अजमेर। मंगलवार को पांच मोहर्रम के मौके पर मशहूर सूफी दरवेश हजरत बाबा फरीदगंज शकर रहमतुल्ला अलेह की फातेहा दिलाई गई। घरों में बाबा फरीद के नाम की खिचड़ी बनाई गई। गरीब नवाज की दरगाह में बाबा फरीद के चिल्ले पर हजारो जायरीन ने अकीदत के साथ हाजिरी दी और चिल्ले की जियारत कर अपने आप को खुशनसीब पाया।
गौरतलब है कि बाबा फरीद का चिल्ला अजमेर में साल में एक मर्तबा मोहर्रम की 4 तारीख से लेकर 7 तारीख सुबह तक खोला जाता है। बाबा फरीद का मजार पाकिस्तान के मशहूर शहर पाकपट्टन में है। पंजाब के मशहूर शहर फरीदकोट का नाम बाबा फरीद के नाम पर रखा गया है।
पांच मोहर्रम को जहां जायरीन-ए-ख्वाजा ने बाबा फरीद के चिल्ले की जियारत की, वहीं गरीब नवाज के दर की जियारत करने वालो का भी तांता लगा रहा। जायरीन की आमद का सिलसिला अभी भी बरकरार है। बुुध के रोज पीर के रोज गरीब नवाज की महाना छठी की फातेहा दरगाह शरीफ में दिलाई जायेगी। इस्लामी सन् 1434 हिजरी की पहली छठी होने के सबब इस मर्तबा उम्मीद से ज्यादा जायरीन के आने के इमकान है।
दरगाह और आसपास के इलाकों में इमाम हुसैन के शहदाई महवे गम नजर आ रहे हैं। दरगाह शरीफ के नजदीक छतरी गेट पर मजलिसों का इनाकाद किया जा रहा है। मर्सियाख्वानी और शौहदाय करबला की शान में तकरीरे की जा रही है। दूसरी तरफ ईमाम हुसैन के गम गुसार ढोल ताशों पर मातमी धुनें बजाकर मातम भी कर रहे है।
ईमाम हुसैन के चाहने वालों ने मंगल के रोज दरगाह शरीफ के नजदीक छतरी गेट से अजमेर के कदीमी इमाम बाडे तक अलम का जुलूस निकाला। भीड का ये आलम था कि खादीम मोहल्ले में छतरी गेट से लेकर इमाम बाड़े तक कहीं तिल धरने की जगह भी न थी। अलम के जूलूस के रास्ते में पडऩे वाले मकानों की छतों पर भी बड़ी तादाद में आशिके हुसैन नजर आये। ये तमाम शहदायी, ईमाम हुसैन की याद में हरे लिबास में मबलूस नजर आये। चारो तरफ हरे कपडो में मौजूद ये आशिके अहलेबत माहौल को एक अलग ही फिजा दे रहे थे। जूलूस में मिलाद पार्टियों ने मर्सियाख्वानी भी की। तमाम रास्ते अकीदतमंदों में शरबत और तर्वरूकात तक्सीम किये गये। अलम का जूलूस इमाम बाडे मे पहुंचने पर इमाम हुसैन की शान मे सलातो सलाम पेश किया गया और फताहाख्वानी हुई। बाद सलाम और फताहा दुआएं की गयी।
पाचं मोहर्रम को ही आशिकाने इमाम हुसैन ने दरगाह शरीफ में चांदी के ताजीये की जियारत की और उस पर फूल और सलाम पेश किये। गौरतलब है कि हिंदुस्तान में सिर्फ अजमेर मे ही चांदी का ताज़ीया निकाला जाता है। जिसको देखने के लिए लोगो में खासा जोश और जज्बा रहता है। ये चांदी का ताजिय़ा मन्नती ताजिया है।
जायरीन की भारी आमद से दरगाह और आसपास के इलाके पूरी तरह से आबाद हैं। दरगाह बाजार, नाला बाजार के साथ साथ धानमंडी और मदारगेट पर भी जायरीन की भारी भीड़ नजर आ रही है, जिसके सबब बाजारों में जमकर खरीददारी की जा रही है। सबसे ज्यादा बिक्री अजमेर के मशहुर सोहन हल्वे की हो रही है। जिला इंतजामिया ने पुष्कर रोड विश्राम स्थल पर पानी भरे होने के सबब जायरीन के कयाम का इंतेजाम कायड़ विश्राम स्थली पर किया है।
जायरीन की सहुलियत के लिए सरकारी डिपार्टमेंटों ने भी अपने कैम्प लगाये हैं। नगर निगम ने साफ सफाई की जिम्मेदारी समान रखी है वहीं पुलिस की जानिब से हिफाजत से मुकम्मल इंतेजामात किये गये हैं। गौरतलब है कि कायड विश्राम स्थली में मोहर्रम के मोके पर पहली मरतबा जायरीन के कयामका इंतेजाम किया गया है। यहां पर कारोबारियों ने अपनी दुकानें भी सजाई हैं। जिन पर भी जमकर खरीददारी हो रही है। ठण्ड शुरू होने के सबब गरम कपडों की बिक्री जोरों पर है।
बुध के रोज गरीब नवाज की दरगाह में ईस्लामी साल 1434 की पहली महाना छठी की फातेहा दिलाई जायगी, जिसमें हजारों अकीदतमंद अदब और अहतराम के साथ शिरकत करेंगे।