गाउट से पीड़ित एक दशक में दो गुना बढ़े

खून में यूरिक एसिड बढ़ने से होता है गाउट रोग
अजमेर, 25 अक्टूबर( )। ‘गाउट’ रोग के कारण जोड़ों में दर्द पीड़ितों की संख्या पिछले दस सालों में दो गुना बढ़ गई है। भारतीयों में कुल जनसंख्या के डेढ़ से तीन प्रतिशत लोग गाउट रोग से पीड़ित हैं। इनमें भी शहरी लोगों की संख्या ग्रामीण परिवेश में रहने वालों से काफी अधिक है। गाउट रोग खून में यूरिक एसिड बढ़ जाने की वजह से होता है। यूरिक एसिड अधिक मात्रा में मांसाहार करने, एल्कोहल एवं सोफ्टड्रिंक पीने या फास्ट फूड का सेवन करने से बढ़ता है। डिब्बा बंद खाने में शर्करा (फ्रुक्टोज) की मात्रा अधिक होती है जो कि खून में मिलकर यूरिक एसिड बनाती है।
मित्तल हाॅस्पिटल में ‘यूरिक एसिड एवं किडनी’ विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीरसिंह चैधरी द्वारा यह जानकारी साझा की गई। सेमिनार जवाहर लाल नेहरू आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के प्राचार्य एवं नियंत्रक तथा वरिष्ठ प्रोफेसर (शिशु रोग) डाॅ अनिल जैन के मुख्यातिथ्य एवं मित्तल हाॅस्पिटल के वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डाॅ महेश गुप्ता की अध्यक्षता में हुई। सेमिनार में अजमेर के 70 से अधिक चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। आरम्भ में हाॅस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. विनोद विजयवर्गीय ने अतिथियों का बुके भेंट कर स्वागत किया। निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल ने स्मृति चिंह भेंट किए। सेमिनार का संयोजन हैड हाॅस्पिटल एडमिनिट्रेशन डाॅ विद्या दायमा ने किया।
मुख्य अतिथि की हैसियत से बोलते हुए डाॅ अनिल जैन ने कहा कि डाॅ चैधरी ने बहुत ही सारगर्भित तरीके से इस गहन विषय पर प्रकाश डाला है। उन्होंने आज के दौर में खान-पान के फास्टफूड कल्चर को गहन विमर्श का विषय बताया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डाॅ महेश गुप्ता ने दूध वाला प्रोटीन गाउट पीड़ितों के लिए अच्छा बताया।
इससे पूर्व डाॅ रणवीरंिसंह चैधरी ने पावर प्रजेंटेशन के जरिए बताया कि खून में यूरिक एसिड बढ़ने के मामले विगत 10 सालों में बहुसंख्या में सामने आ रहे हैं। प्रति सौ में 5 से 13 प्रतिशत लोग इससे ग्रसित पाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़, किडनी, व हार्ट को नुकसान पहुंचता है। जोड़ों में गाउट नाम की बीमारी हो जाती है। किडनी में पथरी बनने लगती है। यूरिक एसिड ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में सहायक होकर किडनी व हार्ट को प्रभावित करने लगता है। उन्होंने बताया कि कैंसर के मरीजों को कीमोथैरेपी देने के तुरंत बाद खून में यूरिक एसिड की मात्रा एकदम से बढ़ जाती है व किडनी की नलियों में जाकर अवरोध पैदा कर देती है जिससे किडनी फेल हो सकती है।
डाॅ रणवीरसिंह चैधरी ने बताया कि वर्तमान दौर में खान-पान का पाश्चात्यकरण होने से लोगों में मोटापा बढ़ रहा है एवं लोग ब्लड शुगर ( डायबिटीज वल्र्ड ) से ग्रसित होने लगे हैं। नतीजतन यूरिक एसिड से होने वाली बीमारियां होने लगी हैं। उन्होंने सलाह दी कि गाउट से ग्रसित रोगियों को मांसाहारी भोजन, एल्कोहल, कोल्डड्रिंक, डिब्बा बंद फूड से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि खूब पानी पीना चाहिए, चैरी, पपीता, ग्रीन टी एवं विटामिन सी युक्त फल का सेवन करना चाहिए। इसके बाद भी अगर खून में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो तो डाक्टर से मिलकर यूरिक एसिड कम करने की दवाइयां चालू करानी चाहिए।

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