प्राणिक ऊर्जा का स्रोत है सूर्यनमस्कार

शहीद भगतसिंह उद्यान वैशाली नगर में चल रहा है दस दिवसीय योग प्रशिक्षण सत्र

Yog 2वनस्पति जगत, प्राणी जगत तथा संपूर्ण ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का स्रोत सूर्य है। घेरण्ड संहिता में वर्णित सूर्यनमस्कार बारह आसनों का ऐसा सम्मिश्रण है जिसके अभ्यास से समस्त चराचर जगत में व्याप्त सकारात्मक ऊर्जा से न केवल शरीर अपितु मन, बुद्धि एवं प्राण भी ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाते हैं। यह अभ्यास मन को साधने का कार्य करता है जिससे स्थिरता पूर्वक आसन एवं मंथरता पूर्वक प्राणायाम करने की क्षमता विकसित होती है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान के प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख डॉ0 स्वतन्त्र शर्मा ने केन्द्र की अजमेर शाखा की ओर से शहीद भगत सिंह उद्यान, वैशाली नगर चल रहे योग प्रशिक्षण के दूसरे दिन के सत्र में व्यक्त किए।
आज साधकों को चरणबद्ध रूप से श्वासों की गति को नियंत्रित करते हुए मंत्रोच्चार के साथ सूर्यनमस्कार का प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. शर्मा ने बताया कि मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का माध्यम योग है। इसके अभाव में हमारे मन में नैसर्गिक रूप से नकारात्मक विचार घर करने लगते हैं और यह प्रकृति का स्वभाविक नियम भी है, इसलिए हमें योग अभ्यास की समाहित अवस्था को शेष दिन की गतिविधियों के लिए व्युत्थान अवस्था में बदलने की कला आनी चाहिए। जीवन जीने की यह कला ही योग कहलाती है।
नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि रविवार को बीजमंत्रों के साथ सामूहिक सूर्यनमस्कार का अभ्यास कराया जाएगा।

(रविन्द्र जैन)
नगर प्रमुख
9414618062

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