राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष में राजस्थान सिंधी अकादमी, जयपुर एवं जोधपुर की सिन्धी कल्चरल सोसाइटी की ओर से “सिन्धी नाटकों में सिन्धियत और गाँधी दर्शन “विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें देश के प्रमुख सिन्धी लेखकों ने अपने विचार रखे।
वेबिनार के संयोजक और प्रमुख सिन्धी लेखक तथा सिन्धी कल्चरल सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष हरीश देवनानी ने बताया कि वेबिनार के मार्गदर्शक मीरा पुरुस्कार विजेता भगवान अटलानी थे जबकि मुख्य वक्ता राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के पूर्व निदेशक और जाने-माने सिन्धी लेखक अहमदाबाद के डॉ.जेठो लालवानी थे।
सभी वक्ताओं ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सिन्धी संस्कृति में गांधी दर्शन रचा बसा है, इसलिए सिन्धी नाटकों में सत्य, अहिंसा, करुणा, सहकार की भावना का वर्णन किरदारों के माध्यम से हुआ है।
नाटक जीवन पर सीधा असर डालते हैं जिसका उदाहरण यह है कि महात्मा गांधी ने अपने बचपन में राजा हरिश्चन्द्र नाटक देखा था उससे उनके मन में सत्य के प्रति जो समर्पण बना वो उनके जीवन दर्शन का प्रमुख आधार हैं।
वेबिनार में भोपाल से अशोक बुलानी, नागपुर से किशोर लालवानी, गांधीधाम से महेश खिलवानी, जयपुर से सुरेश सिन्धु, कोटा से किशन रतनानी, बीकानेर से सुरेश हिंदुस्तानी, अजमेर से डॉ सुरेश बबलानी, मुम्बई से सोनू चौधरी, नई दिल्ली से शंकर मूलवानी व अनिता शिवनानी, जोधपुर से गोविंद करमचंदानी ने अपने विचार रखे।
सभी वक्ताओं द्वारा यह बताया गया की सिंधी नाटकों में सिंधियत का तथा साथ ही गांधी जी के विचारों का भी समावेश किया जाता रहा है तथा सिंधी समाज एवं गांधी जी के विचारों में काफी समानता पाई जाती है कुछ वक्ताओं द्वारा इस बात पर जोर दिया गया कि नई पीढ़ी को सिंधी भाषा एवं संस्कृति का प्रसार करने हेतु प्रेरित किया जाए तथा नाटकों में नए कलाकारों को जोड़ा जाए एवं नए नाटक लिखे जाएं। सोसायटी के सचिव विजय भक्तानी ने वेबीनार में सहयोग करने के लिए सभी रंग कर्मियों का आभार व्यक्त किया।
अंत में खुली चर्चा में रोमा चांदवानी, वासुदेव मोटवानी, सुशील मंगलानी, आरती मंगलानी, रमेश रंगानी, सूंदर मटाई, महेश संतानी, अशोक कृपलानी, पूनम केसवानी, पूजा चांदवानी, जय बेलानी, राजकुमार परमानी, विरमल हेमनानी के भाग लिया। तकनिकी सहयोग जोधपुर के शिक्षाविद रमा आसनानी तथा नागपुर के जय बेलानी का रहा I
संजय झाला
सचिव