जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित तीन साल के बालक का हुआ आॅपरेशन

हजारों में दो-तीन के ही होता है महाधमनी के संकुचन और पी डी ए का विकार
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मित्तल हाॅस्पिटल में मिला मासूम को निःशुल्क उपचार
मित्तल हाॅस्पिटल के हार्ट एंड वास्कुलर सर्जन डाॅ विवेक रावत और टीम ने किया आॅपरेशन

अजमेर, 25 जून()। दिल के जन्मजात विकार से पीड़ित तीन साल के एक मासूम बालक का मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क आॅपरेशन किया गया। मासूम बालक को दिल का जो विकार था ऐसा हजारों में से दो तीन में ही पाया जाता है। मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के हार्ट एंड वास्कुलर सर्जन डाॅ विवेक रावत और टीम ने यह आॅपरेशन किया। बालक के स्वस्थ होने पर अजमेर जिला मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ के के सोनी, आरसीएचओ डाॅ स्वाति शिंदे और एडीएनओ डाॅ रामकृपाल लखावत ने हाॅस्पिटल पहुंच कर कुशलक्षेम जानी। बालक को हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है।
मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ के के सोनी ने निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल से मुलाकात कर कोरोना महामारी के दौर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) एवं मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में जरूरतंमद एंव आमजन को स्तरीय चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के संकल्प को सराहा। उन्होंने कहा कि बालक को उपचार के लिए अजमेर से बाहर नहीं भेजना पड़ा, मित्तल हाॅस्पिटल में ही यह आॅपरेशन संभव हो सका, यह एक बड़ी उपलब्धि है।
हार्ट एंड वास्कुलर सर्जन डाॅ विवेक रावत के अनुसार जन्म से ही दिल की इस बीमारी को चिकित्सकीय भाषा में कोआर्कटेशन आॅफ एओर्टा (महाधमनी का संकुचन) एवं पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पी डी ए) कहा जाता है। इसकी वजह से पीड़ित को वजन नहीं बढ़ने के साथ ही उसे आगे चलकर लकवा होने, किडनी व ब्रेन हैमरेज की संभावना बनी रहती है। अन्ततः जान का बड़ा जोखिम हो जाता है।
डाॅ रावत ने बताया कि बालक को जब पहली बार जांचा गया था तब तीन साल की उम्र में उसका वजन सिर्फ 9 किलो था। बालक के शरीर के ऊपरी भाग में उच्च रक्तचाप रहता था और नीचे के भाग में कम रक्तचाप होता था। आवश्यक जांच के बाद बालक के शरीर में संकुचन को पूरी तरह हटाने तथा महाधमनी को दोबारा जोड़ने एंव पीडीए को बांधने ( डबल डाइगेशन) का निर्णय किया गया।
उन्होंने कहा कि बालक की उम्र को देखते हुए इस आॅपरेशन में काफी कुशलता की जरूरत थी, दिल के एक साथ दो विकार होने के कारण आॅपरेशन काफी जटिल था किन्तु सफलता से हो गया। आॅपरेशन के बाद बच्चे को पीआईसीयू में पूरी निगरानी के साथ दो दिन रखा गया, इसमें मित्तल हाॅस्पिटल की पूरी टीम का योगदान रहा। गौरतलब है कि मित्तल हाॅस्पिटल में इससे पहले भी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत दिल के विकार से जुड़े अनेक बच्चों के विभिन्न आॅपरेशन किए जा चुके हैं।
निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में कोविड-19 की सभी गाइडलाइन का शत-प्रतिशत पालन किया जा रहा है। रोगी के प्रवेश के समय स्क्रीनिंग की सुविधा, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, मास्क की अनिवार्यता, और सैनिटाईजेशन नियमों का पूर्ण पालन हो रहा है।
मित्तल हॉस्पिटल केंद्र, राज्य सरकार व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों (ईसीएचएस), ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम सहित टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है।

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