केकड़ी 10 मार्च(पवन राठी)
पंचायत व निकाय चुनाव की चहल पहल के बाद कांग्रेस व भाजपा में कार्यकर्ताओं की हलचल धीमी पड़ गई है। अगर कोई सक्रिय है तो वो है कांग्रेस के युवा नेता सागर शर्मा। गत विधानसभा चुनाव के पहले से सागर शर्मा केकड़ी क्षेत्र के गांवों में लगातार सक्रिय हैं वे ग्रामीणों व कार्यकर्ताओं में अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं। उनकी सक्रियता विपक्ष में बैठे नेताओं को खलने लगी है। हालांकि विपक्ष के पास मजबूत नेतृत्व की कमी है। चर्चाओं के बीच यह बात सामने आई कि क्षेत्र के भाजपा नेता इस बार यह सोचकर चल रहे हैं कि एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा की परंपरा के चलते अगली बार विधायक भाजपा का बनेगा। लेकिन इस परम्परा को तोड़ने के लिए क्षेत्रीय विधायक डॉ रघु शर्मा के सुपुत्र सागर शर्मा कदम बढ़ा चुके हैं उनकी गतिविधियां दर्शाती है कि वे बरसों से चली आ रही इस परम्परा को तोड़ने की ठान चुके हैं। उनका क्षेत्र के गांवों में लगातार लोगों व कार्यकर्ताओं से सम्पर्क में रहना व आम लोगों को राहत दिलाना उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शा रहा है। सागर शर्मा के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे प्रभाव ने भाजपाइयों को चिंता में डाल दिया है। भाजपा में करीब एक दर्जन दावेदार हैं जो विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना देख रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी भाजपा की स्थिति कमजोर हुई है। परम्परागत रूप से भाजपा का गढ़ माने जाने वाला केकड़ी शहर भी अब भाजपा के हाथ से निकलकर अब कांग्रेस के हाथों में चला गया है। नगर पालिका चुनाव के दौरान शहरवासियों ने 25 साल बाद कांग्रेस पर एक बार फिर भरोसा जताया है और यह भी तय है कि कांग्रेस आमजन के भरोसे को तोड़ेगी नहीं ! क्योंकि विकास के मुद्दे पर केकड़ी व सरवाड़ में नगर पालिका चुनाव की शानदार जीत के बाद कांग्रेस में आत्मविश्वास चौगुना हो गया है। कांग्रेस नेताओं ने ठान लिया है कि अगला विधानसभा चुनाव वह केकड़ी शहर के विकास के दम पर ही लड़ेगी। कांग्रेस में धड़ेबाजी नहीं होना भी उसके लिए बड़ा प्लस पॉइंट है। यह भी तय है कि आने वाले दिनों में शहर में विकास की रफ्तार तेज होगी। केकड़ी का ऐतिहासिक विकास होगा क्योंकि हम देखते आये हैं कि डॉ रघु शर्मा जिस चीज को हाथ में लेते हैं उसे पूरा कराके ही दम लेते हैं और वैसे भी आज की तारीख में डॉ रघु शर्मा सरकार में दूसरे नम्बर पर हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि केकड़ी शहर सहित क्षेत्र अब अगले तीन साल विकास के नए आयाम स्थापित होते हुए देखेगा। इस बार कांग्रेस विकास के दम पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है वहीं भाजपा कमजोर होने लगी है। भाजपा के कमजोर होने के पीछे मुख्य कारण मजबूत नेतृत्व की कमी व आपसी गुटबाजी। यहां जितने चुनाव लड़ने वाले दावेदार हैं उतने ही यहां गुट हैं, अधिकांश दावेदार आपस में टांग खिंचाई व कार सेवा करने वाले हैं जो एक दूसरे को कमजोर करने में लगे हैं। पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम के क्षेत्र से दूरी बनाने के बाद से यहां भाजपा कमजोर हुई है। गौतम विधायक थे तो पार्टी में सक्रियता थी व नेतृत्व की कमी नहीं खलती थी। वहीं गुटबाजी ने भाजपा को कमजोर बनाया है। गुटबाजी के चलते राजेन्द्र विनायका चुनाव हार चुके हैं वहीं गत दिनों अनिल मित्तल अपनी पत्नि को पार्षद का चुनाव हरवा चुके हैं। एक बार हम एक बार तुम की परंपरा को भेदने में कांग्रेस व भाजपा नेता कितने सफल होते हैं यह तो वक्त बताएगा, मगर फिलहाल भाजपा नेतृत्व विहीन कमजोर पार्टी बन गई है। दर्जनभर टिकटार्थियों की मजबूती के बावजूद भाजपा कमजोर स्थिति में, क्षेत्र में मजबूत नेतृत्व की कमी खलने लगी है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि ताजा हालातों के दृष्टिगत भाजपा से टिकट पाने वाले टिकटार्थी खुद ही लड़ झगड़ कर निपट जाएंगे कांग्रेस को तो मेहनत ही नहीं करनी पड़ेगी। और वैसे भी इस बार टिकटार्थियों की तादाद बढ़ी है और सभी अपना टिकट पक्का मानकर चल रहे हैं। भाजपा में टिकट पाने वालों की कतार में शत्रुघ्न गौतम, राजेंद्र विनायका, मिथलेश गौतम, रिंकू कंवर राठौड़, भूपेन्द्र सिंह शक्तावत, राधेश्याम पोरवाल, रामेश्वर बंबोरिया, अनिल मित्तल, कृष्णानंद तिवाड़ी, विजयप्रताप सिंह शक्तावत, वीरभद्र सिंह के नाम शामिल हैं। इनके अलावा भी दो-तीन नाम ऐसे हैं जो अभी सामने नहीं आना चाहते। उधर कांग्रेस में यह तय है कि डॉ रघु शर्मा ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और बाईदवे वे चुनाव नहीं लड़ते हैं तो वे सागर शर्मा का राजनीतिक कैरियर शुरू कराने के लिए वे सागर शर्मा को केकड़ी से चुनाव लड़ा सकते हैं। सागर शर्मा की क्षेत्र में सक्रिय गतिविधियों से तो यही समझा जा सकता है कि वे क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के साथ ही अपने लिए राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। गांवों में सैंकड़ों युवा व लोग सागर से प्रभावित हो रहे हैं उनका बढ़ता प्रभाव उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाने में कितना मददगार साबित होगा यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। मगर क्षेत्र में लगातार उनका बढ़ता प्रभाव कांग्रेस के लिए शुभ संकेत है, वहीं भाजपा की धड़ेबाजी उसके लिए अशुभ संकेत है।