कांग्रेस को लोकतंत्र की दुहाई देने का नहीं अधिकार: देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 26 जून।
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र की दुहाई देने का कोई अधिकार नहीं है जिसने देश के लोकतंत्र की आत्मा को छलनी करते हुए आपातकाल लगाकर जनता को बेवजह मुश्किलों के समुंदर में धकेल दिया था। देवनानी ने कहा कि 45 वर्ष पूर्व 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए भारतीय संविधान की धज्जियां उडाते हुए लोकतंत्र की सरेआम हत्या कर डाली तथा देश को आपातकाल की आग में झोंक दिया जिससे 19 माह तक देश की जनता को इसका दंश झेलना पड़ा।
देवनानी ने कहा कि इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित होने पर अपनी सत्ता को बचाने के लिए सारी मर्यादाओं को लांघते हुए कुटिल षड़यंत्र रचकर देश की जनता पर आपातकाल थोंपा गया था। अपनी राजनैतिक स्वार्थपूर्ति व सत्ता पर कब्जें के लिए संविधान को कुचलकर लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। मिडिया की आवाज बंद कर दी गई तो न्यायपालिका के अधिकार छीन कर निहत्था कर दिया गया। आपातकाल के दौरान 1 लाख 40 हजार नेताओं व नागरिकों को बिना मुकदमा चलाये जेल की सींखचों में बंद कर दिया गया जिनमें विपक्ष के सभी बड़े नेता शामिल थे। आमजन की अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगा दिया गया। कांग्रेस ने मीसा के तहत अपने राजनैतिक विरोधियों को चुन-चुनकर बिना किसी कसूर के गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया। देवनानी ने कहा कि उस समय के मीसा बंदियों को प्रदेश की भाजपा सरकार ने पेंशन स्वीकृत की थी जिस पर भी मुख्यमंत्री गहलोत ने रोक लगा दी।
उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस का असली चेहरा व चरित्र ऐसा रहा हो वह जब संविधान की रक्षा के बारे में बात करती है तो जनता को हंसी आना स्वाभाविक है। कांग्रेस को तो कोई अधिकार ही नहीं रहता संविधान की बात करने का। देवनानी ने कहा कि वर्तमान में बार-बार मोदी जी पर प्रश्न उठाने से पहले कांग्रेस के नेता पहले अपने गिरेबान में झांके कि उन्होंने अब तक क्या-क्या किया है तथा किस प्रकार कुर्सी बचाने के लिए देश के संविधान की धज्जियां उडाई है व लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला है।

चीन के साथ अपने संबंध स्पष्ट करे कांग्रेस-
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा कि कांग्रेस चीन के साथ अपने सम्बंध स्पष्ट करे। कांग्रेस के नेता वर्तमान में जो भाषा बोल रहे है उससे संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं कांग्रेस के साथ चीन का कोई गुप्त समझौता तो नहीं है भारत को कमजोर करने का।
देवनानी ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस ने शुक्रवार को शहीदों को श्रद्धांजलि देने का जो कार्यक्रम रखा वह केवल जनता का हकीकत से ध्यान हटाने का ढोंग था। यह बात अजमेर में तो बिल्कुल साफ नजर आई जहां पूरा आयोजन मात्र फोटों खिंचवाने को लेकर होता नजर आया जिसमें कांग्रेसी कार्यकर्ता ना केवल गुत्थम-गुत्था हो गये बल्कि एक-दूसरे को लहुलुहान तक कर दिया।
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस जो भाषा बोल रही है वह चीन की भाषा प्रतीत होती है जो हमारे सैनिकों का मनोबल गिराने वाली है। एसे में कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि राजीव गांधी फाण्डेशन जिसके राहुल गांधी, प्रियंका गांधी तथा सोनिया गांधी तीनों सदस्य है उसमें 90 लाख डाॅलर चीन से क्यों व किस कारण मिले।
देवनानी ने यह भी कहा कि 2008 में कांग्रेस ने चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू किया था। आज तक दो देशों के बीच तो एमओयू होता आया है परन्तु दो पार्टिंयों में नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह स्पष्ट करे कि उस एमओयू में क्या तय किया गया था तथा आज कांग्रेस जो भाषा बोल रही है कहीं वो एमओयू में लिखी हुई तो नहीं है। कहीं एमओयू में भारत को कमजोर करने की बात तो नहीं लिखी गई क्योंकि कांग्रेस वो भाषा बोलने से बाज नहीं आ रही जिससे देश कमजोर होगा।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यह भी बताए कि जब डोकलाम मुद्धा चल रहा था तब वे चीनी दूतावास में क्या बात कर रहे थे जिसे उन्होंने पहले तो छुपाने का झूठा प्रयास किया फिर फोटों सामने आने पर स्वीकारा। देवनानी ने कहा कि 2008 में चीनी पार्टी से एमओयू, राजीव गांधी फाउण्डेशन को मिली बडी राशि तथा चीनी नेताओं व अधिकारियों से राहुल गांधी की गुप्त बैठके इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं न कहीं कांग्रेस व चीन के बीच कुछ चलता आ रहा है।
कांग्रेस की देन है चीन की समस्या-
देवनानी ने कहा कि चीन की समस्या कांग्रेस की ही देन है। 1962 में जब जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे तब चीन ने करीब 43 हजार वर्ग किमी जमीन हड़प ली थी लेकिन कांग्रेस सरकार की नींद नहीं उडी थी। उसके बाद भी कांग्रेस ने अपनी जमीन से चीन का कब्जा हटाने के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किये। 2014 में मोदी जी ने चीन की कुटिलता को समझते हुए वहां पर सड़के, एअरपोर्ट आदि बनाए जिससे चीन बौखला उठा।
उन्होंने चीन से संघर्ष के दौरान शहीद हुए सैनिकों को नमन करते हुए कहा कि हमारे निहत्थे सैनिकों ने वीरतापूर्वक लड़ते हुए चीन के दुगने सैनिकों को मार गिराया। हमारे सैनिक चीन से मुकाबला करने के लिए सीमा पर डंटे हुए है। ऐसे में उनका मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। केन्द्रीय नेतृत्व भी इसके लिए कुशल रणनीति बनाने में जुटा हुआ है।

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