अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का प्रतिनिधि मंडल यूजीसी अध्यक्ष से मिला

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने महासंघ अध्यक्ष प्रो. जे. पी. सिंघल के नेतृत्व में आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंह, आयोग के सचिव प्रो रजनीश जैन एवं संयुक्त सचिव श्रीमती अर्चना ठाकुर से नवीन यू.जी.सी. ड्राफ्ट रेग्यूलेशन की विसंगतियों के संबंध में विस्तृत भेंटवार्ता की। संगठन द्वारा पूर्व में प्रस्तुत ज्ञापनों एवं सुझावों के अनुरूप स्नातक व स्नातकोत्तर प्राचार्य दोनों को एक समान प्रोफेसर ग्रेड में रखने, लम्बित सी.ए.एस. मामलों में ए.पी.आई. में छूट देने, विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ प्रोफेसर के पद सृजित करने तथा महाविद्यालयों में प्रोफेसर पद की संख्या की सीमा समाप्त करने हेतु यू.जी.सी. अध्यक्ष को धन्यवाद दिया गया।
संगठन द्वारा नवीन यू.जी.सी. ड्राफ्ट रेग्यूलेशन के संबंध में तथ्यों, तर्कों तथा दस्तावेजों सहित सुझाव देते हुए व्यापक रूप से शिक्षक एवं शिक्षा हित में संशोधन की मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्य द्वारा पोषित विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अतिरिक्त वित्तीय भार का न्यूनतम 80 प्रतिशत 5 वर्ष के लिए केन्द्र द्वारा वित्तीय सहयोग देने तथा यू.जी.सी. रेग्यूलेशन को एक समान रूप से देशभर में लागू करने, महाविद्यालय/विश्वविद्यालय में न्यूनतम ठहराव की अवधि सात घण्टे के स्थान पर पूर्ववत् पांच घण्टे करने तथा उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की गरिमा अनुरूप उचित आधारभूत ढांचे की करने, एमफिल/पीएचडी डिग्री हेतु एंट्री लेवल पर व सेवा काल में प्रोत्साहन स्वरुप अग्रिम वेतन वृद्धियां जारी रखने, अध्यापन कार्यभार असिस्टेंट प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर हेतु अधिकतम सोलह घण्टे तथा प्रोफेसर हेतु अधिकतम चौदह करने, उच्च शिक्षा में प्रतिभाओं को आकर्षित करने हेतु एन्ट्री लेवल पर बेहतर वेतन देने तथा प्रत्येक ए.जी.पी. स्तर पर युक्तिकरण सूचकांक (इन्डेक्स ऑफ रेशनलाइजेशन) को न्यूनतम 2.72 करने की मांग की गई.
महासंघ को देश भर के शिक्षकों से मिले फीडबैक की जानकारी यूजीसी अध्यक्ष व सचिव को देते हुए सी.ए.एस. प्रमोशन हेतु पीएच.डी. की अनिवार्यता को समाप्त कर प्रमोशन को समयबद्ध रूप से लागू करने तथा पीएच.डी. की अनिवार्यता विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की सीधी नियु्क्ति हेतु ही रखा जाने, पीएच.डी./एम.फिल. डिग्री हेतु लिये गये अवकाश की अवधि को शोध/अध्यापन अनुभव में जोड़ने ,एसोसिएट प्रोफेसर हेतु सात के स्थान पर न्यूनतम पाँच तथा प्रोफेसर पद हेतु दस के स्थान पर न्यूनतम आठ प्रकाशन की पात्रता रखने, महाविद्यालय प्राचार्य का एक बार विधिवत् चयन प्रक्रिया द्वारा चयन होने पर पुन: एक ओर टर्म पीअर रिव्यू के ही आधार पर बढ़ाने, रिफ्रेशर व ओरिएंटेशन कोर्स हेतू छूट की अवधि 31 दिसम्बर 2018 तक बढाने, छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने, शोधपत्रों के प्रकाशन हेतु सभी संकायों में समान रूप से प्रति शोधपत्र दस अंक देने तथा सेमिनार/कॉन्फ्रेन्स में भाग लेने, पॉपूलर लेख लिखने, जर्नल का सम्पादन करने आदि गतिविधियों के भी सी.ए.एस. योजना में अंक देने की व्यवस्था करने रेगुलेशन को न्यायसंगत बनाने की मांग की.
महासंघ द्वारा यूजीसी के ध्यान में लाया गया की कई विश्वविद्यालयों ने पीएच.डी. हेतु यू.जी.सी. रेग्यूलेशन 2009 को बाद में लागू किया है अत: ऐसे विश्वविद्यालयों में रेग्यूलेशन को अपनाने की तिथि से पूर्व पंजीकृत अभ्यर्थियों को नेट से छूट दी जाए. इसके साथ ही साथ असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हेतु साक्षात्कार के लिए अभ्यर्थियों की शॉर्ट लिस्टिंग करने के मानदंडों को व्यवहारिक बनाने, अन्य अकादमिक स्टॉफ यथा पुस्तकालयाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षक, शोध वैज्ञानिक आदि की सेवा शर्तें, सेवा निवृत्ति आयु व वेतन ढाँचा शिक्षकों के समान ही करने जैसे विषयों पर भी प्रमुखता से चर्चा की गई.
यू.जी.सी. अध्यक्ष, सचिव व सचिव ने एक-एक करके प्रत्येक विषय को विस्तार से समझा तथा इन सुझावों पर शीघ्र संगठन की भावनानुरूप सकारात्मक निर्णय लेने का मंतव्य व्यक्त किया। महासंघ के प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष प्रो. जे. पी. सिंघल के साथ संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर, महामंत्री शिवानंद सिन्दनकेरा, उच्च शिक्षा संवर्ग प्रभारी महेन्द्र कुमार, उच्च संवर्ग सचिव प्रो. मनोज सिन्हा तथा सहसचिव डॉ. नारायण लाल गुप्ता शामिल थे।

(डॉ. मनोज सिन्हा)
सचिव
उच्च शिक्षा संवर्ग
मो. 09868877699

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