गांवों में मनरेगा बना रोजगार का आधार

जिले में 24 हजार से अधिक श्रमिकों को मिला रोजगार
मांगने पर उपलब्ध कराया जा रहा है रोजगार

अजमेर, 26 अप्रेल। लॉकडाउन के इस दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना गांवों के लिए वरदान बन गयी है। शहरों में लॉकडाउन के कारण रोजगार कम हो गए, कई जगह काम नहीं मिला इसके बावजूद गांवों में मनरेगा ने प्रत्येक वर्ग को सहारा दिया है। अजमेर जिले में वर्तमान में 276 ग्राम पंचायतों में 2 हजार 559 कामों पर 24 हजार 331 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने गांवों में रोजगार की गाडी पटरी पर लाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए थे। इसके तहत गांवों में न्यूनतम मजदूरी भी बढा कर 220 रूपये कर दी गई है। गांवों में मांग के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गजेन्द्र सिंह राठौड ने बताया कि जिले की 307 ग्राम पंचायतों में से 276 ग्राम पंचायतों में रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके तहत प्रधानमंत्री आवास योजना, कैटेगरी बी के तहत व्यक्तिगत लाभ के कार्य, जल संरक्षण व सिंचाई संबंधी कार्य करवाए जा रहे हैं। इन सभी कामों पर 24 हजार 331 श्रमिक नियोजित है।
उन्होंने बताया कि अरांई पंचायत समिति में 174 कामों पर 1431 श्रमिक, भिनाय में 373 कामों पर 2460, जवाजा में 318 पर 2738, केकडी में 517 कामों पर 2807 श्रमिक लगाए गए है। इसी तरह मसूदा में 111 कामों पर 4240, पीसांगन में 280 कामों पर 4472, सरवाड़ में 696 कामों पर 2788, श्रीनगर में 88 कामों पर 1119 तथा सिलोरा में 74 कामों पर 2276 श्रमिक नियोजित किए गए है।

सोशल डिस्टेंस और नियमों का पूरा पालन
जिला परिषद स्वीकृत कामों में कोरोना महामारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग तथा अन्य नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है। श्री राठौड ने बताया कि सभी कार्याें स्थल पर प्रत्येक लेबर को मास्क या गमछा लगाकर काम करना अनिवार्य किया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग, 4 बार हाथ धोना, प्रतिदिन का टास्क आदि अनिवार्य रूप से करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों को लगातार नियोजित किया जा रहा है।

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