कांग्रेस सरकार वीक, पेपर लीक, सीबीआई से कराई जाए जांच-देवनानी

पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक देवनानी ने पेपर लीक प्रकरण में सवालिया निशानों से सरकार और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को घेरा
-एसओजी जांच के नाम पर अभी तक खाली हाथ, मुख्य सरगना भी गिरफ्त से बाहर
-कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के शामिल होने का संदेह, इसलिए सरकार दबा रही है मामले को
-जयपुर में अतिरिक्त कलेक्टर की जगह प्राइवेट व्यक्ति को को-आॅर्डिनेटर क्यों बनाया गया

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 6 अक्टूबर। शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट-2021) पेपर लीक प्रकरण में अभी तक जांच एजेंसी एसओजी के खाली हाथ रहने, जांच बहुत धीमी गति से होने और मुख्य सरगना बत्तीलाल मीणा की गिरफ्तारी नहीं होने से इस संदेह को बल मिलता है कि इस मामले में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं की शह तो नहीं है। यही कारण है कि सरकार इस मामले को दबाने में लगी हुई है और इसी वजह से जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने रीट पेपर लीक प्रकरण में राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार पूरी तरह कमजोर स्थिति में है और वह पेपर लीक होने के कारण खुद जनता के सवालिया निशान में घिर गई है। इसलिए इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए।
बुधवार को यहां पत्रकारों से बात करते हुए देवनानी ने अनेक ऐसे सवाल खड़े किए, जो रीट पेपर लीक होने पर सरकार और परीक्षा एजेंसी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को घेरने के लिए काफी है। उन्होंने कहा, इतने दिन बीतने व खुलासे होने के बाद भी एसओजी के हाथ खाली होने से संदेह होता है कि कहीं सरकार एसओजी को आगे खुलासा करने से रोक तो नहीं रही है। इस बड़े प्रकरण में कांग्रेस के कुछ बड़े लोग तो शामिल नहीं हैं। आखिर सरकार इस मामले को दबाना और छिपाना क्यों चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं व उनके संबंधियों द्वार कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाए जा रहे हैं। इसलिए इन कोचिंग इंस्टीट्यूट की जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, बोर्ड का यह निर्णय भी उसकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है कि जयपुर को छोड़कर सभी जिलों में परीक्षा के लिए को-आॅर्डिनेटर अतिक्ति जिला कलेक्टर को बनाया गया, जबकि केवल में प्राइवेट व्यक्ति को यह जिम्मा दिया गया।
उन्होंने कहा, एसओजी भी मानती है कि गंगापुर सिटी में पेपर लीक हुआ। एसओजी की जांच बत्तीलाल मीणा पर आकर रूक जाती है। बत्तीलाल मीणा अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है, इसलिए जांच आगे नहीं बढ़ी है। पूर्व में कई परीक्षाओं के पेपर लीक करने वाले 5 गिरोह के 30 गुर्गों ने 25 सितंबर को ही परीक्षा से एक घंटे पूर्व ही पेपर लीक करने का दावा किया था, जो मीडिया में प्रमुखता से छापा गया था। इन गुर्गों ने गंगापुर सिटी में डेढ़ घंटे पूर्व ही पेपर आउट कर अपने दावे को साबित भी कर दिया था। पहली गिरफ्तारी वहीं साढ़े आठ बजे गंगापुर सिटी से हुई, जिसमें पेपर व आंसरशीट लीक होने का प्रमाण है। गंगापुर सिटी में सबसे बड़ी गड़बड़ी की शिकायत व गिरफ्तारी हुई।
देवनानी ने कहा, पेपर लीक होने का सबसे बड़ा सबूत यह है कि परीक्षा से लगभग डेढ़ घंटे पहले वाट्सअप पर पेपर आ गया था। वैसे लगभग 4 घंटे पूर्व पेपर आंसरशीट के साथ बाहर आना साबित होता है, क्योंकि जिस कांस्टेबल को सवाईमाधोपुर से फोन पर गंगापुर सिटी से नेटबंदी के कारण पेपर लेने बुलाया गया। उसे गंगापुर सिटी से सवाईमाधोपुर आने में कम से कम एक घंटा तो लगा ही होगा। अर्थात पेपर साढ़े आठ बजे से पूर्व ही पहुंच गया था।
उन्होंने कहा कि रीट से दो दिन पहले पेपर ले जा रहे कंटेनर का पलटना, ड्राइवर की मौत या हत्या होना, उसके साथ किसी एस्काॅर्ट का नहीं होना, बाद में किसी अन्य कंटेनर के साथ एक अन्य कार में रींगस पुलिस के साथ पेपर भिजवाने को जांच एजेंसी एसओजी खुद भी संदेहास्पद मान रही है। पेपर के साथ आंसरशीट का गंगापुर सिटी में साढ़े आठ बजे वाट्सअप पर आना पुलिस क्वार्टर व कार में साॅल्व पेपर दिखाने से यह तो साबित होता है कि पेपर आउट हुआ है। हिंडौनसिटी के एक सेंटर पर अभ्यर्थियों को ओएमआर आंसरशीट की सील खुली हुई पाई गई, जिसकी शिकायत केंद्र प्रभारी से तत्काल की गई तथा केंद्र प्रभारी की रसीद इसका सबूत है।
देवनानी ने कहा कि बोर्ड की गोपनीय शाखा के अलावा उत्तरकुंजी किसी अन्य और संस्था, एजेंसी या परीक्षा केंद्र के पास हो ही नहीं सकती है। इससे साबित होता है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की गोपनीय शाखा पेपर लीक प्रकरण में शामिल है। सबूत खुलासा करते हैं कि गंगापुर सिटी की बिना मान्यता प्राप्त स्कूल डीएस साइंस एकेडमी के संचालक उमेश शर्मा ने बोर्ड की गोपनीय शाखा के कर्मचारियों के साथ मिलकर पेपर लीक को अंजाम दिया है। इस प्रकरण में बोर्ड की गोपनीय शाखा का पूरा सिस्टम शामिल है, इसलिए सरकार द्वारा इस प्रकरण को खोलने की बजाय दबाया जा रहा है। ज्ञानदीप नाम की स्कूल श्यारोली, वजीरपुर, गंगापुर सिटी में संचालित है। उसी के डुप्लीकेट दस्तावेजों के आधार पर नाम व स्थान बदल कर डीएस साइंस एकेडमी नामक स्कूल का जन्म हुआ। इसका मलबत यह हुआ कि श्यारोली में ज्ञानदीप के नाम से स्कूल नहीं होनी चाहिए। लेकिन श्यारोली में ज्ञानदीप के नाम से और गंगापुर सिटी में वही स्कूल डीएस साइंस एकेडमी के नाम से आज भी संचालित है।

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