अजमेर 14 नवम्बर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिष्ती के वंषज एवं वंषानुगत सज्जादानषीन दरगाह के आध्यात्मीक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली ने 500 और 1000 रुपये के नोटों का प्रचलन बंद करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले की सराहना करते हऐ कहा कि काला धन और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण की मजबूत नींव इस फैसले से रखी गई है उन्होने प्रधानमंत्री के इस को कदम गरीब, आमजन, समाज और देशहित में करार दिया है।
दरगाह दीवान ने सोमवार जारी बयान में कहा कि आतंकवाद, काला धन, भ्रष्टाचार और पाकिस्तान प्रायोजित नकली करेंसी की सफाई इस निर्णय से होगी उन्होने प्रधानमंत्री के फैसले को अभूतपूर्व, ऐतिहासिक कदम बताते हुऐ कहा कि इस अभूतपूर्व और दृढ़ निर्णय से निश्चित ही आतंकवाद और भ्रष्टाचार के लिए इस्तेमाल किए जा रहे और नासूर बन चुके काले धन पर रोक लगेगी साथ ही देश विकास की दौड़ में और तेज गति से आगे बढ़ेगा।
उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार के इस कदम को भ्रष्टाचार के विरूद्ध युद्ध के रूप में लेते हुऐ देषवासियों को साकारात्मक रूख दिखाना चाहिये यह बात सही है कि आमजन को सरकार के इस फैसले से क्षणिक परेषानियां हो रही है परंतु भविष्य में इसके बहुत रचनात्मक परिणाम आने की प्रबल संभावना है। उन्होने कहा कि सरकार के इस फैसले को राजनीतिक नहीं मानते हुऐ देषहित मे लिया गया निर्णय मानते हुऐ फैसले मे सहयोग की मानसिकता रखनी चाहिये।
उन्होने कहा कि जाली नोटों के धंधे में शामिल लोग आमतौर पर बड़े नोटों को ही अपना निशाना बनाते हैं। अपराधी, आतंकवादी और बड़े पैमाने पर अघोषित आय रखने वाले लोगों के लिए बड़े नोटों को रखना आसान होता है। ऐसे में 500 और 1000 रुपये के मौजूदा नोटों पर रोक लगाने से ऐसे लोगों पर लगाम कसी जा सकेगी और प्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को करारा झटका लगेगा और वित्तीय अपराधियों, आतंकियों के आर्थिक नेटवर्क और भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सकेगी
दीवान साहब ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा बड़े करंसी नोटों पर लगाम कसने के चलते अपराधियों के पकड़े जाने की संभावना अधिक होगी। बड़े नोटों को बंद करने से आतंकियों के आर्थिक नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सकेगा। आमतौर पर कैश ट्रांजेक्शन को हर जगह स्वीकार किया जाता है। इन नोटों को बड़ी संख्या में कहीं भी ले जाना आसान होता है और पकड़े जाने का खतरा बेहद कम रहता है।
