केकड़ी 28 फरवरी(पवन राठी)हमारा देश भारत की सनातन संस्कृति के वाहक के रूप में अपनी अलग ही पहचान है।विशेष रूप से हिन्दू संस्कृति के लिए ।
हिंदुओ के 36 करोड़ देवी देवता माने गए है उनमें महादेव(शिव )का स्थान सर्वोपरि है इसीलिए उन्हें देवाधिदेव महादेव महाकाल त्रिनेत्र धारी आदि नामो से पुकारा जाता है।शिव रात्री पर उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है ताकि महादेव की कृपा उनके भक्तों पर बनी रहे और मनोकामनाएं पूर्ण हो सके।
शिवलिंग का विशेष स्थान हिन्दू संस्कृति में है और उसकी ही स्थापना मंदिरों में की जाकर उसकी पूजा अर्चना का विधान सदियों से चला आ रहा है।इसीके चलते हर गली मोहल्ले के मंदिरों में शिवलिंग आसानी से दृष्टिगोचर हो जाते है।अनेक ऐसे शिव लिंग भी है जिनकी विशेष मान्यता है और उन्हें चमत्कारी भी माना जाता है।केकड़ी उपखंड के ग्राम पारा में भी एक ऐसा ही शिवलिंग है जिसकी पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।दूर दूर से लोग दर्शन और पूजा के लिए आते है यंहा शिवरात्री को विशेष मेला भरता है और विशाल भजन संध्या सहित अनेक धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते है।कहा जाता है कि यह शिवलिंग गोबर की रोड़ी में प्रगट हुवा था।जिसे कालांतर में मंदिर ने स्थापित किया गया।इस शिवलिंग की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह श्रावण मास में स्वतः ही दो भागों में बंट जाता है। जिसे देखने प्रतिवर्ष श्रावण मास में लाखों लोग आते है।यह शिवलिंग लगभग 6630 वर्ष पुराना है। आज जन जन की आस्था का केंद्र बनचुका है पारेश्वर महादेव मंदिर।शिवरात्री मेले में दूर दराज से श्रद्धालु यंहा आते है।
केकड़ी सावर मार्ग पर राजपुरा-भांडावास मार्ग पर खारी नदी में स्थित है झरनेश्वर महादेव मंदिर।इसकी विशेषता है कि इसमें 12 महीने24 घंटे पानी झरता रहता है इसीलिए इन्हें झरनेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है।
लगभग 71 वर्ष पूर्व खनन करवा रहे कोलकत्ता के एक व्यापारी को मिला था।उक्त व्यापारी द्वारा चबूतरे का निर्माण करवा कर शिव परिवार की स्थापना करवा दी। उसके बाद यंहा पशु मेला भरने लगा जो दो साल तक चला। 25 फरवरी 1952 को खान मालिक द्वारा शिवालय का निर्माण करवाया गया। सरकार द्वारा भक्तों की सुविधार्थ सामुदायिक भवनों का निर्माण करवाया गया है।शिवरात्री पर विशेष मेला भरता है अनेक धार्मिक आयोजन होते है।झरनेश्वर महादेव अपनी चमत्कारिक क्षमता के कारण आस्था के स्थान के रूप में अपनी अलग पहचान कायम कर चुका है।
