हिंगोनिया गौशाला पहुंचकर गौवंश संरक्षण से जन-जन को जोड़े जाने पर दिया जोर

गौवंश संरक्षण के लिए युवा केन्द्रि सोच पर कार्य किए जाने पर दिया जोर
गाय के वैज्ञानिक महत्व को समझ कर उसे जन-जन तक पहुंचाए
– शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्राी

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी
अजमेर/जयपुर, 14 जनवरी। शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा है कि वर्तमान संदर्भों में गाय के वैज्ञानिक महत्व को समझ कर उसे जन-जन तक पहुंचाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गौमाता को बचाया तो समझ लीजिये हम स्वतः ही राष्ट्रहित से जुड़ गए हैं। उन्होंने गौवंश संरक्षण के जरिए दीर्घकालीन समाज हित की सोच से युवाओं को जोड़ जाने के कार्यक्रम देशभर में चलाए जाने पर जोर दिया।
प्रो. देवनानी ने शनिवार को हिंगोनिया गौशाला में अक्षय पात्रा फाउण्डेशन की ओर से आयोजित गौ वंश संरक्षण संबंधित एक विशेष कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने हिंगोनिया गौशाला में गायों के लिए की गई व्यवस्थाओं और पृथक पृथक बनाए बाड़ों की वैज्ञानिक संरचना की भी सराहना की। बाद में उन्होंने मकर सक्रांति पर हिंगानिया गौशाला की गायों को चारा और गुड़ खिलाने के साथ ही उनकी कईं देर रूककर सेवा भी की तथा कहा कि गाय हमारे जीवन का आधार हैं। उन्होंने युवाओं में गौवंश के वैज्ञानिक महत्व को प्रसारित करने के सतत कार्यक्रम आयोजित किए जाने के साथ ही देश और राज्य के विकास में गौधन के उपयोग समझे जाने के वृहद स्तर पर प्रयास किए जाने पर जोर दिया।
शिक्षा राज्य मंत्राी ने कहा कि गौवश से ही किसान है। स्वच्छ भारत, जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाव के साथ ही गौ वंश संरक्षण के लिए युवा केन्द्रित सोच पर कार्य किए जाने की जरूरत है। उन्होंने खेती में गाय के गोबर की उपयोगिता की चर्चा करते हुए कहा कि बेहतरी खाद कोई है तो वह गोबर ही है। उन्होंने कहा कि खेत में जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्रा से भूमि में स्वतः खाद डलती जाती है। उन्होंने गौमूत्रा के लाभ बताने के साथ ही कहा कि गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्रा 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से बचा सकता है।
प्रो. देवनानी ने गाय के वैज्ञानिक महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि गाय एकमात्रा ऐसा प्राणी है, जो आॅक्सीजन ग्रहण करता है और आॅक्सीजन ही छोड़ता है। उन्होंने कहा कि गाय का दूध फैट रहित परंतु शक्तिशाली होता है उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता। इसी तरह गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश होता है। उन्होंने कहा कि गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ सर्दी, खांसी, जुकाम का नाश हो जाता है। गाय के गोबर में विटामिन बी ही प्रचुर मात्रा में नहीं पाया जाता बल्कि यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है।
उन्होंने गौ मुत्रा के औषधीय उपयोग, गाय के गोबर से गैस प्लांट लगाए जाने आदि पर जोर देते हुए कहा कि आधुनिक बनने व दिखने की दौड़ में गाय से जुड़ी भारतीय सनातन परम्पराओं के वैज्ञानिक पक्ष की जो अनदेखी हो रही है, उसे तर्क सहित दूर किए जाने की जरूरत है। इसमें युवा प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने अक्षयपात्रा फाउण्डेशन के जरिए इस दिशा में भी कार्य किए जाने की आवश्यकता जताई। इससे पहले अक्षय पात्रा फाउण्डेशन के कर्मचारियों ने गौवंश संरक्षण के साथ ही गाय के वैज्ञानिक महत्व पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया।

error: Content is protected !!