अजमेर के वयोवृद्घ लेखक साखलकर प्रज्ञा पुरस्कार से सम्मानित

साखलकर को सम्मान पत्र भेंट करते हुए पद्मश्री डॉ. सी.पी.देवल

साखलकर को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव के.के. पाठक।

साखलकर को 51 हजार रूपये का चैक भेंट करते हुए राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के निदेशक आर.डी.सैनी।

अजमेर। अजमेर के वयोवृद्घ लेखक, साहित्यकार एवं चित्रकार रत्नाकर विनायक साखलकर का अजमेर में राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी की ओर से प्रज्ञा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव के.के.पाठक, प्रसिद्घ साहित्यकार पदम्श्री डॉ. सी.पी.देवल, प्रमुख साहित्यकार रामानंद त्रिपाठी, चित्रकार श्रीराम जैसवाल तथा हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक आर.डी.सैनी ने सायंकाल आदर्शनगर स्थित साखलकर के निवास स्थान के बाहर आयोजित एक सादे समारोह में उनका सम्मान किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 12 अक्टूबर की रात्रि को ही साखलकर को प्रज्ञा पुरस्कार देने की घोषणा की थी।
मुख्यमंत्री गहलोत ने साखलकर के सम्मान समारोह के अवसर पर भेजे अपने संदेश में कहा है कि राजस्थान के प्रतिष्ठित लेखक, कलाविद् एवं चित्रकार रत्नाकर विनायक साखलकर को राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी द्वारा दिये जा रहे प्रज्ञा पुरस्कार के अवसर पर मैं उनका हार्दिक अभिनंदन करता हूं और उनके स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करता हूं। मैं सोचता हूं कि साखलकर का सहज-सरल जीवन, कला एवं लेखन के प्रति उनकी निष्ठा और मानवीय मूल्यों के प्रति उनकी अटूट आस्था हम सभी के लिए प्रेरणास्पद है। ऐसे विरल व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी साखलकर जी को प्रज्ञा पुरस्कार प्रदान करके अकादमी ने इस पुरस्कार को सार्थक बनाया है । मेरी हार्दिक इच्छा थी कि इस सुखद अवसर पर मैं स्वयं उपस्थित रहता किन्तु अपरिहार्य कारणों से यह संभव नहीं हो सका।
हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक आर.डी.सैनी ने साखलकर को 51 हजार रूपये का चैक भेंट किया वहीं पद्मश्री डॉ. सी.पी. देवल ने उन्हें सम्मान पत्र, लोक सेवा आयोग के सचिव के.के.पाठक ने स्मृति चिन्ह, साहित्यकार रामानंद राठी ने उन्हें शाल व श्रीफल तथा श्रीराम जैसवाल ने उन्हें पुष्पहार भेंट किये। सभी साहित्यकारों ने साखलकर के व्यक्तित्व,कृतित्व व लेखन पर विस्तार में चर्चा की और कहा कि ऐसा अनुशासित लेखक होना बहुत मुश्किल है।
हाल ही फरवरी माह में 95 वर्ष में प्रवेश करने वाले रत्नाकर विनायक साखलकर बुढ़ापे के कारण कुछ समय ही सम्मान समारोह के मंच पर उपस्थित रहे, वे कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थे। समारोह में मौजूद अनेक साहित्यकार, चित्रकार, लेखकों, नागरिकों तथा उनके परिवारजनों ने उनके निवास स्थान पर आराम कुर्सी पर बैठे साखलकर का माल्यार्पण कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया ।
राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक आर.डी.सैनी ने बताया कि प्रज्ञा पुरस्कार अकादमी का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो प्रतिष्ठित लेखक को उनकी पुस्तिका के 15 संस्करण प्रकाशित हो जाने पर प्रदान किया जाता है। रत्नाकर विनायक साखलकर ऐसे ही सर्वाधिक प्रतिष्ठित लेखक हैं, जिनकी पुस्तक आधुनिक चित्रकला का इतिहास के 23 संस्करण अकादमी द्वारा प्रकाशित किये गये हं।
सैनी ने बताया कि साखलकर एक मात्र ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने चित्रकला विषय पर शुद्घ हिन्दी में रोचक तरीके से पुस्तकें लिखीं और उनकी पुस्तक आधुनिक चित्रकला का इतिहास अकादमी द्वारा प्रकाशित सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक है।
साखलकर की चित्रकला पर लिखी गई पुस्तकों के पढऩे के बाद ही ललित कला के क्षेत्र में पुस्तकें पढ़ी जाने लगी है। अकादमी द्वारा साखलकर की चार पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है।
रत्नाकर विनायक साखलकर 1954 में अजमेर आये तथा डी.ए.वी. कॉलेज में चित्रकला के विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। चित्रकला के एम.ए. के पाठ्यक्रम के निर्धारण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने मुम्बई के सर जे.जे. स्कूल ऑफ आटर््स से स्नातक तथा स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। कार्यक्रम का संचालन प्रमुख शायर मौजम अली ने किया।

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