न्यूनतम ग्रहण करके अधिकतम देने का संकल्प ही जीवन .प्रांजलि येरेकर

मनुष्य का जीवन त्याग और सेवा के लिए उत्पन्न हुआ है प्रकृति के पांचों तत्वों से मिलकर इस शरीर से आर्त और विपन्न की सेवा ही स्वामी विवेकानंद के शब्दों में सच्ची मानव सेवा है जिस प्रकार एक वृक्ष न्यूनतम खाद.पानी एवं सूर्य का प्रकाश लेकर अधिकतम छाया फल फूल और वनस्पति देता है उसी प्रकार मनुष्य को भी प्रकृति से न्यूनतम पदार्थ ग्रहण करते हुए अधिकतम देने का भाव रखना चाहिए यही भारत की त्याग और सेवा की परंपरा है
उक्त विचार विवेकानंद केंद्र की प्रांत संगठक सुश्री प्रांजलि येरीकर ने रोटरी भवन पंचशील नगर में विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर के द्वारा संचालित किए जा रहे 10 दिवसीय सत्र योग सत्र के सप्तम दिवस बोलते हुए व्यक्त किए
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन की सार्थकता देह का बल प्राप्त करके और धैर्यपूर्वक ध्येय की साधना करना है जीवन के मार्ग पर अनेक विपत्तियां आती हैं और बाधाएं रास्ता रोकती हैं किंतु हमें आत्मबोध के द्वारा उनका समाधान करते हुए अपने व्यक्तित्व को निरंतर परिष्कृत करते रहना होगा
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के अजमेर शाखा के नगर प्रमुख रविंद्र जैन ने बताया विश्व बंधुत्व माह के अवसर पर आज अजमेर नगर के तीन विद्यालयों में विश्व बंधुत्व समारोह आयोजित किए गए इनमें राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल बड़लिया नवीन विद्यालय गुलाबबाड़ी तथा महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज माखुपुरा थे
आगामी उठो जागो युवा प्रतियोगिता की तैयारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सितंबर के अंतिम 2 सप्ताहों में में अजमेर ब्यावर नसीराबाद पुष्कर एवं किशनगढ़ में महाविद्यालयों के युवाओं के लिए उठो जागो युवा प्रतियोगिता का आयोजन विवेकानंद केंद्र के तत्वावधान में किया जा रहा है जिनमें ढाई हजार युवाओं के पंजीकरण का लक्ष्य रखा गया है

(रविन्द्र जैन )
नगर प्रमुख

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