मित्तल हॉस्पिटल में फोलोअप षिविर में सैकंड़ों ने पाया लाभ

_DSC7389अजमेर 2 मई। विश्व अस्थमा दिवस 2 मई के अवसर पर मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर आयोजित निःशुल्क जांच व परामर्श शिविर में सैकंड़ों रोगियों ने लाभ पाया। इस शिविर में मित्तल हॉस्पिटल के अस्थमा, टी.बी व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद दाधीच ने रोगियों को परामर्श प्रदान किया। शिविर में रोगियों की कम्प्यूटर द्वारा फेफड़ों की स्पायरोमिट्री जांच, स्मोक चेक मीटर से जांच, मधुमेह की जांच निःशुल्क की गई। रोगियों को प्रोजेक्टर के द्वारा श्वास रोगों की जानकारी भी दी गई और फिजीयोथैरिपस्ट व डायटीशियन की सलाह दिलाई गई।
मित्तल हॉस्पिटल के अस्थमा, टी.बी व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद दाधीच ने बताया कि अस्थमा एक दीर्धकालिक सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की सांस की नलियों में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण सांस की नलियां सिकुड़ जाती है और फेफड़े अति संवेदनशील हो जाते हैं। कोई भी एलर्जी अस्थमा अटैक में ट्रिगर का काम करती है। धूल, ठंड, पराग, जानवरों के फर, व वायरस और हवा के प्रदूषक और कई बार तो भावनात्मक गुस्सा भी अस्थमा अटैक का कारण बनता है।
डॉ दाधीच ने कहा कि लगातार बढ़ते प्रदूषण और मौसम में हो रहे परिवर्तन के चलते यह रोग राजस्थान में तेजी से बढ़ता जा रहा है। बच्चों में बढ़ता हुआ अस्थमा हमारे लिए चिंता का विषय है। अभिभावक यह स्वीकार ही नहीं करते कि उनका बच्चा अस्थमा की जकड़ में है। इसके पीछे हमारी लाइफ स्टाइल भी जिम्मेदार है। कसरत ना करना, अस्वस्थ खान-पान, पर्यावरण आदि का प्रभाव बच्चों में रोग को तेजी से बढ़ा देता है। हां अगर बच्चों में समय रहते पल्मोनोलोजिस्ट के परामर्श से उपचार शुरू किया जाए तो आगे की जिंदगी को बेहतर तरीके से जिया जा सकता है।
आमतौर पर अस्थमा के लक्ष्णों में बार-बार छाती में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत ओर सांसी होना, बच्चों में अस्थमा का जाहिरा लक्षण रात या सुबह जल्दी खांसी रहना है। कई तरह के खांसी के सिरप और अन्य दवाइयां लेने के बावजूद खांसी का लगातार रहना अस्थमा का लक्षण हो सकता है।
गौरतलब है कि अस्थमा दिवस 2 मई के विशेष अवसर पर मित्तल हॉस्पिटल की ओर से 30 अप्रेल और 1 मई को शहर के विभिन्न स्थानों पर 540 लोगों के फेफड़ों की पीक फ्लोमीटर से जांच की गई। जांच के दौरान फेफड़ों के कमजोर या संक्रमित होने के लक्षण पाए जाने वाले व्यक्तियों की फोलोअप जांच मंगलवार को मित्तल हॉस्पिटल में की गई।
जिन लोगों को कई हफ्तों से खांसी है व बलगम आता है, बलगम में खून व छाती में जकड़न है, सांस में सीटी जैसी आवाज आती है, मौसम बदलने पर सांस लेने में तकलीफ है, लम्बे समय से जुकाम है तथा शरीर हर समय थका रहता है? ऐसे अनेक रोगी शिविर का लाभ लेने पहुंचे। इनमें अजमेर के अलावा रियां बड़ी, किशनगढ़, नसीराबाद, सरवाड़, मालपुरा, केकड़ी से आए रोगियों ने भी लाभ पाया।
निदेशक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि शिविर में पंजीयन कराने वाले रोगियों को पल्मोनोलोजिस्ट द्वारा जांच व परामर्श सहित फिजीयोथैरेपिस्ट व डायटीशियन की सलाह प्रदान की गई। रोगियों की मधुमेह (ब्लड शुगर) की जांच , कम्प्यूटर द्वारा फेफड़ों की स्पायरोमिट्री जांच , फेफड़े के कैंसर की जानकारी व प्रोजेक्टर द्वारा श्वास रोगों की जानकारी दी गई। चिकित्सक द्वारा निर्देशित अन्य जांचों पर 25 प्रतिशत तथा प्रोसीजर्स पर 10 प्रतिशत की छूट भी प्रदान की गई।
मित्तल हॉस्पिटल के अस्थमा, टी.बी व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद दाधीच ने बताया कि अस्थमा को जड़ से मिटाया जाना संभव नहीं है पर इसे नियंत्रित करके सक्रिय जिंदगी को जिया जा सकता है। खास तौर पर बच्चों में यदि अस्थमा के लक्षण दिखाई देते हों तो उसे बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ दाधीच ने बताया कि अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए बाजार में कई तरह की थेरेपियां व दवाइयां मौजूद हैं लेकिन दुनियाभर में इंहेलेशन थेरेपी को सबसे बेहतरीन व सुरक्षित तकनीक माना गया है। क्यों कि इसमें दवाइयों का डोज सीधे फेफड़ों में पहुंचता है और तुरंत असर करता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि इंहेलेशन थेरेपी में टैब्लेट या सिरप के मुकाबले 20 गुना कम डोज है और कम डोज ही बहुत प्रभावी होता है।
मित्तल हॉस्पिटल रोगी को अस्थमा के लक्षणों, इलाज और देखभाल की समय पर सही और प्रमाणित जानकारी देने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त चिकित्सा संस्थान है। अस्थमा दिवस के मौके पर यही कहा जा सकता है कि अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहे और अस्थमा के लक्षणों को पहचानें।
सन्तोष गुप्ता
प्रबन्धक जनसर्म्क / 9116049809

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