कवियों ने बहाई भक्ति और वीररस की सरिता

kavi10अजमेर। आजाद पार्क अयोध्या नगरी में 54 अरब हस्तलिखित श्रीराम नाम महामंत्रों की महापरिक्रमा के दौरान सोमवार देर शाम कवि सम्मेलन में कविता पाठ के जरिए कवियों ने माहौल को भक्ति भाव और वीर रस से भर दिया।

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दे चुके भीलवाडा से आए वीर रस के विख्यात कवि योगेन्द्र शर्मा ने मेरी कविता सावन की मदहोश बहार नहीं, सोलह श्रंगार नहीं…, अगर सीमा पर गोली चले तो गोलों की बरसात करो…, भारतीय सैनिकों की शहादत पर मजबूत पलटवार करने का आहवान करते हुए उन्होंने एक शेर की मौत पर सौ गिद्धों की कुर्बानी चाहिए… कविता पर खूब दाद हासिल की।

कश्मीर के जर्रे जर्रे पर अधिकार हमारा है, भारत माता का मस्तक हमकों प्राणों से भी प्यारा है…, जिनका पौरुष मर जाता है वे जीते जी मर जाते हैं, जिनके बाजू नहीं फडकते वहीं नपुंसक कहलाते…, पांच गांव की खातिर महाभारत कर डाला था…,अब धीरज धरण किया तो देश पिछड जाएगा, अरे युद्धघोष कर डालो वरना श्रीनगर भी जाएगा…, जिनका पौरुष नहीं धडकता देश दिलों में वो बरबाद जवानी है, रक्त नहीं बहता नसों में तो वो पानी है… जैसी वीररस से ओतप्रोत कविताओं से माहौल को देशभक्ति से भर दिया।

हास्य व्यंग्य के कवि अशोक पंसारी ने राम भक्तों को अपनी कविताओं से गुदगुदाया। उन्होंने कथित बाबाओं को लेकर खूब चुटकियां ली। मोदी राज के बाद आधार को पेन से जोडने की बात पर खीजते लोगों के दुखडे को शब्दों में पिरोकर सुनाया।

अमित टंडन ने परस्पर प्रेम और सदभाव बनाने रखने का संदेश देने वाली कविता आग सीने में जलाए रखना, खुद को इंसान बनाए रखना…, फूल ही खिलाने हैं तुम्हे तो कलियां जलाने से क्या फायदा… जैसी कविताओं से श्रोताओं का समर्थन हा​सि​ल किया।

हास्य कवि प्रदीप गुप्ता ने नोटबंदी पर खूब व्यंग्य बाण छोडकर राम भक्तों को गुदगुदाया। मुकेश गौड ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता के जरिए सीमा पर तैनात सैनिकों को स​मर्पित कविता समाधि का दीपक… की प्रस्तुति दी।

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