अग्रसेन महोत्सव कवियों ने श्रोताओं में भरा जोश, बिखरा श्रंगार और खूब हंसाया

अजमेर 26 सितंबर। श्री अग्रसेन जयंती महोत्सव के तहत गुरुवार को महाराजा
अग्रसेन पब्लिक स्कूल में आयोजित अखिल भारतीय सम्मेलन में वीर रस के
कवियों की रचनाओं में भारत-पाकिस्तान के छाए रहे मुद्दों ने श्रोताओं को
दिल में हुंकार भरने को मजबूर कर दिया तो हास्य रस के कवियों ने श्रोताओं
को हंसा-हँसा कर लोट-पोट कर दिया। श्रंगार रस की कवियत्री ने सर्दी की
आहट की रात में श्रोताओं को अपने दिनों की याद दिला दी और आंहे भरने को
मजबूर कर दिया। मंच संचालक ने अपनी शैली कटाक्ष व हस-गुल्लों फुंआरों के
साथ देर रात तक श्रोताओं को पांडाल में बैठाएं रखा।

महोत्सव के तहत कवि सम्मेलन का आयोजन लोकेश आयल मिल प्रा. लिमि. के उमेश
चंद गोयल एवं उनकी पत्नी श्रीमती सरोज गोयल के मुख्य आतिथ्य में महाराजा
अग्रसेन की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पण के साथ शुरू
हुआ। इस अवसर पर अग्रवाल पाठशाल सभा के अध्यक्ष शंकर लाल बंसल, मुख्य
संयोजक अशोक पंसारी, डा. विष्णु चौधरी, गोपाल जी कांच वाले, राज कुमार
गर्ग, रमेश अग्रवाल, सुबोध जैन, संजीव राजीव गुप्ता, गोविंद स्वरूप गर्ग,
अनिल गुप्ता, सतीश बंसल, शैलेंद्र अग्रवाल, दिनेश परनामी, राजेंद्र
मित्तल तथा प्रदीप बंसल समेत समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कवि
सम्मेलन को लेकर समाज ही नहीं शहर के श्रोताओं में काफी उत्साह दिखायी
दिया। श्रोता समय से पहले ही अपनी जगह सुरक्षित करते नजर आए।

सर्दी के मौसम व सुनसान रात का आगाज करती सुहानी ठंड के बीच कवि सम्मेलन
का प्रारंभ की विश्व मंच में चल रहे पाक के नापाक इरादों पर भारी पड़ते
हिंदोस्तान की दास्तान के साथ हुई। मंच संचालक विनीत चौहान ने धारा 370
हटाने की सरकार की कार्रवाई का पुरजोर समर्थन करते हुए श्रोताओं के बीच
पंक्तियां रखी कि पूरी “घाटी दहल रही थी आतंकी अंगारों से। काश्मीर में
आग लगी खी पाकिस्तानी नारों से, रोज-रोज की घटनाओं का निपटारा मजबूरी था
और 370 धारा को हटाना बहुत जरूरी था”।

हास्यरस के उदयपुर के कवि अजातशत्रु ने “स्वर्ग मिलेगा माता के चरणों का
चंदन काफी है, भारत मां के महामंत्र का मन वंदन काफी है, पाकिस्तानी
कुत्तों को यदि नानी याद करानी हो, हिंदुस्तानी मोदी का फिर एक अभिनंदन
काफी है।“ दिल्ली के हास्यरस के कवि अरूण जैमनी ने हास्य के बाण कसते हुए
पाकिस्तानी की मजबूरी की दास्तां को बयान करते हुए रचना पेश की कि इमरान
ने ट्रंप से कहा “कश्मीर मुद्दे पर मोदी को समझाओं, ट्रंप बोले तुम्हे
कश्मीर की पड़ी है पहले अमरीका से मोदी को वापस बुलाओ’’… दिल्ली से
श्रंगार रस की कवियत्री पूनम वर्मा ने जब “ हमारे दिल का सुकून हो तुम
ये बात तुमको पता नहीं हैं। नजर उठा कर यूं पास आते कदम हमारी नजर के
देखों”। “ भले ही घूमों तुम इस जहां , न हाथ आएगा कुछ तुम्हारे। सुकून
चाहो तो मेरी आंखों की झील में उतर कर देखों” तो श्रोता गहरी सांस लेने
को मजबूर हो गए। ।दिल्ली से आए हास्य व्यंग के कवि महेश गर्ग बेधड़क की
रचना “जिंदगी भर पत्नी को खुश रखा, उनकी हां में हां मिलाते रहे, एक दिन
हंस के पूछ लिया-मुझसे कोई शिकायत?,बोली हां आप हमेशा अपनी ही चलाते
रहे।“ औऱ् “ वो सिकंदर था बड़ा मुकद्दर था फिर भी खाली हाथ चला गया तू
क्या सोचता हे पगले सब कुछ ले कर जाएगा, अरे तू भी खाली हाथ आया है खाली
हाथ जाएगा” ने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। महोत्सव के संयोजक
एवं कवि अशोक पंसारी ने जब अपने वीर रस में “मोदी जी ने कर दिया कमाल 370
आर्टिकल 35 हटा कर नायाब तोफा देश को दे दिया, तोफा नायाब पाकिस्तान की
हो गई एसिकीतेसी अब तो पीओके के में फहराओ तिरंगा, करो भारत माता की ताज
पोशी गिलगित बालिस्तान को भी लेना होगा, सेना को कूच करने का दे दो आदेश
अखंड भारत का सपना तभी साकार होगा। “ पेश की तो श्रोताओं में जोश भर आया।
इन्होंने ही अपनी दूसरी रचना “ पहले तो मंदी की मार, उपर से दिवाली का
त्यौहार, मंहगाई से जेब हो गई खाली, तिस पर घरवाली मांगे गहना-गांटे और
साड़ी, मोदी जी छोड़ कर पत्नी मौज कर रहे हो यहां तो घरवाली पड़ने लगी भारी”
हास्यरस में पेश की तो श्रोता अपनी हंसी रोक नहीं सके। कवि सम्मेलन की
व्यवस्थाओं में अमित डाणी, शैलेंद्र बंसल तथा हमेंत तायल का सराहनीय
सहयोग रहा। कवि सम्मेलन के दौरान अखिल भारतीय युवा अग्रवाल सम्मेलन की और
से सभी श्रोताओं के लिए नि:शुल्क केसर चाय के वितरण की व्यवस्था की गई।
जिसमें गिरीराज अग्रवाल, राकेश हटुका, अमित श्रीया व हेमंत तायल का
सहयोग रहा।

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