डॉ लाल थदानी : वरिष्ठता और विषय दक्षता की निरन्तर हुईं अनदेखी

डॉ लाल थदानी एमडी पीएसएम ने ट्रिब्यूनल कोर्ट में 468/2016 के जरिए डॉ के के सोनी के विरूद्ध सीनियरिटी वाद ट्रिब्यूनल कोर्ट में विचाराधीन है और केस डिसिजन फेस पर होने के बावजूद एक बार फिर 16 मार्च 2018 को डिमोशन कर दिया गया है और डीपीसी 2013 के हिसाब से अति. निदेशक पद के लिए प्रतीक्षारत डॉ थदानी को आदेश प (1) चि.स्वा./2/2016 दिनांक 16.3.18 नियमविरूद पीएचसी मंडोलाई , टोंक स्थांनातरण किया गया ।

1.तुरत फुरत में की कार्यवाही :

शाम को 6 बजे बाद निदेशालय जयपुर से प्राप्त आदेशों की सीएमएचओ कार्यालय द्वारा मुस्तैदी दिखाते हुए तुरन्त फुरंत में कार्यवाही भी हो गई और देर रात पलनार्थ रिपोर्ट भी भेज़ दी । डॉ रामस्वरूप किराडिया नसीराबाद से रिलीव भी हो गए और डॉ के के सोनी ने उनसे उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर ज्वाइनिंग लेते हुए आधी रात को उच्चाधिकारियों को मेल भी कर दिया । साथ ही डॉ लाल थदानी को एमओ मंडोलाई पीएचसी टोंक के लिए रिलीव होने की सूचना भी रात 11.30 बजे दे दी

2. द्वेषपूर्ण कार्यवाही :–

डॉ लाल थदानी की वरिष्ठता और पद विशेषज्ञता के बावजूद उन्हें षडयंत्र पूर्वक / द्वेषता रखते हुए एक बार फिर से पदोन्नत नहीँ किया गया है। इस सत्र में अभी तक एक ही तबादला सूची जारी हुई है जिनमे अजमेर के पांच महत्वपूर्ण पदों पर निदेशक ने अपने हितेषियों को लगाया गया। जबकि निदेशालय ने 9 मार्च 18 को प्रदेश की वरिष्ठता सूची जारी की है जिसमें क्रम संख्या 515 पर डॉ लाल थदानी को प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी / उपनिदेशक बताया गया है ।
कनिष्ठ होने की वजह से डॉ के के सोनी और डॉ रामस्वरूप किराड़िया इस सूची में शामिल नहीं है । इसी आदेश में डॉ के के सोनी को केस विचाराधीन के बावजूद फिर से नियम विरूद्ध सीएमएचओ रेगुलर कर दिया ।

3. ट्रिब्यूनल कोर्ट ने भी की टिपण्णी :-
उक्त के विरूद्ध ट्रिब्यूनल अपील 272 / 2018 पर स्थगन आदेश में माननीय अदालत ने भी सख्त टिप्पणी की कि स्वास्थ्य विभाग ने पंचायती राज नियमों की पालना नहीं की । इसके अलावा डॉ लाल थदानी को निम्नतम पद पर स्थानान्तरण कर उसकी पद विशेषज्ञता और वरिष्ठता का बार बार उल्लंघन किया है ।
डॉ लाल थडानी ने 2 वर्षों से असंवैधानिक रूप से दो वरिष्ठ पदों पर कार्यरत डॉ सोनी को हटाने का विभाग को विधिक नोटिस भी दे रखा था ।

4 .आरटीआई से मिली षडयंत्र की जानकारी :-
एक आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज में उच्चस्तरीय षडयंत्र की जानकारी मिली जिसके तहत डॉ लाल थदानी के सीएम्एचओ के आवेदन पत्र को शामिल ही नहीं किया गया और फ़रवरी 2016 में डॉ के के सोनी को उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी बताते हुए सीएम्एचओ बनाए जाने का एक तरफा निर्णय लिया जबकि अक्टूबर 15 से ही डॉ थदानी उक्त पद पर कार्यरत थे ।इसे द्वेषपूर्ण और गलत बताते हुए डॉ लाल थडानी ने 2 वर्षों से असंवैधानिक रूप से कार्यरत डॉ सोनी को हटाने का विभाग को विधिक नोटिस भी दे रखा था ।

5. 2015 में भी डिमोशन पर स्टे :-

1035/2015 ट्रिब्यूनल स्टे केस में डॉ लाल थदानी का डिमोशन करते हुए डॉ के के सोनी के साथ विधि विरूद्ध म्यूचुअल दिखाते हुए ब्लॉक सीएमओ किशनगढ़ पदावनत किया ।अक्टूबर 2015 में अदालत का निर्णय डॉ थदानी के पक्ष में गया । तब भी कंटेंप्ट नोटिस के बावजूद डॉ लाल थदानी को ज्वॉइन करने में टालमटोल करते रहे ।अब डॉ के के सोनी को नियम विरूद्ध पद विरूद्ध असंवैधानिक आदेश के तहत रेगुलर सीएमएचओ बनाया गया है ।

6. वरिष्ठता और विषय दक्षता की निरन्तर हुईं अनदेखी :-

डॉ लाल थदानी 1 जनवरी 2008 से उप मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (स्वास्थ्य) अजमेर पद पर लगातार कार्यरत रहे हैं और डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू आदि मौसमी बीमारियों के नियंत्रण को पूरे जिले में मिशन के रूप में चलाकर प्रभावी रोकथाम भी की है ।
स्वास्थ्य निदेशालय ने डीएसीपी से डॉ थदानी को 2007_08 से उपनिदेशक बनाते हुए 7 जुलाई 2011 से 7600/ की ग्रेड पे भी देनी शुरू की । डॉ के के सोनी एमबीबीएस हैं और उन्हें ये ग्रेड पे 1 अप्रैल 2014 से मिलनी शुरू हुई । डॉ लाल थदानी को वरिष्ठता और पद विशेषज्ञता के बावजूद उन्हें षडयंत्र पूर्वक / द्वेषता रखते हुए पदोन्नत नहीँ किया गया ।
वर्ष 11-12 की डीपीसी नहीं होने के कारण डॉ लाल थदानी को 1.4.11 को सीएमएचओ और 1.4.13 को अत्तिरिक्त निदेशक की ग्रेड पे 8700/ से भी वंचित रखा गया है । निदेशालय ने 9 मार्च 18 को प्रदेश की वरिष्ठता सूची जारी की है जिसमें क्रम संख्या 515 पर डॉ लाल थदानी को प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी / उपनिदेशक बताया गया है ।
कनिष्ठ होने की वजह से डॉ के के सोनी और डॉ रामस्वरूप किराड़िया इस सूची में शामिल नहीं है ।
7. फर्जी प्रकरण/ कार्यवाही :
डॉ के के सोनी को पद पर बनाए रखने के लिए निदेशालय स्तर से भी एकतरफा द्वेष पूर्ण कार्यवाही हुई तथा फर्जी गवाह बनाकर प्रकरण बनाए और डॉ थदानी को देय राजकीय संसाधनों (वाहन , लिपिक, वी सी /बैठकों /आवश्यक पत्रावलियों ) से वंचित रखा । इसी उच्च षडयन्त्र के तहत अतिरिक्त निदेशक के लिए प्रतीक्षारत डॉ थदानी को पी एच सी मंडोलाई टोंक स्थानांतरण किया गया ।

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