वासंती स्वरों से महकी काव्य गोष्ठी

अजमेर/‘जब खिले धरा का पोर पोर तब मानो आया वसंत‘, ‘आया वसंत आया वसंत हर दिल में छाया वसंत‘, जीतकर सब बाधाओं से जागो फूलों की महक से इस वसंत‘ ऐसे ही वासंती स्वरों से महकी काव्य गोष्ठी का आयोजन रविवार को शास्त्री नगर स्थित ऋतुचक्र में हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् और अजमेर साहित्य मंच द्वारा आयोजित इस गोष्ठी में डाॅ विनिता जैन, कुलदीप सिंह रत्नू, देवदत्त शर्मा, रेखा शर्मा और डाॅ हरिश गोयल आदि ने वासंती रंगों में रची बसी कविताएं सुनाई। सदारत कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया ने ‘चले गए हँसकर तुम तो माँ का कर्ज चुकाने को, मैं कैसे जी पाऊँगी माँ का फर्ज निभाने को‘ के माध्यम से शहीद परिवारों की भावनाओं को उकेरा। साहित्य मंच के संयोजक प्रदीप गुप्ता ने व्यंग्य रचना ‘एक बंदा बच्चे से रोटी छीनकर भागा‘ सुनाकर ठहाके लगवाए। संचालन कर रहे बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने ‘कोई हमसे जुदा हो गया यों ही‘ गज़ल पेश की। युवा कवि गौरव दुबे ने श्रंगार छंद सुनाए और राजेश भटनागर ने गज़ल गुनगुनायी। डाॅ चेतना उपाध्याय और मधु खण्डेलवाल ने पुलवामा के शहीदों का स्मरण कराया। गोष्ठी में डाॅ नीता माथुर, विनिता बाड़मेरा, रामावतार यादव, डाॅ स्वर्णकान्ता अरोड़ा, तेजसिंह कच्छावा, डाॅ निशि प्रसाद, मोहनलाल तँवर, डाॅ विष्णुदत्त शर्मा, प्रभा शर्मा, गंगाधर शर्मा हिन्दुस्तान और सुनील मिततल इत्यादि ने भी रचनापाठ किया।
-कुलदीप सिंह रत्नू विभाग संयोजक संपर्क-9414982406

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