फर्जी मजिस्ट्रेट के मामले को दबाने की कोशिश

अजमेर। फर्जी मजिस्ट्रेट बन कर कोई रौब गालिब करे और अधिकारी उस के झांसे में आ जाएं, यह कोई विशेष बात नहीं लेकिन आश्चर्य तब होता है जब ठगी का शिकार बनने से बचे अधिकारी ही इस मामले को दबाने में जुट जाएं। ऐसा ही एक मामला अजमेर रेलवे स्टेशन का है। स्टेशन अधीक्षक सुरेश चन्द्र भारद्वाज ने टिकिट काउंटर पर फोन कर वहा मौजूद देशराज शर्मा को निर्देश दिए की अपने आप को मजिस्ट्रेट बता रहे अरुणकांत नामक व्यक्ति को आप के पास भेज रहा हूं, उनका टिकिट बना देना। अधिकारी के निर्देश थे, इसलिए देशराज ने प्राथमिकता के आधार पर तथाकथित मजिस्ट्रेट साहब का टिकिट बना दिया। लेकिन जब बात भुगतान की आयी तो अरुणकांत नामक युवक ने खुद को मजिस्ट्रेट बता कर भुगतान से इनकार कर दिया। हंगामा मचा तो टिकिट बनवाने आया युवक फरार हो गया। तहकीकात की गई तो पता चला की फर्जी मजिस्ट्रेट साहब ने अपने ही हस्ताक्षर से एक प्रमाणपत्र तैयार कर रखा था और स्टेशन अधीक्षक सुरेश चन्द्र भारद्वाज ने उसी प्रमाणपत्र के झांसे में आ कर मदद की। यहां तक तो बात ठीक थी लेकिन अब सवाल इस बात का खड़ा हो गया है कि आखिर क्या वजह है की रेल प्रशासन इस फर्जीवाड़े के प्रयास की एफआईआर दर्ज करवाने से हिचकिचा रहा है। फर्जीवाडे का प्रयास करने वाला युवक अजमेर के जोंसगंज इलाके का ही रहने वाला है और उसका असली नाम भी अरुणकांत ही है।
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