शिक्षा के द्वारा भौतिक व आध्यात्मिक दोनों की उन्नति आवश्यक

अजमेर 05 अगस्त। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में विद्यालयीन शिक्षा का वर्तमान स्वरूप एवं भावी दिशा विषय पर आयोजित त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन अवसर पर शिक्षाविदों की राय थी कि समस्या नहीं समाधान की चर्चा करनी चाहिए। शिक्षा के द्वारा भौतिक व आध्यात्मिक दोनों की उन्नति आवश्यक है। पैकेज प्राप्त करना ही शिक्षा का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। शिक्षा का मूल आधार एकाग्रता है, इससे देश में श्रेष्ठ व्यक्त्तिव का निर्माण होगा।

बोर्ड सभागार में रविवार को आयोजित समापन समारोह में मुख्य अतिथि हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पी.एल. चतुर्वेदी ने कहा कि देश में स्वतंत्रता से ही शिक्षा में मूलभूत परिवर्तन आने चाहिए किन्तु हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सके है। देश में संस्कारयुक्त शिक्षा की आवश्यकता है जिससे देश के प्रति समर्पित, समरस व देश के प्रति सेवाभाव रखने वाले विद्यार्थी तैयार हो सके। शिक्षा के प्रति समर्पित शिक्षकों का ही चयन होगा तभी श्रेष्ठ परिणाम दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि विद्यालय परिवेश में प्रबन्धन व्यवस्था में शिक्षक व छात्रों का सहभाग होना चाहिए। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के पूर्व कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल ने कहा कि जब तक शिक्षक जागृत नहीं होगा तब तक सामाजिक परिवर्तन संभव नहीं है। शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन का आधार है। निजी और सरकारी क्षेत्रों के विद्यालयों में समानता का स्तर आने पर परिणाम भी वांछित दिखाई देंगे।

समापन समारोह के मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि शिक्षा का मूल आधार एकाग्रता है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में एकाग्रता से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। शिक्षा के लक्ष्य एवं जीवन के लक्ष्य में अन्तर नहीं होना चाहिए। आज पैकेज प्राप्त करना ही शिक्षा का लक्ष्य हो गया है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद युवक समाज को कुछ दे सके ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है। शिक्षा के द्वारा भौतिक व आध्यात्मिक दोनों की उन्नति आवश्यक है। आध्यात्मिक विकास को धर्म और सम्प्रदाय से नहीं जोडा जाना चाहिए। आध्यात्मिकता निस्वार्थ भाव से किया गया कोई भी कार्य है। शिक्षा परिवर्तन के माध्यम से जो देश में परिवर्तन होगा उससे वातावरण बदलेगा। पुनः भारत विश्व को नेतृत्व प्रदान करेगा। पर्यावरण के चर्चा करते हुए कोठारी ने बताया कि पर्यावरण की भारतीय दृष्टि का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रन्थों में विस्तृत रूप से किया गया है। उन्होंने बताया कि समस्या ही नहीं हमें समाधान की चर्चा करने से देश में एक सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देगा। इस कार्यशाला में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से कहीं पर भी प्लास्टिक के सामानों का उपयोग नहीं किया गया। यह उदाहरणीय है।

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. बी.एल. चौधरी ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र की आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए। प्राथमिकता शिक्षा, सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था का आधार है। उन्होंने कहा कि देश के सामने भारतीय दृष्टियुक्त श्रेष्ण विद्यालयों का एक प्रतिमान ;त्वसस डवकमसद्ध खडा करना चाहिए।

कार्यशाला के समापन दिवस पर प्रथम सत्र में परीक्षा एवं मूल्यांकन प्रक्रिया विषय पर हरियाणा बोर्ड के डॉ. ऋषि गोयल, जे.डी. केरला शिक्षा बोर्ड के राघवन, एन.आई.ओ.एस. छत्तीसगढ के संजय पाण्डे ने सार्वजनिक परीक्षाओं के माध्यम से समान्तर बाजार विकसित होने पर चिन्ता प्रकट की और ये बाजार परीक्षार्थियों में तनाव का कारण बन गये है। विद्यार्थी का लिखित एवं व्याख्यात्मक मूल्यांकन के साथ ही सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन होना चाहिए। द्वितीय सत्र में शिक्षा का अधिकार -समीक्षा एवं क्रियान्वयन की प्रक्रिया विषय पर शिक्षाविद् डॉ. सुमनबाला ने निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के विषय पर विस्तृत चर्चा की। तृतीय सत्र में आगामी योजना एवं कार्यशाला की समीक्षा विषय पर डॉ. देशराज शर्मा ने आगामी योजना के अन्तर्गत चरित्र निर्माण एवं व्यक्त्तिव विकास पर राष्ट्रीय कार्यशाला 07 से 09 सितम्बर, 2018 को झाबुआ, मध्यप्रदेश में की जायेगी। इसके अतिरिक्त 5 से 7 अक्टूबर, 2018 को हैदराबाद में वैदिक गणित पर कार्यशाला की जायेगी। सूचना प्रोद्यौगिकी एवं भारतीय भाषायें पर तीन दिवसीय कार्यशाला 11 से 13 अक्टूबर, 2018 को जवाहर लाल नेहरू, विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में आयोजित की जायेगी। साथ ही कार्यशाला के विषय पर देश के विभिन्न बोर्डों के प्रतिनिधियों ने शिक्षा के वर्तमान स्वरूप एवं भावी दिशा पर संगोष्ठियां एवं कार्यशालाओं के आयोजन का निर्णय किया।

प्रारम्भ में राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने स्वागत किया। अन्त में बोर्ड की सचिव श्रीमती मेघना चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में बोर्ड की विशेषाधिकारी श्रीमती प्रिया भार्गव, वित्तीय सलाहकार श्रीमती आनन्द आशुतोष, शैक्षिक एवं प्रोद्यौगिकी विभाग राजस्थान के अनुसंधान अधिकारी, हनुमान सिंह राठौड, निदेशक (शैक्षिक) डॉ. प्रताप भानु और मनोज उपाध्याय भी उपस्थित थे।
उप निदेषक (जनसम्पर्क)

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