अजमेर/ ‘झुकी हुई कमर के पेड़ आजकल आम हैं‘ कविता के माध्यम से कमजोर होती पीढ़ी को इंगित करते हुए ‘खबर सबको है पर सब बेखबर हैं‘ पंक्तियों से संस्कृति चिंतक एवं संजिदा कवि डॉ. सुरेन्द्र भटनागर ने वर्तमान जनता की स्थिति पर गहरा कटाक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने ‘कुरूक्षेत्र पहले से अधिक क्रूर है, इन्द्रप्रस्थ अभी दूर है‘ और ‘सत्य और समय की कोई सीधी गति नहीं होती‘, ‘बेटियों दर्पण को नहीं खुद को देखो, एक नये भारत को जन्म दो‘ तथा ‘जीने की ईच्छा से बड़ी होती है जीतने की ईच्छा जीजीविषा‘ कविताएं सुनाकर श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि धन, ज्ञान, शिक्षा, तकनीकी और व्यवसाय का ध्रुवीकरण हुआ है, भारत के समूचे विकास के लिए इन्हें आज गाँवों तक पहुँचाने की आवश्यकता है। वे कला व साहित्य के प्रति समर्पित संस्था ‘‘नाट्यवृंद’’ द्वारा स्थापना के रजत वर्ष में प्रारंभ की गई साहित्यिक गोष्ठियों की श्रृंखला में रविवार 23 सितम्बर, 2012 को सांय 4ः00 बजे वैशाली नगर स्थित श्रमजीवी महाविद्यालय में आयोजित ‘‘काव्य-पाठ एवं पुस्तक चर्चा‘‘ कार्यक्रम में एकल कविता पाठ कर रहे थे।
गोष्ठी के प्रारंभ में संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने परिचय देते हुए कहा कि डॉ.भटनागर की कविताओं में मानवीय संवेदनाए-स्थितियां और भारतीय चिंतन प्रस्तुत होता है। डॉ. भटनागर की नयी कृति ‘अथर्वभारत‘ पर विवेचन करते हुए डॉ. अनन्त भटनागर ने कहा कि इस पुस्तक में भारत की संकल्पना, विकास, विभाजित वर्तमान भारत की स्थिति और अब यह कैसे बदले इस महत्वपूर्ण चिन्तन को एकीक्रत किया गया है। इसमें भारतीय संस्कृति-सभ्यता के विविध आयामों की वैज्ञानिक, विवेकशील व तार्किक प्रस्तुति करते हुए धार्मिक सौहार्द के लिए हर ओर से उदारता की आवश्यकता की बात कही गयी है। अध्यक्षता करते हुए विख्यात गीतकार गोपाल गर्ग ने भारतीय साहित्य, सभ्यता, दर्शन और विज्ञान को एतिहासिक पृष्ठभूमि में समझते हुए सार्थक चिन्तन की आज जरूरत है। सारस्वत अतिथि डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने कहा कि जिस देश-समाज के लोग अपनी मातृभूमि को जितना समझेंगे, उससे जुड़ेंगे वह देश उतनी ही तरक्की कर सकेगा। इस अवसर पर अमरीका में अपनी विशेष व्यंग्यात्मक हास्य कविताओं के द्वारा अजमेर का गौरव बढ़ाने वाले हास्य कवि रासबिहारी गौड़ को दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। गोष्ठी में कवि बख्शीश सिंह, बाल कवि गोविन्द भारद्वाज, चेतना उपाध्याय, डॉ. सतीश अग्रवाल, राजेश भटनागर, शशि गर्ग, अशोक भागवत, देवदत्त शर्मा सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित थे।
~उमेश कुमार चौरसिया
संयोजक
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