मुख्यमंत्री किसानों को राहत दे :एडवोकेट विजय पाल चौधरी

राष्ट्रीय लोकत्रांतिक पार्टि के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट विजय पाल चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से किसानों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की है ।
रालोपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट विजय पाल चौधरी ने मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा है कि मार्च के प्रथम सप्ताह में ओलावृष्टि के कारण प्रदेश के अनेक भागों में फसलें चौपट हुई, जिसमें भरतपुर जिले के 9 किसानों ने एक पखवाड़े में ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, ऐसी असामयिक मौत होने पर उनके आश्रितों को सहायता दी जावे कोरोना का वार और प्रकृति की मार से किसान आहत है फसलों की बर्बादी का दर्द उसी प्रकार का है, जिस प्रकार भूखे व्यक्ति के सामने से परोसी गई भोजन की थाली को छीन लिया जावे
विजय पाल चौधरी ने कहा कि बेमौसम बरसात के कारण भी फसलों को भारी नुकसान हो रहा है, जो अभी भी निरंतर है ऐसे दोहरे संकट के समय सरकार किसानों के साथ खड़ी दिखाई दे, इसकी आवश्यकता है दुखद आश्चर्य है कि खरीफ के समय भी प्रकृति की मार के कारण प्रदेश के अनेक भागों में फसलें चौपट हुई थी किंतु उनकी सहायता राशि भी अभी तक किसानों को नहीं दी गई है अब वर्ष भर का सहारा रबी की फसलें ही है, इन की खराबे के समय सरकार को आपात समय समझ कर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए इसके संबंध में किसानों को फसल की बर्बादी से हुए नुकसान की भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जिन किसानों से उनकी फसलों का प्रीमियम वसूला गया, उनका क्लेम किसानों को दिलाने सहित केंद्रीय एवं राज्य के आपदा राहत कोष से सहायता दिलाया जाना अपरिहार्य है ।
चौधरी ने ज्ञापन में कहा है कि आप केंद्र सरकार से भी इस आपात समय में विशेष पैकेज की मांग कर उसे तत्काल प्राप्त करने के लिए राजस्थान की जनता की ओर से प्रयास करें तो और भी श्रेष्ठ रहेगा। पटवारी हल्का द्वारा गिरदावरी में किस खसरा नंबर में क्या फसल बोई गई इसका अंकन किया जाता है किंतु किस फसल में कितनी क्षति हुई इसका आकलन का माध्यम गिरदावरी नहीं है । इसमें प्रभावित पीड़ित किसान की फसल की क्षति हुई है उससे उसके बारे में गिरदावरी में न तो पूछा जाता है तथा न ही क्षति के आकलन के उपरांत उसको बताया इसमें पारदर्शिता का पूर्णत अभाव है । यह मात्र शासन के अनुकूल प्रलेख तैयार करने का शासन के लिए सुविधा अनुकूल कार्य है जिसका पीड़ित प्रभावित किसान को न्याय पूर्ण सहायता प्राप्ति से कोई संबंध नहीं है।
उन्होने कहा कि बेमौसम बरसात में किसानों की पकी हुई फसल और कटी हुई फसल में खराब हुई, उसके आकलन के लिए वर्तमान तकनीकी युग में गिरदावरी की रट छोड़कर इसका सर्वे ड्रोन या किसी अत्याधुनिक उपकरण/यंत्र द्वारा कराया जावे इसे पुष्ट करने के लिए ग्राम स्तर पर पांच व्यक्तियों की विशेषज्ञ समिति का गठन किया जावे, जिसमें सरकारी प्रतिनिधि के रूप में भूमि की पहचान करने वाले पटवारी हल्का, कृषि उपज की स्थिति जानने के लिए कृषि पर्यवेक्षक, जनप्रतिनिधियों में ग्राम पंचायत का सरपंच, ग्राम सेवा सहकारी समिति का अध्यक्ष तथा प्रभावित और पीड़ित किसान को समिति के सदस्य के रूप में रखा जावें यह समिति 3 दिन में आकलन कर दे सकती है पीड़ित किसानों को सरकार द्वारा सहायता एक सप्ताह में प्रदान की जा सकती है । क्षति की राशि के आकलन के लिए 2010 में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा चार भिन्न-भिन्न दलों के मुख्यमंत्रियों की समिति की अनुशंसा के अनुसार प्रति हेक्टर कम से कम 25000 रुपये देने का प्रावधान हो, जिसे मूल्य सूचकांक से जोड़ने पर वर्तमान में यह राशि 50,000 रुपये प्रति हेक्टर होती है ।उन्होने कहा कि फसल खराबा के कारण किसानो के परिवार में से किसी ने अपना जीवन समाप्त कर लिया तो उसके आश्रितों को अन्य की भांति पांच लाख रुपये की सहायता, ऋण मुक्ति और सरकारी कर्मचारियों की भांति अनुकंपा के नियम बनाकर परिवार में से कम से कम एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की आवश्यकता है।
चौधरी ने ज्ञापन में कहा है किप्रदेश की जनता को अच्छा लगा कि आप कोरोना के संबंध में निरंतर देश में अग्रणी होकर अनुकरणीय कदम उठा रहे हैं । कोई भूखा नहीं सोए उसके लिए पड़ोसियों को भी चेता रहे हैं एवं बेसहारा जीव जंतुओं के लिए दाना पानी की व्यवस्था हेतु जनता से विनती कर रहे हैं, मानवीय पक्ष का यह श्रेष्ठ उदाहरण है ।
हमें आशा है कि आप किसानों के बारे में भी इस दोहरे संकट काल में बेमौसम बरसात के कारण किसानों को उनकी फसलों की क्षति का सही आकलन करा कर उन्हें एक सप्ताह में सहायता प्रदान करेंगे । इस भीषण संकट काल में अन्नदाता किसानो की सहायता भगवान का ही काम है ।

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