शनिवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि प्रदेश में उत्पन्न बिजली संकट के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। जब बिजली संयंत्रों में कोयला खत्म होने जा रहा था, तो सरकार ने समय रहते ध्यान क्यों नहीं दिया। यह स्थिति कहीं न कहीं अशोक गहलोत सरकार की ‘बत्ती गुल’ होने के संकेत हैं।
देवनानी ने कहा कि बिजली सबसे ज्यादा जरूरी और मूलभूत सुविधा है। सरकार यह मूलभूत सुविधा निर्बाध रूप से उपलब्ध कराने में पूरी तरह फेल रही है। बिजली संकट के कारण जनता बहुत ज्यादा परेशान हो रही है। इन दिनों नवरात्र चल रहे हैं और दीपावली भी नजदीक है। लोगों को घरों की साफ-सफाई, लिपाई-पुताई और धुलाई के लिए बिजली के साथ-साथ पानी की भी बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती है। लेकिन बिजली नहीं होने से लोगों के यह सभी काम करीब-करीब ठप हो गए हैं। साथ ही बिजली संकट की वजह से पम्पिंग स्टेशनों से पानी की सप्लाई भी नियमित रूप से नहीं होने पर असर पड़ रहा है। एक ओर जहां आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, वहीं उद्योग-धंधों पर भी असर पड़ रहा है। बिजली नहीं मिलने के कारण फैक्ट्रियों में काम नहीं हो पा रहा है। गांवों में किसानों को खेती-बाड़ी करने में भी समस्या आने लगी है। गांव को दिन ही नहीं, रात में भी बिजली नहीं मिल पा रही है।
बिजली कटौती से प्रदेश के लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं इन दिनों काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन बिजली कटौती के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। कई बार तो काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं के दौरान बिजली गायब हो जाने के कारण पंखे नहीं चलने से विद्यार्थियों को परीक्षा देने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जैसे-तैसे तो कोरोना से धीरे-धीरे पीछा छूट रहा है और कारोबार पटरी पर आने लगा, लेकिन अब बिजली संकट इसको चैपट कर रहा है। व्यापारी दीपावली पर अपने आॅर्डर पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि बिजली कटौती करने के बावजूद सरकार की जनता को बिजली के बिलों में राहत देने की कोई मंशा दिखाई नहीं दे रही है। बिजली का उत्पादन, संचारण और वितरण राज्य सरकार के हाथ में है। बिजली के दाम लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। बिजली के बिल हर माह लोगों के करंट मार रहे हैं, लेकिन इन सबसे सरकार को कोई सरोकार नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश की जनता अब सर्वत्र भाजपा का प्रकाश फैलाने का मानस बना चुकी है, जिसका परिणाम वल्लभ नगर और धरियावद विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों में देखने को मिल ही जाएगा। न केवल उपचुनावों में, बल्कि दो साल बाद पूरे राजस्थान में कांग्रेस राज का अंधेरा मिटेगा और भारी बहुमत के साथ कमल खिलेगा।
देवनानी गवर्नर रिलीफ फंड संग्रहण व सलाहकार समिति के सदस्य, एक माह का वेतन दिया
अजमेर, 9 अक्टूबर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी को गवर्नर रिलीफ फंड के लिए फंड संग्रहण एवं सलाहकार समिति में सदस्य मनोनीत किया है। समिति में कुल 25 सदस्य शामिल किए गए हैं, जिनमें देवनानी के साथ-साथ मंत्री, सांसद, विधायक, प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। समिति की वर्चुअल बैठक शनिवार को हुई, जिसमें राज्यपाल मिश्र ने सहायता कार्यों के संबंध में विस्तार से चर्चा की और सदस्यों से सुझाव भी लिए।
बैठक में देवनानी ने फंड के लिए अपनी ओर से एक माह का वेतन देने की घोषणा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों के पूर्व विद्यार्थियों, प्रवासी भारतीयों और अन्य सभी जनप्रतिनिधियों से भी आर्थिक सहयोग लेकर फंड में इजाफा करने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि फंड में एकत्र राशि से अभावग्रस्त लोगों की मदद की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल मिश्र ने राज्य की जनता के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए इस समिति को पुनर्जीवित किया है, जिसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा।