तीन तलाक का बिल इस्लामिक विद्वानों की राय से हो-चिश्ती

हसन चिश्ती
हसन चिश्ती
अजमेर । विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइरनुद्दीन हसन चिश्ती के गद्दीनशीन एस. एफ. हसन चिश्ती ने तीन तलाक के मुद्दे को लेकर लोकसभा में पेश किए गये बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस्लाम जोडऩे वाला मजहब है। इस्लाम ने कभी भी तोडऩे की बात नहीं की है। किसी भी इस्लामिक मुद़दे को लेकर सरकार को शरीयत के जानकारों से एवं इस्लामिक विद्वानों से चर्चा कर इस मुद्दे को आगे बढ़ाना चाहिये। इस्लाम में मर्द एवं औरत को अपने-अपने अनुसार बराबरी का हक दिया है। कई विद्वान इस बात को भली-भांति जानते है कि अरब के लोग पैगम्बर इस्लाम हजरत मोहम्मद से पहले लड़की पैदा होते ही उसको जिन्दा दफन कर देते थे। इसके विरुद्ध सबसे पहले पैगम्बर इस्लाम ने आवाज उठाई और महिलाओं को जीने का हक और सम्मान दिलाया। ऐसी सूरत में अगर कोई इस्लाम या धार्मिक मामले में दखलांदाजी करता है तो वो निन्दनीय है। हसन चिश्ती ने कहा है कि मेरा शुरु से कहना है कि गुनाहगार के लिए कानून को अपना कार्य करना चाहिये। शरीयत में मर्द और औरत के हुकूक की बात की गई है। अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी का हक नहीं देता है तो वो गुनहगार है। इसी तरहां कोई पत्नी अपने पति का हक अदा नहीं करती है तो वो भी गुनाह है। चिश्ती ने राजनीतिक पार्टियों से अपील की है कि वे धार्मिक मामले को राजनीति से ना जोड़े। देश में ओर भी कई मुद्दे है उस पर भी कार्य होना चाहिये।
एस. एफ. हसन चिश्ती
गद्दीनशीन ख्वाजा साहब

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