वेदों को घर-घर की आवाज बनाये – राज्यपाल

महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय का आठवां दीक्षान्त समारोह
कुलाधिपति ने महर्षि दयानन्द सरस्वती शोध पीठ के लिए मौके पर राशि उपलब्ध करवाई

JRD_5905अजमेर, एक अगस्त। कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि ‘‘वेद न केवल भारतवर्ष की बल्कि विश्व संस्कृति का आधार हैं। वेद पर विश्व मे शोध हो रहे हैं।‘‘ उन्होंने कहा कि ’’वेदों में जो भाष्य लिखे गये हैं वे आमजन के लिए बोधगम्य नहीं हैं। यह विश्वविद्यालय महर्षि दयानन्द सरस्वती शोध पीठ के माध्यम से वेदों के सार को, उनके मूल तत्व को ऐसी सीधी, सरल एवं आमजन की भाषा में तैयार करें जिससे वेद घर-घर की आवाज बन सके।‘‘
राज्यपाल श्री सिंह मंगलवार को अजमेर के महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने छात्रा-छात्राओं को उपाधियाँ एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। कुलाधिपति का स्वर्ण पदक भूमिका माधु को प्रदान किया गया।
राज्यपाल श्री सिंह ने कहा कि ’’वेदों को जन-जन तक सरल भाषा में पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालय यदि सफल रहा तो यह स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को सच्ची श्रद्वांजलि होगी और स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के ’’गो टु वेदाज’’ के नारे को साकार रूप देने में सच्ची पहल होगी।’’ श्री सिंह ने कहा कि ’’मैं आज इस विश्वविद्यालय को एक दायित्व सौंपना चाहता हूँ। यह विश्वविद्यालय महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की निर्वाण भूमि पर स्थापित है। विश्वविद्यालय का नाम भी महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के नाम पर है। विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के नाम पर शोध पीठ की स्थापना भी हो गई है। गो टु वेदाज का नारा केवल 19वीं सदी के लिए ही प्रासांगिक नहीं था, बल्कि इसकी उपादेयता आज 21वीं सदी में भी उतनी ही है। यह सार्वकालिक ज्ञान, विज्ञान एवं आध्यात्म की कंुजी है।’’ श्री सिंह ने मौके पर ही महर्षि दयानन्द सरस्वती शोध पीठ के लिए एक करोड़ रूपये की राशि का चैक विश्वविद्यालय के कुलपति श्री भगीरथ सिंह को सौंपा।
श्री सिंह ने युवा पीढ़ी को जीवन की सफलता का सूत्रा बताया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच के साथ लक्ष्य निर्धारित रखे और संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए सही समय पर सही निर्णय ले तो जीवन में सफलता ही सफलता मिलेगी। उन्होंने स्वावलम्बन और सहयोग को मानव जीवन की सफलता की कुंजी बताया है।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा में तीव्र गति से परिवर्तन हो रहे हैं। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य चरित्रा निर्माण है। चरित्रा निर्माण के लिए शिक्षा जरूरी हैं। शिक्षा ही मानवीय गुणों का आभास करवाती है। युवाओं में गुणों को आत्मसात करवाने में शिक्षकों की महती भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में समय के अनुकूल नवीनता का प्रयोग होना आवश्यक है। विद्यार्थियों को समझने में तथा शिक्षकों को समझाने में हो रही कठिनाइयों के युक्ति-युक्त सरलीकरण को ही कक्षा में नवाचार प्रयोग की संज्ञा से जाना जाता है। श्री सिंह ने नवाचार सीखना और सिखाना जरूरी बताया।
श्री सिंह ने कहा कि ‘‘शिक्षा एक सांचा है, जिसमें समग्र जीवन को ढ़ाला जा सकता है। संाचा जैसा होता है, उसी प्रकार के पात्रा उसमें ढ़लकर निकलते हैं। अर्थात् हमें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों का निर्माण हो सके। विश्वविद्यालय की मर्यादा एवं गरिमा को बनाये रखने का दायित्व हम सभी पर है। परिसरों में संसाधनों के लिए सरकार हरसंभव प्रयासरत है। देश की गुरू गौरव गाथा को अदम्य उत्साह के साथ युवा पीढ़ी आगे बढ़ाये।‘‘
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़े तथा यह विश्व विद्यालय एक आदर्श विश्व विद्यालय के रूप में अपनी छाप बनायंे, ऐसे प्रयास किये जाने चाहिए।
समारोह के मुख्य अतिथि एवं नोबल पुरस्कार प्राप्त कैलाश सत्यार्थी ने विद्यार्थियों को इतिहास पढ़ने वाले नहीं इतिहास की रचना करने वाले नौजवान बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के तीन रास्ते होते है। पहला रास्ता कैरियर के नाम पर सामान्य होता है। इसे अधिकतर डिग्री प्राप्त युवा चुनना चाहते है। यह रास्ता बना बनाया राजमार्ग की तरह होता है। इसके लिए विशेष परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यहां भीड़ जरूर होती है। दूसरा रास्ता थोड़ा कठिनाइयों से भरा होता है। इसे पगडण्डी की संज्ञा दी जा सकती है। इस पर कम व्यक्ति ही चलते है। तीसरा रास्ता स्वयं के अन्दर का होता है। इस पर बिरले ही चलते है। इस रास्ते पर चलने वालों को स्वयं ही रास्ता बनाना होता है और स्वय ंही मंजिल तय करनी पड़ती है। इसे चुनने वाला इतिहास बनाता है और बदलता है। मैदान के बाहर खड़े होकर तालियां बजाने से बेहतर है जीत हार की परवाह किए बिना मैदान ए जंग में शरीक होना उत्तम है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान गरिमा, अस्मिता एवं साहस का प्रदेश है। यहां की बेटिया प्रत्येक क्षेत्रा में अग्र्रणी है। माता-पिता और परिवार के द्वारा सीखाएं गए जीवन के पाठ से ही विद्यार्थी उपाधि प्राप्त करने के योग्य होता है। इनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए। शैक्षिक संस्थानों द्वारा प्रदान की गई डिग्री जिन्दगी के दो अध्यायों के मध्य पुल का कार्य करते है। यह डिग्री कक्षा कक्ष से व्यवहारिक ज्ञान की दूनिया में ले जाती है। डिग्री प्राप्त करने के पश्चात का समय परिवार और समाज को लौटाने के लिए होता है। शिक्षा हमें दीपक बनने की प्रेरणा देती है। इसकी रोशनी मानवता के लिए होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत में ज्ञान, लक्ष्मी और बल की देवी मानी गई है। यह हमे महिलाओं के प्रति सम्मान के संस्कार देती है। बलात्कार जैसी घीनौनी हरकते भारतीय संस्कृति और संस्कारों के लिए चुनौति है। इसे रोकने के लिए पुलिस और समाज को मिलकर कार्य करना होगा। शिक्षक विद्यार्थी को संस्कार और शिक्षा देता है। गुरू इन शिक्षा और संस्कारों को जीवन में जीता है। भय मुक्त सुरक्षित समाज एवं भारत के निर्माण में सबका सहयोग अपेक्षित है।
श्री सत्यार्थी ने सफलता के लिए विद्यार्थियों को तीन डी ( थ्रीडी) अपनाने का आह्वान किया। इसे विस्तारपूर्वक समझाते हुए बताया कि पहला डी ड्रीम (सपने) से संबंधित है। युवाओं को बड़े सपने देखने चाहिए जोकि देश समाज और मानवता के लिए हो। दूसरा डी डिस्कवर (खोज) के लिए है। यह हमें अन्दर की ताकत को तथा बाहर की चुनौतियों को पहचान कर अवसर में बदलने की प्रेरणा देता है। हमें बाहर के हिरो की नहीं अपने अन्दर के हिरो को पहचानने की आवश्यकता है। तीसरा डी डू से जुड़ा हुआ है। इसके अनुसार हमें देश और समाज के लिए कार्य करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। देश करवट ले रहा है।
समारोह में तकनीकी, उच्च तथा संस्कृत शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी ने कहा कि भारत की बेटिया गोल्ड मेडल ले रही है। अब भारत को आगे बढ़ने के लिए नयी गति मिलेगी। राज्यपाल श्री कल्याण सिंह द्वारा दीक्षान्त समारोह में भारतीय वेशभूषा अपनाने के निर्देश प्रदान किए थे। साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय को कुल गीत, समय पर डिग्री मिलना सुनिश्चित करने जैसे सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा गया था। इन्हीं का परिणाम है कि समस्त विश्वविद्यालयों के सिस्टम में परिवर्तन आया है।
उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ संवेदनशीलता भी आवश्यक है। इससे विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के लिए अधिक उपयोगी बन पाएंगे। भारतीय परम्परा में शिक्षा जीवन यापन तक ही सीमित नहीं रही है। इसने जीवन के प्रत्येक क्षेत्रा को प्रभावित किया है। शिक्षा में कर्तव्य पालन, आत्मविश्वास, जिज्ञासा, सकारात्मक सोच तथा भारतीय जीवन मूल्यों को अपनाकर जीवन में सफलता प्राप्त करने की योग्यता होती है। विश्वविद्यालयों में डिजीटल लाइब्रेरी, ई कक्षा जैसे नवाचार आरम्भ किए जा रहे है। सरकार ने राज्य में नए विश्वविद्यालय खोलने की घोषणाएं की है। राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर सीनियर सैकण्डरी तथा उपखण्ड स्तर पर महाविद्यालय की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे है। वर्तमान में केवल तीस मुख्यालयों पर ही महाविद्यालय खोला जाना शेष है। दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए जयपुर में राजकीय महाविद्यालय खोला गया है। प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी कौशल विकास के माध्यम से रोजगार प्रदान करने की मंशा रखते है इसी को आगे बढ़ाते हुए प्रत्येक महाविद्यालय में कौशल विकास केन्द्र खोला जाएगा। इसी प्रकार जीएसटी के प्रति जागरूक करने के लिए महाविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इन्ह­ मिले स्वर्ण पदक
दीक्षान्त समारोह में भूमिका माधू को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 20 विद्यार्थियों को विद्या वाचस्पति तथा 34 को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इनमें छात्राएं-ममता सैनी एलएमएम, आयुषी शर्मा – एमबीए (डीएस) नाजनीन-एमबीए , म¨निका स¨नी अर्थशास्त्रा, भूमि जन¨तिया एम.ए.भूग¨ल, प्रज्ञा नामा-ल¨क प्रशासन, पिंकी पांडे गणित, आकांक्षा ज¨शी-वनस्पति शाó, सीमा छाबा-भ©तिक विज्ञान, सुरभि कुमावत-कम्प्यूटर साइंस, निधि अग्रवाल-सूचना तकनीकी, मीनाक्षी राठ©ड़-प्राणी शाó, नीलम च©धरी-अनुप्रयुक्त रसायन विज्ञान, दीपिका वैष्णव-पर्यावरण विज्ञान, श्वेता छापवाल-खाद्य एवं प¨षण, गरिमा स¨ढा-सुदूर संवेदन एवं भू-विज्ञान, दीपिका त¨षनीवाल-लेखांकन एवं व्यावसायिक सांख्यिकी, निशा नेभवानी-आ£थक प्रशासन एवं वित्तीय प्रबंधन, दीपिका ह¨तानी-व्यावसायिक प्रशासन, पूनम शर्मा-हिंदी, यासामीन बान¨-संस्कृत, भारती रजवानी-सिंधी, सैयदा अनीस फातिमा-उर्दू, नेहा मेहरा-भारतीय संगीत, विन¨द कंवर-आरेखन एवं चित्राण, भूमिका मांधू-संस्कृत (कुलाधिपति पदक) है। इसी प्रकार छात्रा-कल्याण सिंह आर्य-पत्राकारिता एवं जनसंचार, नर­द्र कुमार-राजनीति विज्ञान, मनीष सीरवी-इतिहास, रामचंद्र-समाजशाó, सुशील कुमार पाराशर-एमएससी भूग¨ल, ओमप्रकाश ज¨शी-एमएससी रसायन शाó, विर¨श सिंह-दर्शनशाó, कृष्णदेव-अंग्रेजी, सीताराम-राजस्थानी को भी स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
समारोह में मंगलम भवन का लोकार्पण किया गया साथ ही समावर्तन स्मारिका का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण करके पर्यावरण चेतना का संदेश दिया। कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर शिक्षा राज्यमंत्राीश्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती अनिता भदेल, संसदीय सचिव श्री सुरेश सिंह रावत, विधायक श्री भागीरथ चैधरी एवं शंकर सिंह रावत, जिला प्रमुख सुश्री वंदना नोगिया, नगर निगम महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत, राजभवन के विशेषाधिकारी श्री अजय शंकर पाण्डेय, पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती मालिनी अग्रवाल, जिला कलक्टर श्री गौरव गोयल, जिला पुलिस अधीक्षक श्री राजेन्द्र सिंह एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. बी.पी.सारस्वत सहित गणमान्य नागरिक, विद्यार्थी एवं अभिभावक उपस्थित थे।

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