, यथासंभव मीटर व सर्विस लाईन को जब्त किया जाएगा एवं मौके पर उपभोक्ता को जांच प्रतिवेदन तथा फर्द जब्ती की प्रति उपलब्ध करवाई जाएगी। इसकी सूचना संबंधित फीडर इंचार्ज/कनिष्ठ अभियंता को भी मोबाईल पर एसएमएस द्वारा दी जाए एवं कनिष्ठ अभियंता द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे उपभोक्ताओं का विद्युत संबंध प्रकरण की पूर्ण कार्यवाही होने तक विच्छेदित रहे। उन्होंने बताया कि अगर उपभोक्ता वीसीआर/फर्द जब्ती की प्रति लेने से मना करता है तो ऐसी स्थिति में दोनों की प्रति चस्पा किया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही साथ सतर्कता जांच प्रतिवेदन एवं फर्द जब्ती की एक प्रति संबंधित विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाने में 24 घंटे की अवधि में आवश्यक रूप से सूचनार्थ भेजी जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि जांच अधिकारी द्वारा उपभोक्ता को विद्युत चोरी के प्रथम अपराध में वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि की गणना की सूचना संबंधित सहायक अभियंता कार्यालय के मार्फत 24 घंटे के अन्दर लिखित में आवश्यक रूप से दी जाए। अगर उपभोक्ता वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा कराना चाहे, तो बिना किसी समय सीमा के निगम के अधिकृत अधिकारी द्वारा जमा किया जा सकता है। ऐसे प्रकरण, जिनमें विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज हो चुकी है एवं उपभोक्ता उपरोक्त राशि जमा कराना चाहता है, तो अधिकृत अधिकारी उसकी राशि भी जमा करके संबंधित थाने में सूचना भेजना सुनिश्चित करेगें। यदि उपभोक्ता उपरोक्त राशि जमा करवा देता है तो संबंधित सहायक अभियंता उसका कनेक्शन 48 घंटे की अवधि में पुर्नस्थापित किया जाना सुनिश्चित करेंगे।
ऐसे विद्युत चोरी के प्रकरण, जो कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 व 138 में दर्ज किए जाते है, उनमें भी यदि उपभोक्ता चाहे तो विद्युत चोरी के प्रथम अपराध के मामले में वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा करा सकता है, जिससे उसका प्रकरण धारा 135 में कम्पाउण्ड हो जाएगा एवं नियमानुसार विद्युत संबंध पुर्नस्थापित किया जा सकेगा, लेकिन धारा 138 के तहत विधिक कार्यवाही जारी रहेगी। अगर उपभोक्ता 7 दिवस में वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा नहीं कराता है, तो चैकिंग अधिकारी संबंधित विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाने को आरोपी के विरूद्ध उचित विधिक कार्यवाही हेतु सूचित करेंगे।
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निगम के 8 आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति
अजमेर, 3 नवम्बर। अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. में मृत कर्मचारियों के आठ आश्रितों को निगम के विभिन्न कार्यालयों में दो वर्ष की परिवीक्षाकाल पर प्रोबेशनर ट्रेनी के रूप में फिक्सड रेमुनरेशन पर नियुक्ति प्रदान की गयी है।
निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री एम. आर. विश्नोई ने बताया कि नियुक्त किए गए ट्रेनी में एक को कनिष्ठ लिपिक के पद पर, 5 को सहायक प्रथम के पद पर, एक को सहायक द्वितीय के पद पर तथा एक को चपरासी के पद पर नियुक्ति दी गयी है। उन्हांेने बताया कि कनिष्ठ लिपिक के पद पर श्री राजेन्द्र कुमार कुमावत पुत्र श्री लाल चंद को अधीक्षण अभियंता (पवस) नागौर के कार्यालय मंे लगाया गया हैं। वहीं सहायक प्रथम के पद पर श्री कलपेश कुमार मीणा पुत्र श्री नाना को अधीक्षण अभियंता (पवस) उदयपुर में, श्री संजय कुमार फोगट पुत्र श्री थावर सिंह को अधीक्षण अभियंता (पवस) झुंझुनूं में, श्री गोविंद शर्मा पुत्र श्री सीताराम शर्मा को अधीक्षण अभियंता (पवस) सीकर में, श्री अमित कुमार पुत्र श्री सांवर मल योगी को अधीक्षण अभियंता (पवस) सीकर तथा श्री राकेश मीणा पुत्र श्री नारायण लाल कटारा को अधीक्षण अभियंता (पवस) उदयपुर के कार्यालय में नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि सहायक द्वितीय के पद पर श्री इकबाल पुत्र श्री इस्माईल को अधीक्षण अभियंता (जि.वृ.) अजमेर के कार्यालय मंे लगाया गया है। इसी प्रकार चपरासी के पद पर श्रीमती लक्ष्मी देवी पत्नी श्री हाजा राम कटारा को अधीक्षण अभियंता (पवस) डूंगरपुर के कार्यालय में नियुक्त किया गया है।
निगम के सचिव (प्रशासन) श्री बी. एस. शेखावत ने बताया कि कनिष्ठ लिपिक को रेमुनरेशन के रूप 8910 रूपए, सहायक प्रथम को 7790 रूपए तथा सहायक द्वितीय/चपरासी को 7000 रूपये प्रतिमाह मिलेगें।

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