प्रदेश में उच्च शिक्षा का बंटाधार -देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर/अजमेर, 17 फरवरी।
पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार पर प्रदेश में उच्च शिक्षा का बंटाधार किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश के 92 फीसदी काॅलेजों में प्राचार्य के पद रिक्त है किन्तु सरकार इसे लेकर अभी तक भी गंभीर नजर नहीं आ रही है।
देवनानी द्वारा विधान सभा में प्रदेश के महाविद्यालयों में प्राचार्य व उपाचार्य के रिक्त पदों के सम्बंध में एक तारांकित प्रश्न पूछा था जिसके जवाब में सोमवार को सरकार ने बताया कि प्रदेश के 292 काॅलेजों में से मात्र 25 काॅलेजों में ही प्राचार्य कार्यरत है जबकि 267 काॅलेज ऐसे है जिनमें प्राचार्य के पद रिक्त पड़े है।
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने कहा कि सरकार को ना तो उच्च शिक्षा की कोई चिन्ता है और ना ही विद्यार्थियों के भविष्य का ध्यान। उन्होने कहा कि वर्ष 2018 में सरकार द्वारा काॅलेज प्राचार्य की डीपीसी के नियम व गाईडलाईन तैयार कर आरपीएससी को भिजवा दिये गये थे परन्तु अपने घोषणा पत्र में समयबद्ध पदौन्नति का वादा करने वाली राज्य सरकार ने इसे सवा साल से लटका रखा है। देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार चेहतों को लाभ पहुंचाने के लिए काॅलेज प्राचार्य की डीपीसी नहीं कर रही है। जिन व्याख्याताओं ने पीएचडी नहीं कर रखी है उन्हें डीपीसी का लाभ पहुंचाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दो बार नियमों में संशोधन कराने की कोशिश की गई परन्तु वित्त विभाग की अनुमति नहीं मिल सकी किन्तु फिर भी सरकार नियमों में संशोधन कराने पर तुली हुई है। सरकार की काॅलेजों में प्राचार्यो की नियुक्ति से ज्यादा कतिपय चेहतों को डीपीसी का लाभ पहुंचाने की स्पष्ट मंशा झलक रही है।
जीसीए प्राचार्य की मनमर्जी, अवैध रूप से नियुक्त किये 5 उपाचार्य
देवनानी ने बताया कि उनके प्रश्न के जवाब में सरकार ने जानकारी दी है कि महाविद्यालयों में उपाचार्य संवर्ग को वर्ष 2018 में मृत संवर्ग घोषित कर दिया गया है फिर भी प्रदेश में 32 उपाचार्य कार्यरत है जिनमें अजमेर के जीसीए में कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अजमेर के जीसीए – राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य ने तो सभी हदे पार करते हुए बिना सरकार के अनुमोदन व जानकारी के खुद के स्तर पर ही काॅलेज में 05 उपाचार्य नियुक्त कर रखे है जबकि प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया है कि अजमेर के राजकीय काॅलेज में कोई उपाचार्य कार्यरत नहीं है। वैसे भी उपाचार्य की नियुक्ति का अधिकार आयुक्त काॅलेज शिक्षा को होता है जबकि अजमेर प्राचार्य तो इसके लिए अधिकृत ही नहीं है।े देवनानी ने अजमेर प्राचार्य पर जीसीए में उपाचार्यों की अवैध नियुक्ति किये जाने के मामले में सदन को गुमराह करने पर सख्त कार्यवाही करने की मांग विधान सभा में रखी जिस पर उच्च शिक्षा मंत्री ने जांच करवाकर कार्यवाही कराये जाने का आश्वासन दिया है।

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