हमें धर्म का मार्ग दिखाते हैं गुरु- मानस भट्टाचार्य

गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाला। गुरु वह है जो अज्ञान का निराकरण करता है अथवा गुरु वह है जो धर्म का मार्ग दिखाता है विश्व में केवल भारत ही ऐसा देश है जिसका गुरुत्व पूरा विश्व मानता है और आज के समय में भी विभिन्न राष्ट्र भारतीय संस्कृति से जुड़ाव और उसके प्रति लगाव, खिंचाव अनुभव करते हैं। मनुष्य में मनुषत्व होना ही गुरुत्व की पहली सीढ़ी होती है ।

उक्त विचार विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के असिस्टेंट सेक्रेटरी मानस भट्टाचार्य ने अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, अजमेर विभाग द्वारा 24 जुलाई को ऑनलाइन आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म का अभ्यास और प्रचार करके उसकी रक्षा करने की आवश्यकता है धर्म का अभ्यास आधा अधूरा नहीं हो सकता सनातन धर्म भारत का जीवन केंद्र है भारत ने हजारों वर्षों से अपने राष्ट्रीय जीवन के माध्यम से यह ज्ञान को समझा विकसित किया उसका अभ्यास किया संरक्षित किया और यहां तक कि इस ज्ञान को समूचे विश्व में पहुंचाया।

भट्टाचार्य ने कहा कि विवेकानंद केंद्र राष्ट्रीय उत्थान के लिए कार्य कर रहा है इस प्रकार ईश्वरीय कार्य कर रहा है ।इस दिव्य कार्य में स्वाभाविक रूप से हमारे गुरु ईश्वर हैं जिन्हें ओमकार के रूप में व्यक्त किया गया है ओंकार सर्व समावेशी है सभी नाम और रूप ओंकार से आते हैं इस प्रकार ईष्वरीय कार्य पूरी दुनिया की भलाई के लिए काम कर रहा है भारत राष्ट्र का चयन इस कार्य के लिए हुआ है। इस प्रकार हम उन दृश्यों की आकाशगंगा देखते हैं जिनका आविर्भाव हमारी भूमि का मार्गदर्शन करने के लिए हुआ था और वह अभी भी जन्म लेते हैं स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण भारत के महापुरुष में इसका विवरण किया है वेदों में वह सब है जो मनुष्य की पूर्णता और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है वेद हमारे धर्म व्यक्तित्व विशेष पर प्रतिष्ठित ना होकर सनातन सिद्धांतों पर प्रतिष्ठित हैं समय-समय पर इसे लागू करने में मार्गदर्शन की आवश्यकता अलग-अलग समय और स्थानों के अनुसार होती थी जिसके लिए भारत के हर युग में महान शिक्षक आए वह भारत के ऋषि हैं।

इस अवसर पर प्रशिक्षक प्रमुख डॉ स्वतंत्र कुमार शर्मा ने राम के गुरु वशिष्ट जी भगवान श्री कृष्ण के गुरु सांदीपनि मुनि के गुणों की व्याख्या की।

कार्यक्रम में नगर संचालक डॉ श्याम भूतड़ा ने कहां की गुरु की भूमिका अध्यात्म या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं है मनुष्य पर आने वाली प्रत्येक विपदा पर उचित सलाह देकर उन्हें उबरना भी है अर्थात अनादि काल से गुरु ने

शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है । कार्यक्रम का आरंभ तीन ओमकार प्रार्थना से करते हुए कार्यक्रम का संचालन स्वाध्याय प्रमुख शशांक बजाज ने किया।

भारत भार्गव
नगर प्रमुख
विवेकानंद केंद्र अजमेर

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