प्रेम प्रकाश आश्रम द्वारा गोपाष्टमी पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया

_SNY1047आज हर वर्ष की भाँति पवित्र कार्तिक मास की गोपाष्टमी से पूर्णिमा तक श्री प्रेम प्रकाश आश्रम, देहली गेट, अजमेर से सात दिन तक प्रतिदिन चलने वाली प्रभात फेरी (हरिनाम संकीर्तन) की शुरुआत आश्रम के संत ओमप्रकाश के पावन सानिध्य में हुई। सर्वप्रथम प्रातः 5.30 बजे से 6.00 बजे तक आश्रम में श्रद्धालुगण प्रातःकाल की प्रार्थना पर एकत्रित हुए। तत्पश्चात् प्रातः 6 बजे एक विशाल हरिनाम संकीर्तन यात्रा प्रारम्भ हुई। जिसमें सर्वप्रथम एक सुसज्जित संकीर्तन रथ जिसमें स्वामी टेऊँरामजी महाराज व स्वामी बसन्तराम जी महाराज के सुन्दर चित्र शोभायमान हो रहे थे एवं संत ओमप्रकाश शास्त्री, हशू आसवानी, भगवान भगतानी, ममता तुलस्यानी आदि कई श्रद्धालुओं के साथ भजन गाते -बजाते व हरिनाम संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। प्रभात फेरी आश्रम से निकलकर फव्वारा सर्किल से होते हुए ऋषि घाटी पुष्कर रोड स्थित गौशाला में पहुँची। जहाँ पर गौशाला के सदस्यों व पदाधिकारियों ने सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया। संत ओमप्रकाश ने अपने अल्प प्रवचनों में गौ-पूजन की महिमा व गौ माता की पवित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि आज के प्रदुषण भरे वातावरण में जहाँ विषैले कीटाणु व बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु सर्वत्र त्राहि फैला रहे हैं, वहाँ गौ-मूत्र के सेवन से हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है व घर को गोबर से प्रतिदिन लीपने से अथवा गोबर के कंडे से बनी धूप-बत्ती आदि जलाने से घर में विषैले कीटाणुओं का नाश होता है। गाय का दूध सात्विक व पौष्टिक होता है। गाय के दूध से बना घी माईग्रेन व नेत्र रोगो के निवारण में काफी लाभदायक है। इसलिए हमें गौ-माता से प्राप्त उत्पादों का निरन्तर उपयोग करना चाहिए जिससे हम स्वस्थ रह सकें व दीर्घायु का लाभ प्राप्त करें।
परिपूर्ण परमात्मा भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गोपाष्टमी के पावन दिन से गौ-सेवा प्रारम्भ की थी। सन्तों व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गौ-माता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है।
संसार में भौतिक जगत व अध्यात्मिक जगत में गौ-माता का अति महत्व है और गरुड़ पुराण के अनुसार संसार सागर से पार होने हेतु वैतरणी नदी को पार करने में गौ-माता समर्थ है। समुद्र मंथन के समय 14 रत्नों की प्राप्ति हुई उनमें से कामधेनु गौ-माता एक है। भगवान श्री रामचन्द्र के पूर्वजों में राजा दिलीप ने सन्तान प्राप्ति हेतु कामधेनु गौ-माता की बेटी नन्दिनी ने गौ-माता की सेवा-पूजन करके पुत्र रत्न प्राप्त किया, जिनका नाम रघु था आगे जाकर रघुवंश के नाम से कुल प्रसिद्ध हुआ।
इसके बाद संत ओमप्रकाश ने सभी प्रेमियों के साथ मिलकर गौ-माता का पूजन व आरती की। अंत में उन्होंने सभी को यथा शक्ति गौ-सेवा करने की प्रेरणा दी। सभी श्रद्धालुओं ने गौ-माता को चारा खिलाया। आश्रम के सेवादारी हशू आसवानी ने बताया कि आश्रम से कार्तिक मास की गोपाष्टमी से पूर्णिमा तक सात दिन तक प्रतिदिन प्रातः 5.30 से 7.30 बजे तक शहर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभात-फेरी निकाली जाएगी।

संत ओमप्रकाष षास्त्री
9784065000

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