अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी

dsc_0057aअजमेर, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ एवं वाणिज्य संकाय, मदस विश्वविद्यालय, अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘उच्च शिक्षा में परीक्षा सुधार‘‘ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सम्पर्क प्रमुख प्रोफेसर अनिरूद्ध देशपांडे, मुख्य अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल, विशिष्ट अतिथि अ.भ. रा. स. म. के संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर, अध्यक्षता मदस विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी, आयोजन संयोजक प्रोफेसर बी.पी. सारस्वत एवं आयोजन सचिव डॉ. एस.के. बिस्सू रहे।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर देशपांडे ने कहा कि परीक्षा व्यवस्था में छात्र, शिक्षक व समाज की विश्वनीयता स्थापित करने के लिए हमें प्रयत्नशील होना चाहिए। उन्होंने परीक्षा पद्धति में पारदर्शिता पर जोर दिया और बताया कि परीक्षा व्यवस्था में समग्रता को लाना होगा। आज विश्वविद्यालय मात्र परीक्षा कराने वाली संस्थान बन कर रह गये हैं जबकि विश्वविद्यालयों को शिक्षण के साथ अनुसंधान पर जोर देना बहुत जरूरी है।
मुख्य अतिथि प्रो. जे.पी. सिंघल ने बताया कि पाठ्यक्रमों सुधारवादी दृष्टिकोण लाते हुए उसे देश की संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता है। साथ ही वह दुनिया के किसी भी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से कम न हो अर्थात एकरूपता हो। परीक्षा की व्यवस्था वैश्विक रूप ;ळसवइंसल ंबबमचजपंइसमद्ध से स्वीकार्य हो एवं पारदर्शी हो। साथ ही परीक्षा व्यवस्था में मानवीय प्रयास कम हों एवं यांत्रिक प्रयास अधिक हो।
प्रो. सोडाणी ने कहा कि पाठ्यक्रम निर्माण एवं परीक्षा व्यवस्था में गंभीरता लाने की नितांत आवश्यकता है। आज के परिप्रेक्ष्य में विस्तृत क्षेत्र में परीक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है और इस लगातार चिंतन मनन चल रहा है और समय-समय पर सुधार हो भी रहे हैं जिनके परिणाम हमारे सामने हैं।
आयोजन संयोजक प्रो. सारस्वत ने बताया कि आज एक ऐसी परीक्षा पद्धति की आवश्यकता है जो विद्यार्थियों को राष्ट्र व समाज के लिए संवेदनशील बना सके।
संगोष्ठी में कुल तीन तकनीकी सत्र होंगे जिनमें प्रथम सत्र में अध्यक्ष प्रो. के.सी. शर्मा एवं विषय विशेषज्ञ प्रो. अनुराग मिश्रा एवं आशीष भटनागर रहे। यह तकनीकी सत्र च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम ;ब्ठब्ैद्ध एवं क्रेडिट स्थानान्तरण पर आधारित रहा। जिसमें प्रो. शर्मा ने बताया कि वर्तमान तकनीक के युग में वैश्विक मांग के अनुरूप हमें और कार्य करते हुए सम्पूर्ण ज्ञान की तरफ बढ़ना है। सीबीसीएस इस दिशा में एक अग्रणी व्यवस्था है।
द्वितीय तकनीकी सत्र परीक्षा की श्रेष्ठ मूल्यांकन पद्धति पर आधारित रहा जिसमें शैक्षिक मंथन पत्रिका के सम्पादक प्रो. संतोष पाण्डे ने अध्यक्षता, वक्ता रूक्टा राष्ट्रीय के अध्यक्ष प्रो. दिगविजय सिंह शेखावत एवं डॉ. हेमचन्द जैन रहे। प्रो. पाण्डे ने विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय शिक्षा एवं परीक्षा प्रणाली सर्वश्रेष्ठ रही है जिसका उदाहरण उन्होंने नालन्दा एवं तक्षशिला विश्वविद्यालय से दिया और निकट भविष्य में भी देशानुकूल एवं विषयानुकूल सुधार होते रहेंगे जिससे देश में शिक्षा की एक उच्च स्तरीय व्यवस्था हो सकेगी।

(प्रोफेसर बी.पी. सारस्वत)
आयोजन निदेशक, संगोष्ठी
मोबा. 9414007655

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