अनिद्रा अनेक गंभीर बीमारियों का कारक व परिचायक— डॉ.गौड़

इंडियन चेस्ट सोसायटी राजस्थान चैप्टर की ओर से निद्रा संबंधी श्वास रोगों पर सेमिनार
अजमेर, 2 मई( )।मनोरोग विशेषज्ञ डाॅ नवेंदु गौड़ ने कहा कि अनिद्रा ना सिर्फ स्वयं एक गंभीर रोग है अपितु यह अन्य गंभीर बीमारियों का कारक व परिचायक भी है। नींद तनावमुक्त जीवन का प्रमुख आधार है। पर्याप्त नींद नहीं करने के मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, व आर्थिक रूप में दुष्परिणाम सामने आते हैं।
मनोरोग विशेषज्ञ डाॅ नवेंदु गौड़ इंडियन चेस्ट सोसायटी राजस्थान चैप्टर की ओर से अजमेर में निद्रा व निद्रा संबंधी श्वास रोगों पर जयपुर रोड स्थित होटल क्रास लेन में आयोजित सेमिनार के प्रथम सत्र को संबोधित कर रहे थे।
सेमिनार के संयोजक सचिव चेस्ट फाॅरम पल्मनोलाॅजिस्ट डाॅ प्रमोद दाधीच ने बताया कि सेमिनार डाॅ नवेंदु गौड़ ने स्लीप एवं हैल्थ विषय पर विस्तार से चर्चा की। इस सत्र की अध्यक्षता जेएलएन मेडिकल काॅलेज अजमेर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डाॅ एस के अरोड़ा ने की।
मित्तल हाॅस्पिटल के पल्मनोलाॅजिस्ट डाॅ प्रमोद दाधीच ने स्लीप एपनिया पर व्याख्यान देते हुए बताया कि 70 प्रतिशत लकवा व हार्ट अटैक स्लीप एपनिया की वजह से होते है। ब्लड प्रेशर हाई होना, अनियमित धड़कन, ब्लड शुगर भी स्लीप एपनिया की वजह से होता है। 33 प्रतिशत आकस्मिक मृत्यु की वजह स्लीप एपनिया ही है। उन्होंने बताया कि मोटापा, गर्दन का मोटा होना, चेहरे का अत्यधिक लंबा होना, नींद में खर्राटे आना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक पेशाब आना, गला सूखना, व प्यास लगना, स्लीप एपनिया के प्रमुख लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि 30 की उम्र के बाद 33 प्रतिशत लोगों में खर्राटे आते हैं। उनमें महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक होते हैं। इस सत्र की अध्यक्षता जेएलएन मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के श्वास रोग विशेषज्ञ वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ नीरज गुप्ता ने की। जयपुर के पल्मनोलाॅजिस्ट डाॅ रजनीश शर्मा पीएसजी इंटरप्रिटेशन एंड लिमिटेशन विषय पर विचार रखते हुए कहा कि बीमारी का निदान शुरूआती स्टेज पर होने से गंभीर बीमारियों को होने से रोका जा सकता है। दिल्ली के स्लीप क्लिनिकल हैड डाॅ सुशांत खुराणा ने मैनेजमेंट आॅफ ओएसए विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि बीमारियों के निदान के बाद इलाज में टीम वर्क की जरूरत होती है। जिसमें वजन पर नियंत्रण, योगा प्रणायाम, दवाइयां, व सी पेप मशीन का उपयोग, बीमारियों को काबू में रखना है। इस सत्र की अध्यक्षता जेएलएन हाॅस्पिटल के डाॅ रमाकांत दीक्षित ने की।
डाॅ प्रमोद दाधीच ने बताया कि सेमिनार का उद्देश्य चिकित्सकों को नींद व स्वास्थ्य में संबंध, खर्राटे व स्लीप एपनिया जैसे रोगों के बारे में जागरूक करना था क्यों कि एक जागरूक चिकित्सक रोग की पहचान शुरुआती स्टेज पर करले तो मरीज लाभांवित होता है। उन्होंने बताया कि स्लीप एपनिया एक जानलेवा रोग है जो कि प्रति 100 में से 2 से 4 प्रतिशत लोगों को होती है। मोटे लोगों में 20 से 40 प्रतिशत तक हो सकती है।

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