शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन के हवाले से जारी बयान में प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा माह मई और जून के सर्कुलेट किए गए बिलो में बेतहाशा वृद्धि की गई है जिससे आमजन त्रस्त है जिन उपभोक्ताओं का विद्युत उपभोग 100 यूनिट से 300 यूनिट तक था उन उपभोक्ताओं को अचानक दो हजार से ढाई हजार यूनिट का विद्युत बिल भेजा गया है इस कारण 500 से लेकर 1000 तक का बिल भरने वाले उपभोक्ता के पास 15 से 20 हजार तक के बिल भेजे गए हैं जिससे जनता पर अनावश्यक वित्तीय भार डाला जा चुका है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की आवश्यकता है कि जब अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा लगाए गए इन मीटरों से पूर्व में जो रीडिंग नोट की जा रही थी अचानक उसमें इतनी अभिवृद्धि कैसे हो गई इस अनियमितता से जाहिर होता है कि बिल जनरेट करने वाले सॉफ्टवेयर में तकनीकी रूप से बड़ी खामी है जिस कारण संपूर्ण सिटी सर्किल के उपभोक्ताओं को पुराने उपभोग के स्थान पर अचानक सैकड़ों फीसदी उपभोग का बढ़ा हुआ बिल जनरेट किया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष का आरोप है कि कांग्रेस ने पीड़ित उपभोक्ताओं के साथ जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और कलेक्टर आरती डोगरा को ज्ञापन एवं टाटा पावर द्वारा बेतहाशा वृद्धि के बिल प्रेषित किए मगर पीड़ितों को आज तक कोई राहत नहीं दी गई है उन्होंने कहा कि मात्र टाटा पावर लिमिटेड ने बिलों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाकर जनता से हो रही भयंकर वित्तीय लूट पर पर्दा डालने का काम किया है। असल में टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड की जनता के प्रति सकारात्मकता तब सामने आएगी जब बिलों की समीक्षा करके उनमें की गई बेतहाशा वृद्धि से उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की जाए किंतु फ्रेंचाइजी कंपनी द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है नतीजतन सिटी सर्किल के बिजली उपभोक्ताओं को अपने घरों की लाइन कटने के डर के कारण मजबूरन पचास से सौ प्रतिशत अधिक आए बिलों का भुगतान करना पड़ रहा है जिससे टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड कि करोड़ों रुपए की आमदनी में वृद्धि हुई है जो अजमेर सिटी सर्किल की जनता से नाजायज रूप से की गई लूट है।
कांग्रेस ने अजमेर सिटी सर्किल की फ्रेंचाइजी 20 वर्षों के लिए टाटा पावर को देने के बावजूद सरकार द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को उठाते हुए आरोप लगाया कि अजमेर डिस्कॉम एवं टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड के बीच निष्पादित अनुबंध पत्र एवं मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एम.आ.यू.) में विहित शर्तों के अनुसार टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड को कार्यभार स्थानांतरण किए जाने की तिथि के उपरांत डिस्कॉम अथवा सरकारी फंडिंग के द्वारा किसी भी प्रकार के विद्युत विस्तार एवं जी.एस.एस. निर्माण के लिए कोई भी उपकरण अथवा इंस्टॉलेशन वहन नहीं किया जा सकता है अर्थात भविष्य में उत्पन्न होने वाली ऐसी समस्त वित्तीय द्वेताओं को टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा ही वहन किया जाना अनुबंधित एवं अपेक्षित है। केंद्र सरकार की विद्युत सुधार के लिए लांच की गई आई.डी.पी.एस. योजना केवल उन स्थानों एवं डिस्कॉम सर्किलों हेतु लागू होती है जिनका संचालन सरकार अथवा डिस्कॉम द्वारा किया जा रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने स्पष्ट आरोप लगाया कि अजमेर सिटी सर्किल का विधुत कार्य टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड को 20 वर्षों के लिए फ्रेंचाइजी पर दिया जा चुका है इसलिए केंद्र सरकार द्वारा अजमेर सिटी सर्किल में जी.एस.एस. निर्माण पर खर्च किया जाना अनुबंध एवं एम.ओ.यू. के प्रतिकूल है। किंतु सरकारी मिलीभगत के चलते उपरोक्त योजना के तहत 33 के.वी. के 12 जी.एस.एस पर लगभग 6 हजार लाख रूपये जो जनता का पैसा है उसे गैर कानूनी तरीके से टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड को वित्तीय फायदा पहुंचाने के लिए उपहार स्वरूप दिया जा रहा है जो उच्च स्तर की मिलीभगत एवं भ्रष्टाचार तथा 6 हजार लाख रूपये का एक बहुत बड़ा वित्तीय घोटाला है। अतः प्रकरण अंतर्गत उच्च स्तरीय जांच अपेक्षित है यद्यपि एम.ओ.यू. एवं अनुबंध के तहत अजमेर शहर में सरकार द्वारा वित्तीय भार वहन करने के पश्चात किसी प्रकार के जी.एस.एस. निर्माण नहीं किए जा सकते हैं तथापि विद्युत भार बढ़ने के कारण अजमेर में जी.एस.एस. निर्माण की आवश्यकता है तो इस पर किए जा रहे छह हजार लाख रुपए का खर्च टाटा पावर प्राइवेट लिमिटेड से दंडनीय ब्याज सहित वसूला जाना चाहिए है।