*केकड़ी_अजमेर*
केकड़ी क्षेत्र में लंबे अर्से से चल रहे बजरी खनन के गोरख धंधे को अजमेर जिला प्रशासन भी नहीं रोक पा रहा है जबकि जिले की नई कलक्टर आरती डोगरा से लोगों को काफी उम्मीदें थी !
केकड़ी क्षेत्र से गुजर रही खारी नदी पर स्थित ग्राम बाजटा,रामथला,मेहरुकला, टाकावास आदि में बजरी का अवैध खनन अधिकारियों की कथित मिलीभगत के धड़ल्ले से चल रहा है। रात शुरू होते ही ये गोरख धंधा शुरू होता है जो भोर होने तक जारी रहता है। नदी पर जेसीबी मशीनों की तेज चमचमाती रोशनी में अवैध खनन बेफिक्री के साथ चलता है। खनन माफियाओं में प्रशासन का कोई ख़ौफ़ नहीं है जिसके चलते अब तो दिन में भी सरेआम अवैध खनन किया जा रहा है। इन माफियाओं ने नदी का सीना छलनी कर दिया है। अब तो खुदाई इतनी नीचे चली गयी है कि नदी में चट्टानें नजर आने लगी है। रोजाना करीब 150 से 200 ट्रेक्टर,डम्पर बजरी का परिवहन कर रहे है।
गत महीने केकड़ी एसडीएम नीरज मीणा की अध्यक्षता में एक प्रशासनिक बैठक में सभी सम्बंधित महकमों की मौजूदगी में बजरी के अवैध खनन व परिवहन पर रोक लगाने के लिए सामुहिक अभियान चलाकर कार्रवाई का निर्णय लिया गया था। इस बैठक में पुलिस उपाधीक्षक, तहसीलदार, जिला परिवहन के अधिकारी मौजूद थे। दूसरे ही दिन यहां पुराने कोटा मार्ग पर एक चेक पोस्ट लगा दी गई जिसमें तहसील के कर्मचारियों को तैनात किया गया। अब बताइए कि बिना पुलिस या परिवहन विभाग के ये कर्मचारी एक भी वाहन रोक सकते हैं? प्रशासन की ये कार्रवाई महज खानापूर्ति बन कर रह गई और अभियान की शुरू होने से पहले ही हवा निकल गई। प्रशासन का एक भी नुमाइंदा आज तक खनन स्थल पर नहीं पहुचा। सवाल ये है कि आखिर प्रशासनिक बैठक में लिए गए निर्णय की हवा अचानक कैसे निकल गई। इसके पीछे किसका हाथ है कहीं राजनैतिक दबाव तो नहीं !
खैर जो भी हो जनता सब देख रही है वो अंधी नहीं है। चर्चा तो यहां तक है कि इस गोरखधंधे में जनप्रतिनिधियों, खबरनवीसों व पुलिस अधिकारियों का भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से पूरा योगदान है और कई तो मंथली में राजी हैं वहीं कई हिस्सेदार हैं। ये भी किसी से छिपा नहीं है।