पूर्व शिक्षा मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर शिक्षण ढांचे को पूरी तरह से ध्वस्त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की घोर लापरवाही व अकर्मण्यता के चलते मात्र सवा दो साल में ही राज्य में शिक्षा का बंटाधार हो चला।
उन्होंने कहा कि शिक्षा में कोई नवाचार करना तो दूर बल्कि विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें भी समय पर उपलब्ध कराने में सरकार नाकाम रही है। राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के सवा लाख विद्यार्थियों को सत्र के अंतिम पड़ाव तक भी पाठ्य पुस्तकें नहीं मिलना इस बात का प्रत्यक्ष उदारहरण है।
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल की कक्षा दसवीं व बारहवीं में करीब सवा लाख विद्यार्थी अध्ययनरत है। नियमानुसार उनसे परीक्षा आवेदन शुल्क के साथ किताबों का भी शुल्क वसूला गया था। सरकार को दिसम्बर तक उन सवा लाख विद्यार्थियों को पांच-पांच किताबों के हिसाब से कुल छः लाख पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करानी थी लेकिन राज्य सरकार व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की घोर अनदेखी के चलते विद्यार्थियों को अब तक पुस्तकें नहीं मिल सकी है। भाजपा शासनकाल में दिसम्बंर तक विद्यार्थियों को पुस्तकें मिल जाया करती थी लेकिन दिसम्बंर को छोड़ सत्र के अन्तिम पड़ाव तक भी विद्यार्थियों को पुस्तकें नहीं मिल पाई है और टेण्डर प्रक्रिया में विलम्ब होने के कारण परीक्षा तक भी पुस्तकें उपलब्ध होने की संभावना नजर नहीं आ रही।
देवनानी ने कहा कि सरकार ने दो सालों में केवल भाजपा शासनकाल की योजनाओं के नाम बलदने के सिवाय कुछ नहीं किया। विद्यार्थियों को ना तो अब तक लेपटाॅप दिये और ना ही साईकिलों का वितरण किया गया है। विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिले इसको लेकर ढाई साल में ढाई कदम भी नहीं चल पाई प्रदेश की कांग्रेस सरकार।