सिन्धी भाषा जनजागरण के संभागीय रथ 23 दिसम्बर से रवाना होंगे

सिन्धी भाषा ज्ञान परीक्षायें 1 से 7 जनवरी 2018 तक आयोजित होगीं

Untitled-1जयपुर/अजमेर – 11 दिसम्बर सिन्धी भाषा की मान्यता के स्वर्ण जयंती वर्ष में जन जागरण के लिये राज्यभर में सात संभागीय रथों को आगामी 23 दिसम्बर को तीर्थराज पुष्कर से पूजन कर रवाना किया जायेगा।
प्रदेष महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने बताया कि युवा पीढी को भाषा से जोडने के लिये पूज्य सिन्धी पंचायतों, सामाजिक संगठनों के सहयोग से राज्यभर में आयोजन किये जा रहे है जिसमें 9 दिवसीय यात्राओं का प्रदेष भ्रमण के पष्चात् समापन 31 दिसम्बर को जयपुर में किया जायेगा। रथयात्रा में सिन्धी विषय के अध्ययन की प्रकाषन सामग्री, सनातन धर्म की जानकारी के साथ ज्ञान प्रतियोगिता के किताब भी वितरित किये जायेगें। संतो महात्माओं के आर्षीवाद से यह रथयात्राओं का आयोजन किया जा रहा है।

प्रदेष संगठन महामंत्री मोहनलाल वाधवाणी ने बताया कि रथयात्राओं के षुभारंभ के अवसर पर महामण्डलेष्वर हंसराम उदासीन, राष्ट्रीय महामंत्री ष्यामदास, महंत स्वरूपदास उदासीन, पुष्कर आश्रम के महंत राममुनि जी, महंत हनुमानराम जी, स्वामी आत्मदास जी, भाई फतनदास के साथ सभा के मार्गदर्षक कैलाषचन्द जी, प्रदेषाध्यक्ष लेखराज माधू, केन्द्रीय संगठन मंत्री भगतराम, राजस्थान सिन्धी अकादमी के अध्यक्ष हरीष राजानी सहित पंचायतों के पदाधिकारियों की उपस्थिति में पूजा अर्चना कर धर्म ध्वजा फहराकर रवाना किये जायेगें।
प्रदेष भाषा व संस्कृति मंत्री डॉ. प्रदीप गेहाणी ने बताया कि 1 जनवरी से 7 जनवरी 2018 तक सिन्धी भाषा ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन आन लाइन करवाई जा रही है, जिसमें राज्यभर में विद्यार्थियों के साथ परिवारजन को वेबसाइट से जोडकर 31 दिसम्बर तक पंजीयन करवाया जा रहा है। विजेताओं को राज्य स्तरीय समारोह में सम्मानित किया जायेगा। यह पुस्तकें राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के सहयोग से प्रकाषित करवाई जा रही है, जिसका विमोचन कोटा विधायक श्री संदीप षर्मा व सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत अध्यक्ष ओम आडवाणी की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।
प्रदेष प्रचार सचिव घनष्याम हरवाणी ने कहा कि रथ यात्राओं का नगरों में प्रवेष होने पर युवाओं द्वारा वाहन रैली व छेज डाडियां, झूलेलाल बहिराणा की सवारी, बहिनों की ओर से कलष यात्रा से यात्रा का स्वागत किया जायेगा। नगर भ्रमण के पष्चात् सामुदायिक भवनों व मन्दिरों में समापन किया जायेगा जहां पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा।

(घनष्याम हरवाणी)

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