विचार अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है नाटक

अजमेर/रचनात्मक कलाएं शिक्षा एवं जीवन कौशल सिखाने में सहायक होती हेैं और नाटक जीवन को समझने का सबसे सशक्त माध्यम है। नाटक लेखन से लेकर प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया से व्यक्तित्व का विकास भी होता है। ये विचार मदस विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग के डीन डॉ नगेन्द्र सिंह ने व्यक्त किये। वे राजस्थान साहित्य अकादमी एवं नाट्यवृंद संस्था द्वारा मंगलवार 24 जुलाई को सोफिया महाविद्यालय में आयोजित नाटक विधा पर आधारित रचनात्मक लेखन कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। अध्यक्षता कर रही प्राचार्या डॉ सिस्टर पर्ल ने छात्राओं से कहा कि यदि आपमें कला के प्रति पैशन और प्रतिभा है तो आज थियेटर और अभिनय कला के क्षेत्र में व्यापक कैरियर उपलब्ध हैं। विशिष्ट अतिथि लघु फिल्म निर्देशक उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि नाटक, फिल्म, विज्ञापन या मीडिया के क्षेत्र में रूझान हो तो युवाओं को लिखने का अभ्यास करना चाहिए। आज रचनात्मक विचार और रचनाओं को सोशल मीडिया के द्वारा विश्व के पाठकों तक पहुँचाया जा सकता है।
कार्यशाला में नाट्य अभिनय और लेखन का प्रशिक्षण देते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय में नाटक विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कपिल शर्मा ने भरतमुनि के नाट्यशास्त्र पर चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में जो कुछ घटित हो रहा है उसकी अनुकृति ही नाटक है। जो विचार आप लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं, उसे कथात्मक आकार देकर पात्रों के माध्यम से अभिव्यक्त करने की सशक्त कला है नाटक। प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं आकाशवाणी पर रेडियो जॉकी प्रियदर्शिनी ने विविध प्रसिद्ध नाटकों के अंशों की भावपूर्ण प्रस्तुति देते हुए बताया कि संवाद में वह प्रभाव होना चाहिए कि दर्शक आपके मनोभाव की अनुभूति कर सके। नाटक का कथानक ऐसे गढ़ा जाए कि वह मन को छू जाए। वरिष्ठ रंगकर्मी एवं संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने पावर पाइंट के द्वारा नाट्य लेखन के आवश्यक तत्व और नाटक की संरचना को समझाया। प्रारंभ में सहसंयोजक डॉ पूनम पाण्डे ने अतिथियों और कार्यशाला का परिचय दिया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ सुनिता सियाल ने आभार अभिव्यक्त किया। डॉ अनिता सखलेचा ने कार्यक्रम में सहयोग किया। कार्यशाला में महाविद्यालय की 85 छात्ऱाओं ने भाग लिया।
श्रेष्ठ नाटकों को मिला पुरस्कार- कार्यशाला में छात्राओं द्वारा लिखे गए लघु नाटकों में से चयनित मेघना पाण्डेय के ‘सैल्यूट‘ नाटक को प्रथम, अंकिता क्षितिजा के नाटक ‘देशप्रेम‘ को द्वितीय, योगिता केवलानी के ‘ख्वाहिश‘ नाटक को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अलावा दीपिका कँवर के ‘बेटी‘, कौशल कँवर के ‘सफलता‘, वर्तिका बालानी के ‘स्ट्रगल फार लव‘ और हिमांशा के नाटक ‘आया ऊँट पहाड़ के नीचे‘ को प्रोत्साहन पुरस्कार दिये गए।

छात्राओं ने दी प्रभावी नाट्य प्रस्तुतियाँ- कार्यशाला के दौरान छात्राओं ने चार समूह बनाकर पूर्व प्रदत्त थीम को इम्प्रोवाइज करते हुए चार लघु नाटकों की प्रभावी प्रस्तुतियाँ भी दीं। युवाओं को कैरियर चुनने की आजादी को दर्शाते नाटक ‘सपनों को उड़ने दो‘ में नेहा सिद्धिकी, अंशिका, आरती चौधरी, ज्योति, चंचल, शैली, जाह्नवी और अर्पिता ने अभिनय किया। जातिवाद को छोड़ने की बात कहते ‘जाति उत्पाड़न‘ नाटक में दीक्षा, कोमल, लवीना, दिलप्रित, संगीता, मनीषा और शीतल ने विविध रोल निभाए। समाज में दूर होते संस्कारों पर चिन्ता जताने वाले दो रोचक नाटक हुए। ‘कहाँ गए संस्कार‘ में अर्चना रावत, प्रियंका, डिम्पल, पल्लवी, रूचिरा, साबिया, वर्षा और कौशल कँवर ने भाग लिया तथा ‘संस्कार पर डिबेट‘ में दिव्या जैन, भावना, सपना, स्मृति, बरखा, माधुरी, नव्या जॉय और मोनिका ने अभिनय किया।

-उमेश कुमार चौरसिया
संयोजक 9829482601

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