अजमेर 3 जून। मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर अजमेर के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. तरुण सक्सेना का शोध पत्र अमेरिका के ख्यातनाम न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। डॉ तरुण ने शोध के आधार पर बताया कि मरीजों में दिमाग के खून का संचार सामान्य होने पर भी लकवा हो सकता है। इसलिए दिमाग की रक्त संचार व्यवस्था को सुचारू रखने के अलावा मेटावॉलिज्म को भी व्यवस्थित करना चाहिए।
न्यूजर्सी अमेरिका के ऑस्टिन जरनल ऑफ सेरेब्रोवैक्सकुलर डिसीज एंड स्ट्रोक में प्रकाशित डॉ तरुण के शोध में बताया गया कि 30 से 40 प्रतिशत मरीजों में दिमाग में खून का दौरा सामान्य रहने पर भी उन्हें लकवे की शिकायत हो जाती है। ऐसा मेटावॉलिज्म की भूमिका के कारण होता है। डॉ तरुण ने शोध के आधार पर बताया कि दिमाग की प्रत्येक कोशिका को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऊॅर्जा (एटीपी) पैदा करने की आवश्यकता होती है। ऊॅर्जा की उत्पादकता बेसल मेटावॉलिक दर पर निर्भर करती है। इस दर के अचानक से बदलने के कारण कोशिकाएं आवश्यकता अनुसार ऊॅर्जा पैदा करने में सक्षम नहीं हो पाती और वे स्वतः नष्ट हो जाती हैं।
डॉ तरुण ने शोध के आधार पर बताया कि वातावरण के तापमान में अचानक होने वाले बदलाव, सिम्पैथैटिक नाड़ी की तीव्रता, तनाव आदि स्थितियों में दिमाग में खून का दौरा सामान्य होने के बाद भी मरीज को लकवे की शिकायत सम्भव है। इसलिए दिमाग की रक्त संचार व्यवस्था को सुचारू रखने के अलावा मेटावॉलिज्म को भी व्यवस्थित करना चाहिए। डॉ तरुण ने बताया कि उनके शोध में मित्तल हॉस्पिटल की रेडियोलॉजिस्ट डॉ गरिमा खींची, व मंजरी सक्सेना का सहयोग रहा। डॉ तरुण के शोध को गूगल पर सेल डेथ इन स्ट्रोक-रोल ऑफ मेटावॉलिज्म डाल कर ऑन लाइन पढ़ा किया जा सकता है।
सन्तोष गुप्ता
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