देवनानी आज विधान सभा में राज्य के वर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट पर वाद-विवाद में बोल रहे थे। उन्होंने सरकार पर जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में भी राजनीति व सामाजिक भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति व अल्पसंख्यकों के बीपीएल परिवार में होने वाले विवाह के वक्त कन्याओं को 21 हजार की सहायता देने की घोषणा की गयी है परन्तु सामान्य वर्ग के बीपीएल व गरीब परिवारों को योजना से बाहर क्यों रखा गया है जबकि केन्द्र सरकार ने तो आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी आरक्षण लागू किया है। उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा के निचे वाले वर्ग को भी जाति के आधार पर बांटना चिंतनीय है।
देवनानी ने बजट को भ्रामक, आंकड़ों का मायाजाल व घोषणाओं का पुलन्दा बताते हुए कहा कि इसमें किसानों, गरीबों व युवाओं को छला गया है। किसानों को सम्पूर्ण कर्जमाफी व युवाओं को बेरोजगार भत्ते का लालच देकर सत्ता में आई कांग्रेस ने बजट में इनके लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया है। उन्होंने राज्य सकरार पर बजट में केन्द्र की काॅपीफाॅर्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अच्छा होता अगर राज्य हित मंे अतिरिक्त योजनाएं बनाकर विकास की ओर ध्यान दिया जाता। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिकल व्हीकल नीति, पाकिस्तान जाने वाले पानी पर रोक, आर्थिक परिषद की स्थापना, किसान राहत आयोग, आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में वृद्धि, विद्यालयों में कक्षा कक्ष जैसी सभी योजनाएं केन्द्र सरकार की ही है।
देवनानी ने बजट में अजमेर जिले की पूरी तरह उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिले से मंत्री रघु शर्मा ने भी निराश ही किया है। अजमेर जिला पेयजल संकट से गुजर रहा है। बीसलपुर बांध में 1 माह की आपूर्ति योग्य पानी बचा है। इसके लिए हमारी सरकार ने ब्राह्मणी नदी का पानी बीसलपुर लाने के लिए 6000 हजार करोड़ की योजना बनाई थी, परन्तु बजट में इसके लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं रखा गया है। अजमेर में औद्योगिक विकास, मेडिसिटी व अन्य किसी विकास के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया।
उन्होंने सरकार पर सरकारी योजनाओं का नामकरण नेहरू व गांधी परिवार तक सीमित रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन्हें देश व राज्य के अन्य महापुरूषों से क्या आपत्ति है। क्या कांग्रेस सरकार लाल बहादुर शास्त्री, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल सहित अन्य महापुरूषों के योगदान को नहीं मानती या फिर इन्हें नेहरूजी, इन्दिराजी व राजीवजी की महत्ता कम होने का भय है।
देवनानी ने कहा कि बजट की शुरूआत में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का उल्लेख किया गया है पर सत्यता यह है कि मनरेगा के बाद कांग्रेस महात्मा गांधी को भूलकर परिवार विशेष तक सीमित हो गई है। इनके लिए गांधी अर्थात सोनिया जी व राहुल जी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व हमारी केन्द्र सरकार ने गांधी को सम्मान देकर सच्ची श्रद्धांजलि दी हैै। कांग्रेस तो सिर्फ वोट हथियानें के लिए गांधी जी के नाम का दुरूपयोग करती रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने प्रदेश में कभी धन की कमी का रोना नहीं रोया। आजादी के बाद कांग्रेस सरकारों के कुल कार्यकाल में जितना विकास हुआ उससे कई गुना अधिक विकास भाजपा सरकार के समय हुआ है। मुख्यमंत्री जी ने बजट भाषण में खुद ने बिजली उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर बताया व गुड गर्वंनेन्स के लिए ई गर्वंनेन्स में राजस्थान को अग्रणी बताया। उन्होंने कहा कि ये सब गत भाजपा सरकार के प्रयासों से ही तो सम्भव हुआ है। इसके अतिरिक्त गत भाजपा सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई जन कल्याणकारी योजनाओं के नाम बदलकर उन्हें जारी रखा जा रहा हैै। भामाशाह कार्ड योजना को राजस्थान जन आधार योजना, ग्रामीण गौरव पथ को विकास पथ, मुख्यमंत्री जन स्वावलम्बन को राजीव गांधी जल संजय योजना नाम दे दिया गया ।
देवनानी ने कहा कि वर्तमान में राज्य में सत्ता के 2 शक्तिकेन्द्र बने हुए है। मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा बार-बार यह कहना कि वे जनता के प्रेम के कारण मुख्यमंत्री है कहीं ने कहीं उनके असुरक्षित होने की भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है कि मुख्यमंत्री कौन रहे पर इसका असर राज्य के विकास व जनता के कल्याण पर नहीं होना चाहिए। देवनानी ने कहा कि बजट में गत भाजपा सरकार पर कर्ज लेने का आरोप लगाया गया है लेकिन कर्ज तो समय-समय पर इनकी सरकारों ने भी लिया है। इस वर्ष में ही यह सरकार 34000 करोड़ का कर्ज ले लेगी। 2003-08 के दौरान भाजपा शासन में बिजली का कर्ज 15000 करोड़ था जिसे इन्होंने 2008-13 में बढ़ाकर 75000 पहुंचा दिया। इसके अतिरिक्त कर्जे से राज्य की सम्पतियां बने तो कैसी आपति। इनकी पिछली सरकार में 66 प्रतिशत सम्पतिया बनी जबकि हमारे समय में 85 प्रतिशत सम्पतियां बनी।
देवनानी ने मुख्यमंत्री जी द्वारा लगाये गये इस आरोप को बेमानी बताया कि वर्ष 18-19 में पूर्व सरकार द्वारा 9000 करोड़ की घोषणाएं की गई परन्तु वे यह बात भूल गये कि उन्होंने स्वंय ने 12-13 में 14000 करोड़ की घोषणाएं की थी। उन्होंने कहा कि बजट में घोषणाओं का जो पुलन्दा प्रस्तुत किया गया है उनका कोई रोडमेप नहीं है। राज्य को जो आय हो रही है वह तो वेतन, पेंशन व ब्याज पर ही व्यय हो जाएगी फिर विकास की योजनाओं का क्या होगा। बजट में यह भी एक असत्य बताया जा रहा है कि जनता पर कोई कर नहीं थोंपा गया जबकि पेट्रोल, डीजल पर वेट बढ़ाकर 1800 करोड़ का भार लादा गया है। दो पहिया वा चार पहिया वाहनों पर रजिस्ट्रेशन शुल्क बढाया गया है। मौहल्ला क्लिनिक खोले जाने की घोषणा भी की गई है परन्तु वहां लगाने के लिए चिकित्सक व स्टाफ कहां से लाएंगे। पूर्व से ही जो चिकित्सालय चल रहे है उनमें ही चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े है। 21 हजार शिक्षकों की भर्ती करने की घोषणा की गई है जबकि हमने 1.50 लाख शिक्षकों की भर्ती की। ये जो 5 वर्ष में सरकारी नौकरियों की बात करते है उतनी तो हमने 1 वर्ष में ही कर दी थी ं
उन्होंने बजट में सरकार पर आयुर्वेद विभाग को भूलाने का आरोप भी लगाया। प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति जिसे आज विश्वस्तर पर भी असरकारक माना जाता है उसके लिए सरकार ने कोई बजट का प्रावधान नहीं किया है। इसके अतिरिक्त आज प्रदेश में पेयजल की भारी समस्या व्याप्त है। बजट में इसके लिए मात्र 8400 करोड़ का प्रावधान किया गया है।