मदनगंज-किशनगढ़। मुनि पुंगव 108 सुधासागर जी महाराज ने कहा कि आज कल लोग स्वयं की दृष्टि में क्या है इससे मतलब नहीं रखते दुनिया की नजरों में क्या है इसमें लगे हुए है। हमारा सबकुछ परायों के लिए हो गया है। जितने ज्यादा पराये होते है उनको उतना ज्यादा जय जिनेन्द्र, राम-राम सा करते है। अगर छ: लोगों की बीच में अपना कोई खड़ा है तो उसको छोड कर हम सभी से जय जिनेन्द्र कर लेते है। ऐसा क्यों ? ये बात मुनिश्री ने आर.के. कम्यूनिटी सेन्टर में चल रहे प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि जब घर में कोई मेहमान आता है तो घर की सफाई ज्यादा होती है। सब कुछ मिथ्या दृष्टि हो गई है, जबकि हमें अपनी दृष्टि में सही होना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि हम मंदिर में भगवान के लिए नहीं जाते बल्कि अपने लिए जाते है। मंदिर में हम भगवान को नहीं देखते, भगवान में हमें अपनी आत्मा का दर्शन होता है। जिसके भगवान के दर्शन के भाव नहीं आते है वो पापी है। जब हम मंदिर जाकर आते है तब हमें विश्वास होता है कि अब कोई मेरी निंदा नहीं करेगा कोई अपमान नहीं करेगा। जो व्यक्ति सुन्दर होता है जिसकी आत्मा पवित्र होती है उसको बार-बार भगवान के दर्शन के भाव बनते है। जो कुरूप होता है, जो पापी होता है वो भगवान के दर्शन नहीं करेगा। मुनिश्री ने कहा कि स्मार्ट व्यक्ति बार-बार दर्पण में अपना चेहरा देखता है और आनंदित होता है। उसी तरह भगवान की मूरत भी आत्मा का दर्पण है। जिसकी पवित्र आत्मा है उसको भगवान के दर्शन में अपना स्वरूप दिखता है, वैभव दिखता है। मुनिश्री ने कहा कि प्रवचन में जो महाराज के पहले आ रहा है उसको प्रवचन में रस मिल रहा है और जो अंत में आ रहा है उसको प्रवचन निरस लग रहा है। ये लोग सिर्फ शक्ल दिखाने आते है कि लोग क्या कहेंगे। उन्होंने कहा कि जब कोई दोस्त तुम्हारें घर मम्मी पापा या बड़ो की उपस्थित में आता है तो उत्थान है और जो दोस्त कहता है तेरे मम्मी पापा तो घर पर नहीं है ना, तो मैं आता हँू। तो समझों ऐसी दोस्ती विनाश की ओर पतन की ओर ले जाएगी। मुनिश्री ने कहा कि भगवान के मंदिर निर्माण में तुम सोचों दूसरों के पैसे लग जाए और मैं बच जाऊं। तो निश्चित समझ लेना तुम्हारा पतन है। मंदिर निर्माण में तो होड़ लगाओं के मंदिर मैं बनाऊंगा।
श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन पंचायत के प्रचार प्रसार मंत्री विकास छाबड़ा ने बताया कि चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन और पाद प्रक्षालन का सौभाग्य आदिनाथ पंचायत के सदस्यों को मिला। इसके साथ ही मुनिश्री का पूजन, सामयिक, जिज्ञासा समाधान, बच्चों की पाठशाला, आरती आदि दैनिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए।
इस अवसर पर निहालचंद पहाडिय़ा, प्रकाश गंगवाल, कैलाशचंद पहाडिय़ा, सम्पत दगड़ा, निरंजन बैद, महावीर गंगवाल, नौरतमल पाटनी, एम.के. जैन, विनोद चौधरी, जितेन्द्र छाबड़ा, भागचंद चौधरी, महेन्द्रकुमार गोधा, अनिल गंगवाल, अंकित गदिया, पंकज गंगवाल, रितेश गंगवाल, नितेश पाटनी, अभिषेक गंगवाल, पदमकुमार गंगवाल आदि समाज के लोग उपस्थित थे।