– प्रकृति एवं पर्यावरण के संरक्षण का पर्व है जल झूलनी एकादशी – अनीता भदेल
– लुप्त होती संस्कृति को बचाने एवं संरक्षण में आगे आये युवा पीढ़ी- धर्मेंद्र गहलोत
– धूमधाम से निकली ठाकुर जी की रेवाडियां – ठाकुर जी ने किया जल विहार।
– भारतीय संस्कृति को जीवित करने में उत्सव एवं त्योहारों की विशेष भूमिका- सुनील दत्त जैन
– पुरा महत्व के त्योहार एवं उत्सवों को हर्ष उल्लास से मनाना आज की आवश्यकता- उमेश गर्ग
अजमेर 2 सितम्बर। राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत को पुनर्जीवित करने एवं सामूहिक रूप से भव्यता से मनाने के प्रयास स्वरूप प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष की जल झूलनी एकादशी पर्व बडी धूमधाम से मनाया गया। अध्यक्ष उमेश गर्ग ने बताया कि इस अवसर पर सुन्दर विलास स्थित गर्ग भवन पर डाॅ. रजनीश जी चारण ने अपनी समधुर वाणी से ठाकुर जी के भजनों की प्रस्तुती प्रदान की। इस अवसर पर हाथी भाटा लक्ष्मीनारायण मन्दिर से ’’रेवाडी’’ ठाकुर जी की सवारी माँ यशोदा स्वरूप श्री वासुदेव मित्तल के पावन सानिध्य में असंख्य श्रद्धालुओं के साथ आयी जहां उपस्थित राज्य की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनीता भदेल, महापौर धर्मेंद्र गहलोत उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हेमा गहलोत एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघ चालक सुनीलदत्त जैन, नारीशाला बोर्ड की चेयरमेन श्रीमति भारती श्रीवास्तव सहित सभी रसिक श्रद्धालु, राजनेता एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने सामूहिक रूप से ठाकुर जी का पूजन एवं आरती की। इस अवसर पर अध्यक्ष उमेश गर्ग ने उत्सव की महत्ता को बताते हुए कहा कि हमारी लुप्त होती संस्कृति को बचाने के लिये लुप्त होते पुरा महत्व के पर्वों को संरक्षण देने की आवश्यकता है। हमारी हष्ट पुष्ट संस्कृति संस्कृति को जीवत रखना इस दूरदर्शन, मोबाइल के युग में अत्यन्त आवश्यक हो गया है। संस्कृति एक ऐसा विस्तृत फलक है जिसमें आदमी एवं भगवान दोनों शरण पाते हैं। इस उत्सव में शस्त्रीय गायक डाॅ. रजनीश चारण ने अपने सुमधुर स्वर में भजनों की प्र्रस्तुति दी।
राज्य की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनीता भदेल, महापौर धर्मेंद्र गहलोत उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हेमा गहलोत एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघ चालक सुनीलदत्त जैन सहित उपस्थित श्रद्धालुजन ने ठाकुर जी का जलाभिषेक, जलविहार कराकर श्रृंगार आरती की गई। आयोजन में पार्षद महेंद्र जैन मित्तल, जे. के. शर्मा, ओमप्रकाश मंगल, किशन बंसल, कालीचरण खंडेलवाल, सुभाष काबरा, मोहन खंडेलवाल, अशोक टांक, पूनमचंद मारोठिया, अशोक शर्मा, वेणीगोपाल अग्रवाल, प्रवीण जैन, सत्यनरायण पलड़ीवाल, रमेश मित्तल, रमेश तापड़िया, सत्यनारायण भंसाली, कृष्णगोपाल पाराशर सहित अनेक श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।
उमेश गर्ग
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